लखनऊ: यूपी में 1 फरवरी से 66 जिलों में पेट के कीड़े मारने की दवा एलबेंडाजाल खिलाई जाएगी. कृमि मुक्ति अभियान के तहत 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के प्रदेश के 8.66 करोड़ बच्चों एवं किशोर किशोरियों को एलबेंडाजाल दवा खिलाने का लक्ष्य तय किया गया है. 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस है.
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ. मनोज शुक्ल ने बताया कि जनपदों में स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकत्री की मदद से एक वर्ष से पांच वर्ष तक के पंजीकृत बच्चों और 6 वर्ष से 19 वर्ष तक के स्कूल नहीं जाने वाले बालक-बालिकाओं को दवा खिलाई जाएगी. 6 वर्ष से 19 वर्ष तक के छात्र-छात्राओं को उनके शिक्षकों के माध्यम से दवा सेवन सुनिश्चित कराया जाएगा. किशोर जुबेनाइल होम में प्रभारी अधीक्षक के माध्यम से किशोरों को दवा खिलाई जाएगी. यह दवा चबाकर खानी है.
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डॉ. मनोज ने बताया कि किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चे या किशोर को दवा नहीं खिलाई जाएगी. छोटे बच्चों को गोली निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसे बच्चों को गोली पीसकर खिलाई जाती है. शासन से निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को स्कूलों में दोपहर के भोजन के बाद यह गोली दी जाए. यह गोली किसी भी प्रकार से बच्चों के लिए नुकसानदायक नहीं है. कृमि मुक्ति दिवस पर दवा सेवन से छूटे बच्चों एवं किशोर किशोरियों के लिए 5 फरवरी को मापअप राउंड आयोजित होगा. यह दवा स्वास्थ्य टीम के सामने ही चबाकर या चूरा करके ही खानी है तभी पूर्ण रूप से असरदार होती है. किसी भी बच्चे या परिजन को बाद में खाने के लिए नहीं दी जाएगी.
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त में कृमि मुक्ति अभियान के दौरान प्रदेश के 53 जनपदों के 542 ब्लॉकों में दवा खिलाई गई। इस दौरान कुल 5 करोड़ 56 लाख लोगों को दवा खिलाई गई. यानि 79% प्रतिशत लक्षित बच्चों एवं किशोर किशोरियों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई थी. इस दौरान किसी भी ब्लॉक में कोई प्रतिकूल घटना की बात सामने नहीं आई थी.
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कृमि मुक्ति से स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. एनीमिया नियंत्रण रहता है. बच्चों में सीखने की क्षमता में सुधार होता है. बच्चे अक्सर जमीन में गिरी चीज उठाकर खा लेते हैं. कई बार वह नंगे पैर ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं. इससे उनके पेट में कीड़े (कृमि) विकसित हो जाते हैं. इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है. वह एनीमिया से ग्रसित हो जाता है. एल्बेंडाजॉल खा लेने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं. इससे शरीर में आयरन की शोषक क्षमता बढ़ जाती है और शरीर में एनीमिया यानि खून की कमी दूर होती है.
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पेट में दर्द, दस्त, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना
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बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे
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हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं
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