Jharkhand News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ा झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करने से मना कर दिया. अदालत ने कहा कि आपको पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए था. मालूम हो कि हेमंत सोरेन ने ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने की कार्रवाई के खिलाफ पहले झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, फिर उन्होंने हाईकोर्ट से याचिका वापस ले ली और ईडी की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
शुक्रवार, दो फरवरी को सुनवाई के दौरान गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन से पूछा कि आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते? कोर्ट ने हेमंत सोरेन को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत झारखंड हाई कोर्ट जाने को कहा. अदालत ने कहा कि हेमंत सोरेन हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने की मांग कर सकते हैं.
गुरुवार, 1 फरवरी को हेमंत सोरेन की ओर से वरीय वकील कपिल सिब्बल और वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष इस मामले की तत्काल सुनवाई करने की अपील की थी. इस अपील को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने दो फरवरी को मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. इसी के अनुसार हेमंत सोरेन की रिट याचिका पर सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की एक विशेष पीठ का गठन किया गया था.
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मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति खन्ना ने वरीय वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि उच्च न्यायालय में याचिका क्यों नहीं दायर की जा सकती. इस पर सिब्बल ने जवाब दिया, “मंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया है. सबूत देखें. यह उचित नहीं है.”
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न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “उच्च न्यायालय संवैधानिक अदालतें हैं. अगर हम एक व्यक्ति को यहां आने की अनुमति देते हैं, तो हमें सभी को अनुमति देनी होगी.”
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इसी के साथ न्यायमूर्ति ने सितंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक पहले के सुनवाई की ओर भी इशारा किया. यह सुनवाई जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला त्रिवेदी की पीठ द्वारा दिया गया था, जिसमें ईडी के समन के खिलाफ सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था और उस समय भी उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा गया था.
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न्यायमूर्ति खन्ना ने आगे कहा कि मूल रूप से यह रिट याचिका ईडी के समन को चुनौती देते हुए दायर की गई थी और अब जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वैकल्पिक उपायों का लाभ उठाया जाना चाहिए.
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