रांची: जमीन घोटाले में राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद को पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में रिमांड पर सुनवाई पांच फरवरी को होगी. ईडी के अनुरोध पर जारी प्रोडक्शन वारंट पर उन्हें अदालत में पेश किया गया. जमीन घोटाले के एक मामले में ईडी द्वारा उन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. इस बार गिरफ्तारी झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के मामले में हुई है. आपको बता दें कि 31 जनवरी को बड़गाईं अंचल की जमीन से जुड़े घोटाले में हेमंत सोरेन को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था.
Former Jharkhand CM Hemant Soren's aide Bhanu Pratap Prasad has been arrested under section 19 of PMLA. The hearing on remand will be on 5th February. He was produced before the court on the production warrant issued at the request of ED. He has already been arrested in a land…
— ANI (@ANI) February 3, 2024
जमीन घोटाल में हुई थी छापेमारी
ईडी ने लोगों की शिकायतों के आधार पर जालसाजी कर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले की जांच शुरू की थी. ईडी ने जमीन के मामले में दर्ज दो प्राथमिकी के आधार पर इसीआइआर दर्ज की. ईडी ने बरियातू स्थित सेना की जमीन के मामले में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी के आधार पर एक इसीआइआर दर्ज की गयी. इसी में हेहल स्थित जमीन की जांच रिपोर्ट भी शामिल कर ली गयी. ईडी ने कोर्ट के आदेश पर चेशायर होम रोड स्थित जमीन की खरीद-बिक्री में हुई जालसाजी के सिलसिले में सदर थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दूसरी इसीआइआर दर्ज की. जमीन से जुड़े मामलों की जांच के दौरान ईडी ने रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन, बड़गाईं के अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप सहित अन्य के ठिकानों पर छापा मारा था.
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हेमंत सोरेन पर कसता गया ईडी का शिकंजा
जांच-पड़ताल के दौरान ईडी ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ पिंटू के पीएस उदय शंकर के घर भी छापा मारा था. पीएस के घर छापा मारने का मुख्य कारण राजस्व कर्मचारी के मोबाइल में मिला जमीन की एक ब्योरा था, जिसे उदय शंकर के माध्यम से भेजा गया था. राजस्व कर्मचारी के घर से बक्सों में रखे गये जमीन के दस्तावेज जब्त किये गये. मामले की प्रारंभिक जांच के बाद ईडी ने पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत सरकार के साथ सूचनाएं साझा कीं और प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया. ईडी के अनुरोध पर जिला प्रशासन के आदेश के आलोक में सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई. ईडी ने इस प्राथमिकी को इसीआइआर के रूप में दर्ज किया. इसके बाद उदय शंकर के माध्यम से भेजे गये जमीन के आंकड़े और अंचल अधिकारी और राजस्व कर्मचारी के बयान के आधार पर जमीन के मामले में मुख्यमंत्री की भूमिका पर संदेह जताते हुए जांच की दिशा मोड़ी. मुख्यमंत्री को जमीन के मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किया. समन जारी करने के बाद मुख्यमंत्री और ईडी के बीच कानूनी जंग की शुरू हुई. हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री की याचिका खारिज होने के बाद ईडी ने मुख्यमंत्री को समन जारी किया. समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी. आखिरकार 20 जनवरी को पहली बार पूछताछ के बाद दूसरी बार 31 जनवरी को हेमंत सोरेन से पूछताछ की गयी. लंबी पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया.
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