कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे हर साल दुनियाभर में लाखों मौतें होती है. हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है . इस खास दिन पर विश्वभर के लोग साथ मिलकर कैंसर से लड़ने और इस बिमारी को रोकने के लिए एक दूसरे को प्रेरित करते हैं. इस दिन को मनाने के पीछे एक खास उद्देश्य है और साथ ही हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम रखा जाता है. इस साल का थीम ‘क्लोज दी केयर गैप: एवरीवन डिज़र्व्स एक्सेस टू कैंसर केयर’ रखा गया है.
हाल ही में सर्वाइकल कैंसर का काफी जिक्र है क्योंकि इसके केस भारत में काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. बीते दिनों जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार का बजट पेश किया तो उसमें खास तौर से सर्वाइकल कैंसर के लिए फ्री टीका था. इस स्कीम के तहत सरकार की ओर से 9 से 14 साल की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए फ्री वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी.
सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में शुरू होता है. गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय (गर्भ) का निचला, संकीर्ण सिरा है. गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय को योनि (जन्म नलिका) से जोड़ती है. सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है. गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर प्रकट होने से पहले, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं डिसप्लेसिया नामक परिवर्तनों से गुजरती हैं, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएं दिखाई देने लगती हैं. समय के साथ, यदि इसे हटाया नहीं जाए, तो असामान्य कोशिकाएं कैंसर का रुप धारण कर सकती है.
डॅा पुष्पा पांडे (महिला रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि ”सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण होता है असुरक्षित शारीरिक संबंध और खास तौर पर जब ये एक नहीं बल्कि ज्यादा लोगों के साथ बनाया जाए.” उन्होंने आगे ये भी कहा कि ”अक्सर इस बिमारी का पता इसके अंतिम चरण में चल पाता है क्योंकि इसके लक्षण काफी आम होते हैं और अक्सर महिलाएं इन्हें इग्नोर कर देती हैं. इसलिए अगर आप को अपने अंदर कोई भी लक्षण नजर आएं तो आप को तुरंत स्क्रीनिंग करवानी चाहिए क्योंकि शुरुवाती स्टेज में इसे कैंसर का प्रारूप बनने से रोका जा सकता है.”
सर्वाइकल कैंसर के यूं तो कई लक्षण होते हैं जिसमें मुख्य रूप से शारिरिक संबंध बनाने के बाद, मासिक धर्म के बीच या मेनोपॅाज के बाद योनि से रक्तस्राव होना, मासिक धर्म में रक्तस्राव जो भारी होता है और सामान्य से अधिक समय तक रहना, शारिरिक संबंध के दौरान पेल्विक दर्द या दर्द जैसे लक्षण शामिल हैं. अगर आप को अपने अंदर इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव हो तो आपको जल्द से जल्द अपना टेस्ट करवा लेना चाहिए.
सर्वाइकल कैंसर को रोकने के सबसे आसान तरीकों में से एक है नियमित रूप से पैप स्मीयर या एचआरएचपीवी तकनीक से जांच करवाना. स्क्रीनिंग से कैंसर के शुरुआती दौर का पता लगाया जाता है, ताकि कैंसर में बदलने से पहले उनका इलाज किया जा सके. एचपीवी संक्रमण सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों का कारण बनता है. एचपीवी के लगभग 100 विभिन्न प्रकार हैं. केवल कुछ विशेष प्रकार ही सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं. दो प्रकार जो आमतौर पर कैंसर का कारण बनते हैं वो हैं एचपीवी-16 और एचपीवी-18. एचपीवी के कैंसर पैदा करने वाले तनाव से संक्रमित होने का मतलब यह नहीं है कि आपको सर्वाइकल कैंसर हो जाएगा. संक्रमण को गार्डासिल और सर्वारिक्स नामक टीकों से रोका जा सकता है. लड़कों और लड़कियों दोनों को एचपीवी के खिलाफ टीका लगाया जा सकता है.
रिपोर्ट – पुष्पांजलि
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.