रांची: झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित आदिवासी एकता महारैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के धार्मिक, सांस्कृतिक पहचान-अधिकार व समाज को बांटने की साजिश के खिलाफ आदिवासी संगठनों की सभा मोरहाबादी मैदान में की गयी है. जैसे ही आदिवासी समुदाय हक-अधिकार और हिस्सेदारी की बात करता है, आदिवासी विरोधी ताकतें एकजुट होकर उसके खिलाफ खड़ी हो जाती हैं. पिछले 10 वर्षों में स्थिति और बिगड़ गयी है.
समान नागरिक संहिता का किया विरोध
बंधु तिर्की ने कहा कि समान नागरिक संहिता, एक देश, एक विधान की आड़ में संविधान और देश की विविधता को खत्म करने का षडयंत्र चल रहा है. देश के 14 करोड़ आदिवसियों के अस्तित्व-अस्मिता को रौंदकर समान नागरिक संहिता लाया जायेगा. अगर ऐसा हुआ तो संविधान प्रदत्त अनुसूचित क्षेत्रों का क्या होगा, जिनके नियंत्रण और प्रशासन के लिए विशिष्ट प्रावधान किये गये हैं? हमारी प्रथा जिसे कानूनी मान्यता प्राप्त है, उनका क्या होगा.
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संविधान से चलता है ये देश
आदिवासी एकता महारैली को संबोधित करते हुए आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे ने कहा कि इस महारैली का एक बड़ा विषय डी- लिस्टिंग है. बीजेपी-आरएसएसवाले बोलते हैं कि जिस आदिवासी ने धर्म बदला, उसकी सारी सहूलियतें बंद कर दो. उन्हें मालूम नहीं कि यह देश भाजपा के अनुसार नहीं, भारतीय संविधान से चलता है. इसमें लिखा है कि रिजर्वेशन, सहूलियत धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि जाति के नाम पर मिलता है.
आदिवासी एकता महारैली को इन्होंने भी किया संबोधित
आदिवासी एकता महारैली को मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग, गीताश्री उरांव, पूर्व सांसद प्रदीप कुमार बलमुचू, प्रभाकर तिर्की, टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की, डॉ वासवी किड़ो, अभय भुटकुंवर, हरिनारायण महली, शिवा कच्छप सहित कई लोगों ने संबोधित किया.
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