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संगीतकार प्यारेलाल को पद्मभूषण देने पर लक्ष्मीकांत की बेटी बोलीं, ‘दोनों को मिलना चाहिए सम्मान’

लक्ष्मीकांत की बेटी ने कहा कि वह प्यारेलाल को पद्मभूषण दिए जाने के फैसले का स्वागत करती हैं, लेकिन उनके दिवंगत पिता को भी यह सम्मान मिलना चाहिए. लक्ष्मीकांत के परिवार ने मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र भी लिखा है.

मशहूर संगीतकार लक्ष्मीकांत की बेटी ने कहा कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने 700 से अधिक फिल्मों में संगीत दिया और वह प्यारेलाल को पद्मभूषण दिए जाने के फैसले का स्वागत करती हैं, लेकिन उनके दिवंगत पिता को भी यह सम्मान मिलना चाहिए. लक्ष्मीकांत के परिवार ने मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र भी लिखा है. बता दें कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण के लिए प्यारेलाल को नामित किया गया था, जो दिग्गज संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का एक हिस्सा रहे हैं.

प्यारेलाल के साथ लक्ष्मीकांत को भी मिलना चाहिए सम्मान

राजेश्वरी लक्ष्मीकांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम बहुत खुश हैं कि प्यारेलाल अंकल को आखिरकार पुरस्कार मिल गया…हमें लगता है कि जब बात पद्मभूषण सम्मान की है तो आप लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को अलग-अलग नहीं कर सकते और प्यारेलाल अंकल को सिर्फ इसलिए पुरस्कार नहीं दे सकते कि वह यहां हैं और मेरे पिता दुर्भाग्यवश गुजर चुके हैं.’’

दिवंगत पिता को मिलना चाहिए ये सम्मान

लक्ष्मीकांत की पत्नी जया कुडालकर ने अपने पत्र में सरकार से प्यारेलाल के साथ-साथ अपने दिवंगत पिता को यह सम्मान दिये जाने की अपील की है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को तीन पहले यह पत्र भेजा गया था जबकि गृह मंत्रालय को एक दिन पहले यानी मंगलवार को यह पत्र लिखा गया. राजेश्वरी ने कहा कि परिवार ने यह पत्र इसलिए लिखा क्योंकि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को संगीतकार जोड़ी के रूप में जाना जाता है और हर धुन उन्होंने साथ में एक टीम की तरह तैयार की थी.

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लक्ष्मीकांत कुडालकर और प्यारेलाल शर्मा की जोड़ी ने खूब मचाया धमाल

उन्होंने कहा, ”प्यारे अंकल वाकई में इसके हकदार हैं और मेरे पिता भी उतने ही हकदार हैं क्योंकि दोनों ने साथ मिलकर काम किया और संगीत में योगदान से लेकर सभी चीजें बिल्कुल एक समान है.’’लक्ष्मीकांत कुडालकर और प्यारेलाल शर्मा ने वर्ष 1963 में फिल्म ‘पारसमणि’ से संगीतकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और एक साल बाद ‘दोस्ती’ की सफलता के साथ अपनी पहचान बनायी. संगीतकार जोड़ी ने ‘दो रास्ते’, ‘दाग’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘बॉबी’, ‘अमर, अकबर, एंथनी’ और ‘कर्ज’ जैसे प्रतिष्ठित फिल्मों में संगीत दिया और 35 से अधिक वर्षों तक संगीत देकर इतिहास रचा. वर्ष 1998 में लक्ष्मीकांत की मृत्यु के साथ यह साझेदारी समाप्त हो गई. लक्ष्मीकांत का 60 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था.

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