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धनबाद : कहीं शिक्षकों का टोटा, तो कहीं जर्जर भवन में हो रही पढ़ाई

राज्य साधन सेवी दिलीप कर्ण ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी पीपीटी के माध्यम से दी. वहीं एडीपीओ वियज कुमार ने वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उसकी जानकारी जुटाने का आग्रह किया है

धनबाद : न्यू टाउन हॉल में रविवार को गांव की सरकार जुटी. इसमें स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था और आधारभूत संरचना सुधारने की आवाज उठायी गयी. बताया गया कि विद्यालयों कहीं शिक्षक का टोटा है, तो कहीं जर्जर भवन में पढ़ाई हो रही है. शौचालय की दिक्कत, पानी की समस्या भी सामने आयी. मौका था जिला परियोजना विभाग की ओर से आयोजित जिला स्तरीय मुखिया सम्मेलन का. वहीं जिला शिक्षा विभाग के शिक्षा पदाधिकारी भूतनाथ रजवार ने समस्याओं के निदान कैसे हो इसपर चर्चा की. कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक मथुरा प्रसाद महतो, झरिया विधायक प्रतिनिधि के साथ ही पंचायती राज पदाधिकारी मुकेश बाउरी, डीइओ भूतनाथ रजवार, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी गौतम साहू आदि ने संयुक्त रूप से किया. राज्य साधन सेवी दिलीप कर्ण ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी पीपीटी के माध्यम से दी. वहीं एडीपीओ वियज कुमार ने वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उसकी जानकारी जुटाने का आग्रह किया है.

एनइपी पर हुई चर्चा :

कार्यक्रम में नयी शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा की गयी. विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों के नामांकन और विद्यालय में उनके ठहराव, विद्यालयों में शुद्ध नामांकन, एनइआर यानि आयु के अनुरूप नामांकन व सकल नामांकन में जिले एवं प्रखंडों की स्थिति पर चर्चा की गयी. बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा चलाये जा रहे प्रयास कार्यक्रम पर चर्चा हुई.

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बोले डीएसइ सह डीइओ : जहां छात्र अधिक हैं, वहां बढ़ाये गये हैं शिक्षक

मुखिया की ओर से उठाये गये सवालों पर डीएसइ सह डीइओ भूतनाथ रजवार ने जवाब दिया है. कहा : जिले में कुल 1729 विद्यालय है. हाल में ही 250 शिक्षक हाई स्कूलों को मिले हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, वहां उनकी पोस्टिंग की गयी है. 135 में से 125 उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर हो गयी है. प्राथमिक विद्यालयों के लिए 2342 सरकारी व 2436 पारा शिक्षक है. करीब 1500 विद्यालय हैं. प्राथमिक विद्यालय में दो और मध्य विद्यालय में कम से कम तीन शिक्षक होने चाहिए. शिक्षकों की कमी है. प्राथमिक विद्यालय के लिए 519 और मध्य विद्यालय के लिए 588 सीटों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना मुख्यालय भेजी गयी है. शिक्षक की कमी दूर करने के लिए बीएड व डीएलएड के छात्रों को अलग-अलग विद्यालयों में चार माह के लिए भेजा जाता है. उन्होंने मुखिया से आग्रह किया कि एक कार्ययोजना तैयार करें कि उनके क्षेत्र के सेवानिवृत्त शिक्षक और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले युवकों की सूची बनायें और उनसे बीच-बीच में कक्षाएं लेने का आग्रह करें. सप्ताह में दो दिन भी कक्षा ली जाती है, तो बच्चों को फायदा होगा. डीएमएफटी फंड से 296 विद्यालयों की चहारदीवारी हो रही है. जहां बचा है, उसे कराने का आग्रह डीएमएफटी से की जाये. मध्य विद्यालय कोलाकुसमा में सीसीटीवी कैमरा लगाया जायेगा. यह काम वहां के फंड से हो रहा है. विद्यालय अपने फंड से कई कार्य करा सकते हैं.

जो समस्याएं उठायी गयीं

पश्चिम गोविंदपुर मुखिया : सुखीराम मध्य विद्यालय में करीब 500 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन यहां शिक्षकों की संख्या सिर्फ पांच है. शिक्षक की कमी को दूर की जाये.

तोपचांची गुणघसा मुखिया : मध्य विद्यालय में 300 बच्चे नामांकित है. लेकिन सिर्फ दो शिक्षक है. एक सरकारी व एक पारा.

महेशपुर मुखिया : उत्क्रमित मध्य विद्यालय महेशपुर में भवन जर्जर होने के कारण एक से आठवीं की कक्षा दो कमरों में संचालित की जा रही है. यहां सिर्फ दो शिक्षक हैं.

तोपचांची भूइयाचितरा मुखिया : स्कूल का छज्जा गिरने से दो बच्चे गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. जांच करायी जा रही थी, लेकिन कार्रवाई क्या हुई इसकी जानकारी दी जाये.

मलकेरा दक्षिण मुखिया : मैगजीन एरिया में विद्यालय संचालित है लेकिन यहां न बिजली पहुंची है और ना ही किचन सेट आया है. एमडीएम की क्वालिटी भी अच्छी नहीं है. जांच करने के बाद दो-तीन दिन एमडीएम की क्वालिटी ठीक होती है, लेकिन फिर से वहीं स्थिति हो जाती है.

कांड्रा पंचायत मुखिया : यहां डेढ़ साल पहले स्कूल बनाने के लिए जगह देखी गयी थी. अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है.

गोविंदपुर जियलगढ़ा मुखिया प्रतिनिधि : प्लस टू उच्च विद्यालय गोसाइडीह में बेंच डेस्क की कमी है. इस कारण नौवीं व 10वीं की विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

पंडुगी मुखिया: मध्य विद्यालय पंडुगी में करीब 500 विद्यार्थी नामांकित है. लेकिन शिक्षकों की कमी है. साथ ही चाहरदीवारी भी नहीं है.

टुंडी जाताकुट्टी मुखिया: मध्य विद्यालय चड़कपुर का भवन काफी जर्जर है. प्राथमिक विद्यालय चड़कपुर में भवन जर्जर होने के कारण बच्चे बाहर में बैठते है. यहां एक भी उच्च विद्यालय नहीं है.

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