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बिहार: आनंद मोहन के बेटे ने ‘ठाकुर के कुएं’ की दिलायी याद, राजद से बगावत के बाद चेतन आनंद ने कसा तंज

बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही राजद के तीन विधायकों ने बगावत कर दी और एनडीए के साथ जा मिले. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी और ठाकुर के कुंए का विवाद याद दिलाया.

बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. सोमवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना था. महागठबंधन और एनडीए के नेता अपने-अपने दावे के साथ विधानसभा में प्रवेश किए. विश्वास मत के लिए होने वाली वोटिंग से पहले ही राजद को झटका लगा जब उनके तीन विधायकों ने सदन के अंदर ही खेमा बदल लिया. वहीं राजद से बगावत करके एनडीए के साथ आए आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद ने सोशल मीडिया पर एक तंज भरा पोस्ट किया है.

विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर बनी गहमागहमी के बीच राजद को तब झटका लगा जब स्पीकर को पद से हटाने के लिए चल रही प्रक्रिया से पहले ही तीन विधायकों ने अपना खेमा बदल लिया. पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद और अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने विधानसभा में प्रवेश के साथ ही सत्ता पक्ष से अपनी करीबी बढ़ा ली थी. दोनों विधायक राजद के खेमे से अलग हो गए थे. जिसे लेकर राजद ने अपनी ओर से नाराजगी भी प्रकट की थी.

वहीं जब स्पीकर को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई तो चेतन आनंद, नीलम देवी के साथ प्रह्लाद यादव भी सत्ता पक्ष की ओर जाकर बैठ गए. जिसका विरोध भी तेजस्वी यादव ने किया और कार्यवाहक स्पीकर के सामने नियमों का हवाला देते हुए इसे गलत बताया. वहीं अपने संबोधन में तेजस्वी यादव ने चेतन आनंद को भी निशाने पर लिया.

इधर चेतन आनंद ने सोशल मीडिया पर एक तंज भरा पोस्ट किया है. चेतन आनंद ने अपने फेसबुक अकाउंट से लिखा कि ” ठाकुर के कुएं में पानी बहुत है.. सब को पिलाना है..” इस पोस्ट पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया भी लोग दे रहे हैं. वहीं इससे पहले सदन में बोलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि आज मेरा भाई चेतन आनंद उधर बैठा है. चेतन आनंद को हमने उनके गुण को देखकर टिकट दिया था. उनके पिताजी के नाम पर नहीं बल्कि ये सोचकर कि युवा है राजनीति में आगे आएगा. तेजस्वी यादव ने चेतन आनंद को मजबूर भी बताया.

बता दें कि ‘ठाकुर का कुंआ’ बिहार में सियासी संग्राम का एक मुद्दा बना हुआ था. दरअसल राजद के सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में इसे लेकर एक कविता पढ़ी थी. जिसके बाद इसपर सियासी विवाद छिड़ गया था. राजद में साथ रहते हुए भी चेतन आनंद ने तब इसके विरोध में सुर उठाए थे.

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