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Makar Sankranti 2023 Live: दक्षिणायन से उत्तरायण हुए सूर्यदेव, मकर राशि में शनिदेव के साथ हुए विराजमान

Makar Sankranti 2023 Date Live: बिहार में मकर संक्रांति का पर्व आज (रविवार) है. मकर संक्रांति पर दूध-दही के साथ चूड़ा–गुड़ खाने की परंपरा है. दूध और दही का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ में प्रारंभ से ही होता रहा है. सूर्य आज रात 2 बजकर 53 मिनट पर सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश कर चुके है. आइए जानते है मकर संक्रांति से जुड़ी पूरी डिटेल्स...

लाइव अपडेट

छपरा में जय गंगा मईया के जयघोष से गूंज उठे घाट

छपरा शहर के सोनारपट्टी घाट, धर्मनाथ मंदिर घाट, सीढ़ी घाट, डोरीगंज के तिवारी घाट, बंगाली बाबा घाट, रिविलगंज के गौतम ऋषि घाट, मांझी घाट के श्रीरामघाट पर स्नान करने के लिए महिला-पुरूषों की भीड़ उमड़ी. नदी के घाट हर-हर महादेव और जय गंगा मईया के जयघोष से गूंज उठा. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भीष्म पितामह को मोक्ष मिला था. इस लिए श्रद्धालु मकर संक्रांति पर दान-पुण्य करते हैं। कई लोगों ने तिल, गुड़, चूड़ा-दही, खिचड़ी आदि के साथ लकड़ी व अग्नि भी दान किया.

सूर्यदेव हुए दक्षिणायन से उत्तरायण

शनिवार को रात करीब 2 बजकर 53 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश कर गये हैं. इसके अलावे सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर आज से देवताओं का दिन भी शुरू हो गय

मरीन ड्राइव पर पतंगबाजी कर बच्चों ने किया इंज्वाय

मकर संक्रांति को सेलिब्रेट करने के लिए कई लोग मरीन ड्राइव पहुंचे, जहां उन्होंने पतंगबाजी कर खूब इंज्वाय किया. जबकि कई लोगों ने गंगा की लहरों को देखते अपने दोस्तों और परिवार के साथ चूड़ा-दही का स्वाद चखा और पिकनिक मनाया. वहीं युवक- युवतियों ने खूब मस्ती की और सेल्फी ली. कई बच्चों ने गंगा के किनारे घुड़सवारी का लुत्फ उठाया.

गंगा स्नान से होगी पंच अमृत तत्वों की प्राप्ति

पंडित गजाधर ने बताया कि आज मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन ही महर्षि प्रवहण को प्रयाग के तट पर गंगा स्नान से सूर्य भगवान से पांच अमृत तत्वों की प्राप्ति हुई थी. ये तत्व हैं- अन्नमय कोष की वृद्धि, प्राण तत्व की वृद्धि, मनोमय तत्व यानी इंद्रीय को वश में करने की शक्ति में वृद्धि, अमृत रस की वृद्धि यानी पुरुषार्थ की वृद्धि, विज्ञानमय कोष की वृद्धि यानी तेजस्विता.

राशि के अनुसार करें दान-पुण्य, होगी उन्नति

मेष: जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें.

वृष: जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी.

मिथुन: जल में तिल, दूर्वातथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. गाय को हरा चारा दें. ऐश्वर्यप्राप्ति होगी.

कर्क: जल में दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. चावल- मिश्री-तिल का दान दें.

सिंह: जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें.

कन्या: जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें. गाय को चारा दें. शुभ समाचार मिलेगा.

तुला: सफेद चंदन, दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें.

वृश्चिक: जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. गुड़ दान दें. विदेशी कार्यों से लाभ, विदेश यात्रा होगी.

धनु: जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें.चारों-ओर विजय होगी.

मकर: जल में काले-नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. गरीब-अपंगों को भोजन दान दें. अधिकार प्राप्ति होगी.

कुंभ: जल में नीले-काले पुष्प, काले उड़द, सरसों का तेल-तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. तेल- तिल का दान दें. विरोधी परास्त होंगे.

मीन: हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. सरसों, केसर का दान दें.

सूर्यदेव व शनि की बरसेगी कृपा

भगवान सूर्य शनिदेव के पिता हैं. सूर्य और शनि दोनों ही ग्रह पराक्रमी हैं. ऐसे में जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य की कृपा बरसती है. साथ ही मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है. मकर संक्रांति के दिन तिल निर्मित वस्तुओं का दान शनिदेव की विशेष कृपा को घर परिवार में लाता है. सूर्य मकर से मिथुन राशि तक उत्तरायण में और कर्क से धनु राशि तक दक्षिणायन रहते हैं.

स्नान दान का पर्व ‘मकर संक्रांति’ आज

माघ कृष्ण अष्टमी में चित्रा नक्षत्र और धृति के साथ सुकर्मायोग में आज रविवार को मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. शनिवार को रात करीब 2 बजकर 53 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश कर गये हैं. इसके अलावे सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर आज से देवताओं का दिन भी शुरू हो गया. मकर संक्रांति के साथ ही विगत एक मास से चल रहा खरमास अब खत्म हो जायेगा. इसी के साथ हिन्दुओं के सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे.

तुसारी पूजा की होगी शुरुआत रविवार से

मकर संक्रांति के दिन ही मिथिला में तुसारी पूजा की भी शुरुआत होती है. मकर संक्रांति और फाल्गुन संक्रांति के बीच होने वाला यह पूजा मिथिला की अविवाहित लड़कियां करती हैं. ऐसी धारणा है कि इस दौरान पूजा करने से उन्हें अच्छे वर (पति) की प्राप्ति होती है. लड़कियां इस पूजा में विशेष रूप से अरिपन बनाती हैं, जिसमें एक मंदिर, चंद्रमा, सूर्य और नवग्रह खींचे जाते हैं. इस पूजा की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन होती है, लेकिन इसका निस्तार (समापन) शादी के बाद पहले मकर संक्रांति की शाम (जराउर) को होता है.

दान देते वक्त रखें इस बात का ध्यान 

मकर संक्रांति के शुभ दिन पर गरीबों में दान करने की प्रथा है. यह दान अपने ही गोत्र के लोगों को नहीं दिया जाता है. दान में प्राय: कच्चा अनाज और कच्ची सब्जियों के साथ-साथ तिल, तिल का लड्डू, चावल, दाल, पापड़ और गर्म कपड़े होते हैं. इस दिन मिथिला में मकर मेला भी लगता है और शिव मंदिरों में महादेव की पूजा धूमधाम से की जाती है.

मिथिला में है ये खास परंपरा 

मकर संक्रांति के पर्व को देशभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, मिथिला में भी इस पर्व खास महत्व है. इस बार यह पर्व 15 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन को मिथिला में तिला संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है. तिल संक्रांति इसलिए कि इस दिन हर किसी के लिए तिल खाना अनिवार्य होता है. खासकर बड़े अपनों से छोटों को तिल खिलाते हैं और उनसे वचन लेते हैं कि ‘तिल चाउर (चावल) बहबें न?’ बदले में जवाब आता है, ‘हं’. ऐसा तीन बार पूछा जाता है और तीनों बार जवाब में हां दिया जाता है. कहते हैं कि इसके पीछे उद्देश्य होता है कि बुढ़ापे में वह उनकी सेवा करेगा.

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी

इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना पुण्यकारी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी होता है. देश के विभिन्न मंदिरों को इस दिन विशेष रूप से सजाया जाता है और इसी दिन से शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म हो जाता है. 

संघ पूरे साल में 6 उत्सव मनाता है, उसमें मकर संक्रांति भी एक है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आज देश व समाज को मकर संक्रान्ति से एक दिन पूर्व सामाजिक समरसता कायम करने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि भारत के अमृत काल में मन, समाज, राष्ट्र की कमजोरी दुर्बलता को दूर करना पडे़गा. संघ पूरे साल में 6 उत्सव मनाता है उसमें मकर संक्रांति भी एक है.

छपरा के राजेंद्र स्टेडियम में होगी पतंगबाजी

छपरा के राजेंद्र स्टेडियम में स्थानीय युवकों की टीम द्वारा पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है. शहर में पतंग के लिए बनायी गयी छोटे-छोटे दुकानों पर पांच रुपये से लेकर 250 रुपये तक के आकर्षक पतंग उपलब्ध है.

छपरा के मौना चौक पर लगेगा दही का मेला

मकर संक्रांति पर छपरा के मौना चौक पर दही का मेला लगता है. छपरा में मकर संक्रांति के दिन सुबह सात बजे से ही शहर के मौना चौक का नजारा देखने लायक रहता है. गांव-देहात से माथे पर मटकी में दही लिए सैकड़ों ग्रामीण दही बेजने के लिए मौना चौक पर इकट्ठा होते है.

कल से सभी शुभ कार्य शुरू

14 जनवरी दिन शनिवार यानि आज रात में सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य शनि की राशि मकर में गोचर करेगे. सूर्य के गोचर के बाद खरमास की समाप्ति होगी तथा इस दिन से सभी शुभ कार्य होने लगेंगे.

उत्तरायण की ओर प्रस्थान प्रारंभ करेंगे सूर्यदेव

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार, 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सूर्यदेव उत्तरायण की ओर प्रस्थान प्रारंभ करेंगे. इसी के साथ खरमास की समाप्ति होगी और विवाह आदि शुभ कार्यो की शुरुआतहोगी.

कल चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन मनाया जायेगा मकर संक्रांति का पर्व

भगवान सूर्य आज (शनिवार) 14 जनवरी की देर रात 02:53 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सनातन धर्म में उदया तिथि से पर्व मनाने की परंपरा रही है. ऐसे में कल माघ कृष्ण अष्टमी रविवार यानी 15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की अनोखी परंपरा

सूर्य के उत्तरायण होने से उसके प्रकाश में तेज आ जाती है. इस सर्दी के मौसम में धूप का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है. मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का मुख्य कारण है कुछ समय सूर्य के प्रकाश में बिताना. इस मौसम में सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक के साथ त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है.

मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को, शंका समाधान

मकर संक्रांति का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है. बीते कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि और पुण्यकाल को लेकर उलझन की स्थिति ज्यादा बनने लगी है. दरअसल इस उलझन के पीछे खगोलीय गणना है. जब सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है, उस समय को मकर संक्रांति कहते है. सूर्य आज रात में गोचर कर रहे है. इसलिए मकर संक्रांति रविवार को मनाया जाएगा.

मकर संक्रांति पर दही-गुड़ की जबर्दस्त डिमांड

पटना में मकर संक्रांति के लिए भागलपुरी कतरनी चूड़ा की डिमांड अधिक है. हालांकि 37 से 40 रुपये किलो वाले सामान्य चूरा भी लोग खरीद रहे हैं. लाई के लिए इस चूड़ा की डिमांड अधिक है. इस बार मकर संक्रांति पर दही-गुड़ की जबर्दस्त डिमांड है.

भीषण ठंड पर आस्था भारी, गंगा में डुबकी लगा रहे श्रद्धालु

पटना में गंगा स्नान करने के लिए गंगा घाट पर लोगों की भीड़ उमड़ी है. मकर संक्रांति के मौके पर लोग गंगा में डुबकी लगा रहे है. भीषण ठंड पर आस्था भारी पड़ी है. जिला प्रशासन ने मकर संक्रांति को देखते हुए तैयारी पूरी की है.

आज स्नान-दान करने पर नहीं मिलेगा लाभ

सूर्य शनिवार की रात 2 बजकर 53 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. हिंदू धर्म में उदया तिथि को पर्व मनाने की परंपरा है. इसलिए 15 जनवरी दिन रविवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. आज सूर्य का गोचर मकर राशि में रात में होगा. इसलिए आज स्नान दान करने पर उसका फल नहीं मिलेगा.

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने का विधान

मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में गंगा स्नान करने से शारीरिक कष्ट का नाश होता है. इस दिन गंगा स्नान कर दान करने का विधान है.

चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन मनाया जाएगा मकर संक्रांति

कल माघ कृष्ण अष्टमी रविवार यानी 15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. कल ग्रहों के राजा सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जायेंगे.

15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन की होगी संक्रांति

सूर्य आज (शनिवार) 14 जनवरी की देर रात 02 बजकर 53 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सनातन धर्म में उदया तिथि से पर्व मनाने की परंपरा रही है. इसलिए मकर संक्रांति का पर्व कल दिन रविवार को मनाया जाएगा.

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