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मिर्गी के दौरे कैसे पहचानें? शुरुआती क्षणों में कैसे करें मरीज की मदद

दौरे मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि का परिणाम हैं. गतिविधि के बढ़ने से सामान्य कामकाज बाधित होता है और प्रभावित मस्तिष्क क्षेत्र में अति सक्रियता शुरू हो जाती है, जो फिर शरीर के संबंधित हिस्से को प्रभावित कर सकती है.

लगभग 26 में से 1 व्यक्ति को मिर्गी होती है, एक ऐसी स्थिति जिसमें किसी को बार-बार और बिना उकसावे के दौरे पड़ते हैं. लेकिन, दौरा पड़ने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि व्यक्ति को मिर्गी है. अन्य चीजों के अलावा, सिर में गंभीर चोट लगने, शराब छोड़ने और उच्च रक्त शर्करा के कारण दौरे पड़ सकते हैं. लगभग 10 में से 1 व्यक्ति को अपने जीवनकाल के दौरान दौरे का अनुभव होता है. द कन्वरसेशन ने मिर्गी में विशेषज्ञता रखने वाले न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जैकब पेलिनेन से पूछा कि किसी अजनबी या प्रियजन को दौरा पड़ने वाला है इस बात की पहचान कैसे की जाए, और दौरा शुरू होने के बाद उन महत्वपूर्ण क्षणों में क्या करना चाहिए.

दौरा पड़ने पर क्या होता है?

यह बदलते रहता है. कुछ लोगों के लिए, दौरा पूरी तरह से आंतरिक अनुभूति है. एक अप्रशिक्षित पर्यवेक्षक को ऐसा प्रतीत हो सकता है जैसे कुछ भी गलत नहीं है. वास्तव में, मिर्गी से पीड़ित अधिकांश लोगों को पहले केवल अपेक्षाकृत सूक्ष्म, गैर-ऐंठन वाले दौरे पड़ते हैं, फिर समय के साथ ऐंठन वाले दौरे विकसित होते हैं. लेकिन, कुछ अन्य लोगों को दौरा पड़ने पर अचेत होने के साथ पूरे शरीर में ऐंठन का अनुभव होता है. यह दौरे का वह प्रकार है जिससे हममें से अधिकांश लोग परिचित हैं, शायद इसलिए कि यह वह प्रकार है जिसे फिल्मों और टेलीविजन पर सबसे अधिक बार दिखाया जाता है, हालांकि हमेशा सटीक रूप से नहीं. यह दौरे का सबसे खतरनाक प्रकार भी है. इस प्रकार के दौरे अचानक, अकारण और कुछ मिनटों तक चलते हैं. ऐंठन और अचेतना की स्थिति से उबरने के बाद, व्यक्ति आमतौर पर कई मिनटों से लेकर कई घंटों तक थका हुआ और भ्रमित रहता है. यदि किसी को मिर्गी है, तो उन्हें जो दौरे पड़ते हैं, वे हर बार एक जैसे ही होंगे. मिर्गी के दौरे का सबसे आम प्रकार वे हैं जो फोकल होते हैं – यानी, वे मस्तिष्क के एक सीमित क्षेत्र से उत्पन्न होते हैं. यह कुल मिलाकर दो-तिहाई मामलों और 25 वर्ष की आयु के बाद होने वाले 99 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं. मिर्गी के दौरे गैर-ऐंठन वाले लक्षणों के साथ शुरू हो सकते हैं, जिनमें घूरना, गैर-जिम्मेदारी, किसी हरकत को बार-बार दोहराना और विशुद्ध रूप से आंतरिक संवेदनाएं शामिल हैं, जो या तो रुक जाती हैं या फिर ऐंठन और अचेतना तक बढ़ जाती हैं.

दौरा पड़ने का क्या कारण है?

दौरे मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि का परिणाम हैं. गतिविधि के बढ़ने से सामान्य कामकाज बाधित होता है और प्रभावित मस्तिष्क क्षेत्र में अति सक्रियता शुरू हो जाती है, जो फिर शरीर के संबंधित हिस्से को प्रभावित कर सकती है. उदाहरण के लिए, यदि दौरा हाथ की गति में शामिल मस्तिष्क के हिस्से से उत्पन्न होता है, तो वह हाथ अनैच्छिक अति सक्रियता का अनुभव करेगा.

यदि आप किसी को दौरा पड़ते देखें, तो कैसे मदद कर सकते हैं?

सबसे पहले, व्यक्ति को सुरक्षित रखें. दौरे से संबंधित कई चोटें गिरने या तेज या कठोर वस्तुओं के संपर्क में आने के कारण होती हैं. यदि वे गिरने लगें, तो उन्हें यथासंभव धीरे से फर्श पर सहारा दें और उनके सिर के नीचे कोई नरम चीज़ रखें. दौरे के ऐंठन चरण के दौरान, सांस लेने में बाधा आ सकती है. इसलिए व्यक्ति को करवट देकर लिटाएं ताकि वे अधिक आसानी से सांस ले सकें. उनके मुँह में कोई वस्तु न डालें. यह अनावश्यक और खतरनाक हो सकता है। उन्हें रोकें नहीं या उन पर चिल्लाएं नहीं. इनमें से कोई भी चीज़ दौरे को नहीं रोकेगी. हालाँकि, मिर्गी से पीड़ित हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता है, फिर भी किसी भी दिखाई देने वाली चिकित्सीय पहचान जैसे कि रिस्टबैंड की जाँच करें. यदि उनके शरीर में ऐंठन बंद हो जाती है, लेकिन वह अचेत बने रहते हैं, तो उन्हें करवट दे कर लिटाए रखें और उनकी सांस लेने पर निगरानी रखें.

दौरे के बाद, और जैसे ही व्यक्ति धीरे-धीरे ठीक हो जाता है और जाग जाता है, उन्हें सुरक्षित स्थान पर बैठने में मदद करें. यदि वे भ्रमित हैं, तो उन्हें कुछ देर बिठाए रखें और सड़कों, सीढ़ियों या प्लेटफार्मों के पास जाने न दें। जब तक उनकी चेतना पूरी तरह से लौट न आए, उन्हें पानी या भोजन न दें. जब तक वे पूरी तरह से सचेत न हो जाएं, तब तक उनके साथ रहें. उन्हें यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि क्या हुआ, और आगे मदद करने की पेशकश करें. समय का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. यदि दौरे पांच मिनट से अधिक समय तक रहते हैं या यदि वे एक के बाद एक समूह में आने लगते हैं, जैसे कि जब कोई व्यक्ति पहले से पूरी तरह से ठीक होने से पहले ही दूसरा दौरा शुरू कर देता है, तो 911 पर कॉल करें. ये दोनों जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली आपात दुर्लभ स्थितियां हैं.

आपको इन स्थितियों में 911 पर कॉल करना चाहिए

यदि व्यक्ति को सांस लेने में लगातार कठिनाई हो रही हो तो ; यदि व्यक्ति को पानी में दौरे पड़ते हैं या वह गर्भवती है; यदि यह पहली बार है कि उन्हें दौरा पड़ा है; या यदि उन्हें मिर्गी के निदान के बिना दौरा पड़ता है. हालाँकि, यदि मिर्गी से पीड़ित किसी व्यक्ति को आदतन दौरे का अनुभव होता है, वह पूरी तरह से ठीक हो जाता है और उसे कोई चोट नहीं लगती है, तो उसे आगे की जांच के लिए आपातकालीन कक्ष में जाने की आवश्यकता शाायद न हो. हालाँकि, उन्हें अपने डॉक्टर से बात करते रहना चाहिए.

क्या नए उपचार उपलब्ध हैं?

मिर्गी से पीड़ित लोगों, विशेष रूप से जिन्हें बार-बार दौरे पड़ते हैं, उनके पास अक्सर आपातकालीन दवाएं होती हैं. सबसे आम आपातकालीन दवाएं – जिन्हें दौरा बचाव दवाएं भी कहा जाता है – एक प्रकार की एंटीकॉन्वेलेंट्स हैं जिन्हें बेंजोडायजेपाइन कहा जाता है. सबसे आम उपयोग डायजेपाम, क्लोनाज़ेपम, लॉराज़ेपम और मिडाज़ोलम हैं। सभी तेजी से असर करने वाली दवाएं हैं. कुछ निगलने वाली गोलियाँ हैं, अन्य गाल में या जीभ के नीचे रखी जाने वाली घुलनशील गोलियाँ हैं, और कुछ नाक में किए जाने वाले स्प्रे या मलाशय में डाले जाने वाले जैल हैं. मरीजों और उनके देखभाल करने वालों के पास बचाव दवाओं तक पहुंच होती है और उन्हें पता होता है कि उनका उपयोग कैसे करना है.

एक चेतावनी नोट

यदि दवा गोली के रूप में है, और यदि व्यक्ति ऐंठन वाले दौरे के बीच में है, तो गोली उनके मुंह में न डालें. लेकिन याद रखें: सभी दौरे ऐंठन वाले नहीं होते हैं या अचेतना का कारण नहीं बनते हैं. इसलिए यदि कोई व्यक्ति जाग रहा है और सतर्क है, तो वह एक गोली निगलने में सक्षम हो सकता है. यदि यह दौरा नहीं है तो क्या होगा? यदि आप किसी व्यक्ति को न्यूनतम प्रतिक्रियाशील देखें और वह आपकी बात का जवाब नहीं दे पाता है, तो 911 पर कॉल करें. वे अन्य चिकित्सा समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं, जैसे कि दवा की अधिक मात्रा. यदि आप दौरे की प्राथमिक चिकित्सा के लिए प्रशिक्षण और प्रमाणन में रुचि रखते हैं, या यदि आप बस इस बारे में कुछ अधिक जानना चाहते हैं, तो मिर्गी फाउंडेशन के पास अधिक जानकारी है.

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