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अपने लिए भी करें किचन से दोस्ती

आमतौर पर महिलाएं कहती भी हैं कि उसे खुद के लिए कुछ बनाना, खाना रुचता नहीं. मगर इसी कारण वह कमजोर और चिड़चिड़ेपन का शिकार भी होती चली जाती है. एक स्त्री के मन से जानिए किचन से दूर होती जा रही महिलाओं का मन क्या कहता है…

आज महिलाओं का एकल जीवन आम होता जा रहा है. वे अपनी जॉब पूरे कमिटमेंट से करती हुई आगे बढ़ रही हैं, मगर पीछे छूट गयी तो खुद के लिए रुचिकर खाना बना कर खाने की आदत. जिस कारण वह आधा वक्त बाहर से खा कर काम चलाती है, तो कई बार आधा वक्त भूखी ही रहती है. आमतौर पर महिलाएं कहती भी हैं कि उसे खुद के लिए कुछ बनाना, खाना रुचता नहीं. मगर इसी कारण वह कमजोर और चिड़चिड़ेपन का शिकार भी होती चली जाती है. एक स्त्री के मन से जानिए किचन से दूर होती जा रही महिलाओं का मन क्या कहता है…

आज स्त्री, पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. अब वह न केवल घर, बल्कि बाहर की दुनिया भी संभाल रही है. उस स्थिति में स्त्री के गुणों में भी परिवर्तन आया है. एक बड़ा बदलाव जो आज देखने को मिल रहा है, वह यह है कि आज महिलाएं नौकरी, पढ़ाई व अन्य कई कारणों से भी अकेले रह रही हैं. यह बदलाव सुखद है. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब घर का पुरुष बाहर जाता है, तो स्त्री उसके लिए भोजन आदि की व्यवस्था करती है, मगर जब महिला बाहर निकलती है, तो उसके पीछे कोई खड़ा नहीं रहता, जो यह भी पूछे कि ‘तुमने खाया या नहीं’?

वैसे भी भारतीय परिवेश में कुकिंग को एक तरह से महिलाओं के हिस्से डाल दिया गया है, लेकिन आज उनकी प्राथमिकताएं बदल गयी हैं. जाहिर सी बात है कि इससे लड़कियों का पाक कला के प्रति रुझान भी बदल रहा है. उस पर भी जब कोई महिला परिवार के साथ रहती है, तो उनकी पसंद के हिसाब का बनाती है, मगर समस्या तब आती है जब वह अकेली रहती है. उसे खुद के लिए कुछ बनाना, खाना रुचता नहीं. ऐसे में वह कमजोर और चिड़चिड़ेपन का शिकार होती चली जाती है.

इसके अलावा हर समय घर और बाहर का काम करते-करते महिलाएं इतनी ऊब जाती हैं कि मौका हो तो भी वे अपनी पसंद का खाना नहीं बनाना चाहती. 45 वर्षीया सुनंदा बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद प्रायः अकेले खाना खाती है. वह कहती हैं, ‘‘पति की जॉब ऐसी है कि वे घर पर ज्यादातर रहते नहीं. मैं भी अपने काम से दिन भर बाहर रहती हूं. ऐसे में खिचड़ी खाकर काम चला लेती हूं और कभी-कभी तो मैगी ही.’’

आज महिलाओं का एकल रहना आम होता जा रहा है. वे अपनी जॉब पूरे कमिटमेंट से करती हुई आगे बढ़ रही हैं, मगर पीछे छूट गयी तो खुद खाना बना कर खाने की आदत. जिस कारण वह आधा वक्त बाहर से खा कर काम चलाती है, तो आधा वक्त भूखी ही रहती है, पर खुद खाना नहीं बनाना चाहती.

इस बेरुखी की क्या है वजह

सबके लिए अन्नपूर्णा बन जाने वाली स्त्री अगर स्वयं के लिए कुछ नहीं बना रही है, तो इसके कारण जानने की जरूरत है, क्योंकि रोज-रोज की लापरवाही उनके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है. इस उम्र में उनके शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव और ज़्यादा केअर की डिमांड करते हैं. आइये जानने की कोशिश करते हैं उन कारणों को.

अपने लिए कौन खाना बनाये

एक अकेली महिला को अपने जीवन में कहीं न कहीं एक बात कचोटती रहती है कि वह अकेले जीवन जी नहीं रही, बल्कि काट रही है. इस वजह से उस के मन से पहली आवाज यही आती है कि वह खाना क्यों और किसके लिए बनाये. दूसरा कोई साथ हो तभी खाना बनाना अच्छा लगता है और जरूरी भी. अकेले के लिए कौन बनाये. यही बात दिमाग में आते ही महिला किचन से नाता तोड़ देती है.

थकान पड़ती है भारी

कई बार ऐसा होता है कि अकेले इंसान को ढेर सारे काम निबटाने पड़ते हैं. एकल महिला होने के कारण दिनभर की भागदौड़ करने के बाद वह बहुत अधिक थक जाती है. उस के पास थकावट के कारण इतनी हिम्मत नहीं बचती कि रसोई की ओर देखे भी. इस कारण कुछ हेल्दी फूड बनाना छोड़कर बाजार से रेडीमेड ही मंगवा कर खा लेना ज्यादा पसंद करती है.

मुझे भी तो ठाट से रहने का हक

एक और महत्वपूर्ण बात महिलाओं को परेशान करती है. उनके मन में कभी-कभी यह भावना भी आ जाती है कि जब वह पुरुषों की तरह कमा रही है, तो भला कुकिंग वह क्यों करें! ‘मुझे भी तो ठाट से रहने का हक है’. बस इसी मानसिकता के कारण भी वे किचन से दूर हो जाती हैं. जबकि खाने से स्त्री या पुरुष होने का कोई संबंध नहीं होता. अस्वास्थ्यकर भोजन किसी को भी बीमार कर सकता है.

समय की कमी बड़ा सताये

एकल महिला के पास समय की कमी का होना भी एक मुख्य कारण है, जिसके कारण वह खाना बनाने के झंझट से भागती है, क्योंकि जितनी देर में सब्जी लायेगी, राशन-पानी इकट्ठा करेगी, फिर खाना बनायेगी, उतनी देर में वह अपना एक जरूरी काम पूरा कर लेगी. समय सीमा में बंधी स्त्री मजबूरीवश भी भोजन बनाना छोड़ देती है. ये वे मुख्य कारण हैं, जिन के चलते एकल स्त्री अपने लिए खाना नहीं बनाना चाहती, पर कई वजह हैं जिनके कारण अकेले रह रही स्त्री को अपने लिए खाना बनाना ही चाहिए.

क्या कहती हैं न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट

एक महिला जन्म से लेकर बुढ़ापे तक विभिन्न प्रकार के हार्मोन केपरिवर्तनों से गुजरती है. ऐसे में अपने स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखने की जरूरत ज्यादा होती है. महिलाएं परिवार के सभी सदस्यों का ध्यान रखती हैं. हर रीति-रिवाज के अनुसार व्रत रखती हैं. मगर अपने लिए खाना बनाने की बारी आती ही जो बचा है, उसी से काम चला लेती है. कभी-कभी तो बस चाय- टोस्ट, पैक्ड फूड या बाहर के खाने से काम चला लेती हैं. जबकि बढ़ती उम्र के साथ उन्हें ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है. उन्हें अपने भोजन में विभिन्न प्रकार के बीजों को भी शामिल करना चाहिए, जैसे चिया, अलसी, सूरजमुखी, तरबूज व कद्दू के बीज. पर्याप्त पानी पीना चाहिए. विटामिन ए, बी, सी, डी तथा कैल्शियम के लिए दूध, दही, रागी, पत्तेदार सब्जियां और सलाद को भी भोजन में शामिल करना चाहिए, क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही स्वस्थ परिवार का निर्माण कर सकती है.

पूनम, न्यूट्रिशनिस्ट, जयपुर

हेल्थ इज वेल्थ

एक बड़ी अच्छी कहावत है- ‘हेल्थ इज वेल्थ’. यानी सेहत से बढ़कर कुछ नहीं. अगर आप सेहतमंद हैं, तो ही कुछ कर पायेंगी. इसके लिए जरूरी है कि आप घर का बना खाएं, क्योंकि घर में बना खाना जितना शुद्ध होता है, उतना बाहर का बना खाना नहीं होता. घर के खाने में जहां कम घी, तेल, मिर्च-मसालों को वरीयता दी जाती है, वहीं बाहर के खाने में इसका उलटा ही होता है, यानी चिकनाई व मिर्च-मसालों की भरमार. इसलिए अपना खाना स्वयं बनाएं और सेहतमंद रहें.

होगी पैसों की बचत

आज आसमान छूती महंगाई में जहां जीवन की जरूरतों को पूरा करना कठिन हो चला है, उस स्थिति में अगर रोज-रोज बाहर का खाना खायेंगे, तो हेल्थ और वेल्थ दोनों बिगड़ सकता है. एकल महिला घर पर स्वयं ही खाना बनायेगी, तो पैसे की भी बचत हो सकती है. बाहर के खाने का वैसे भी भरोसा नहीं कि क्वालिटी क्या होगी. बाहर से मंगाया खाना हमेशा ज्यादा पोर्शन वाला होता है और फिर ज्यादा खा लिया जाता है. नतीजतन खराब स्वास्थ्य!

कभी मेजबान बनें

हमेशा अकेले भोजन करते हुए अगर मन ऊब गया हो तो एक काम कर सकती हैं. अपनी कुछ दोस्तों को खाने पर बुलाएं. एक अच्छी मेजबान बनकर उनकी पसंद का कुछ बनाएं. चाहें तो उन्हें भी इस काम में हाथ बंटाने का अवसर दें. इससे माहौल खुशनुमा हो जायेगा. जीवन की एकरसता टूटेगी और किचन के प्रति आपकी उदासी भी दूर होगी.

सामंजस्य बनाये रखें

अकेले रहना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता. कई बार वह मजबूरी से अकेले रहती है, तो कभी परिस्थितिवश. उन परिस्थितियों में एकल युवती को चाहिए कि वह अपनी परिस्थिति को समझे और अपने दिल और दिमाग से ‘एकल’ शब्द को निकाल कर अपना खाना स्वयं जरूर बनाये और खाये. उन्हें बाकी के कामों की तरह स्वयं के लिए भी समय निकालना चाहिए. इस तरह की सकारात्मक सोच ही एक एकल युवती को खाना बनाने के लिए प्रेरित कर सकती है. मनोचिकित्सकों के अनुसार कितनी युवतियां होती हैं, जिन्हें यही समस्या होती है. वे अपने लिए सोचना नहीं चाहतीं.

अपनी सेहत के लिए उठाएं कदम

सबसे पहले आप सप्ताह भर का मैन्यू बना कर रखें और उसके अनुसार ही भोजन बनाएं. इससे कई लाभ मिलेंगे. जैसे समय पर सही ताजा भोजन मिलेगा. खालीपन दूर होगा. पैसे की बचत होगी और सबसे जरूरी आप को अपना जीवन सजीव लगेगा. इसलिए सभी अकेली रह रहीं महिलाओं को चाहिए कि वे अपना भोजन रोज व स्वयं बनाएं. अगर नहीं बनाती हैं, तो बनाने की आदत डालें और जीवन को पूर्णता व सजीवता के साथ जीएं, क्योंकि एकल होना जीवन में आ रही परिस्थितियों का ही एक हिस्सा है. यह अभिशाप नहीं. इसलिए खुल कर जीएं.

यह फिल्म दिखाती है किचन में कैद स्त्री का दर्द

साल 2001 में आयी तमिल फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ में दिन-रात घर में, किचन में कैद रहनेवाली महिलाओं का दर्द, उनकी झुंझलाहट को बखूबी दिखाया गया है. यह विषय भले छोटा सा लगता है, मगर एक शादीशुदा जोड़े पर केंद्रित यह फिल्म दिखाती है कि किस तरह परिवार के लोग एक महिला को केवल मातृत्व सुख देने और सबकी दिन-रात देखभाल करनेवाली सेवादार ही समझते हैं. एक गिलास पानी के लिए भी लोग औरत पर ही हुक्म चलाते हैं. अगर वह अपनी पहचान गढ़ने के लिए घर के बाहर निकलना चाहती है, तो उसे बताया जाता है कि उसका कर्तव्य घर में ही रहना है और यही उसकी दुनिया है. खाने-पीने में पति की पसंद का ख्याल रखना, इसमें उन तमाम छोटी-छोटी बातों को दिखाया गया है, जिससे एक स्त्री को अपने ही घर के किचन से नफरत हो जाती है.

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सकारात्मक सोच पैदा करता है शिल्पा का फूड शो

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के फिटनेस के लाखों फैंस दीवाने हैं. जानकर आश्चर्य होगा कि शिल्पा बेहद फूडी हैं. उन्हें जब भी मौका मिलता है, तो पसंद का खाने से वह नहीं चूकतीं. अक्सर शिल्पा अपने सोशल मीडिया पर तरह-तरह के रेसिपी शेयर करती रहती हैं. साथ ही ‘शिल्पा शेट्टी कुंद्रा’ नाम से उनका यूट्यूब फूड चैनल भी है, जिस पर एक से बढ़कर एक लजीज व आसानी से बननेवाले व्यंजन की रेसिपी बताती हैं. शिल्पा कई बार बच्चों की खास पसंद को ध्यान में रखकर भी रेसिपी शेयर करती हैं. इन दिनों शिल्पा के स्टाइल में पालक वाली दाल और सरसों दा साग वाला शो खूब देखा जा रहा है. शिल्पा का यह अंदाज खाना बनाने के प्रति आपके अंदर एक सकारात्मक सोच पैदा करता है.

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