जमशेदपुर विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को सलाह दी है कि वे वित्त स्थिति पर एक श्वेत-पत्र जारी करें. जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने थे तो उनके पूर्व की सरकार की वित्तीय स्थिति के बारे में उन्होंने एक श्वेत-पत्र जारी किया था. बिष्टुपुर स्थित आवासीय कार्यालय में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा कि 23 फरवरी से शुरू होने वाला बजट सत्र अप्रत्याशित रूप से छोटा है. जबकि 2020 में 18 कार्य दिवस, 2021 में 16, 2022 में 17, 2023 में भी 17 कार्य दिवस थे. जबकि 2024 में मात्र सात दिन तय किये गये हैं.श्री राय ने कहा कि बजट सत्र छोटा करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि मंत्री परिषद के विस्तार के बाद चंपाई सोरेन की सरकार अस्थिर है. बजट सत्र के प्रत्येक दिन बजट की वित्तीय मांगों पर मतदान होता है. वित्तीय मामलों के मतदान में अगर सरकार जरूरी संख्या नहीं जुटा पाती है, तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है. इससे बचने के लिए सरकार ने बजट सत्र छोटा किया होगा. उन्होंने कहा कि इस सरकार को विगत चार वर्षों का लेखा-जोखा सदन में प्रस्तुत करना चाहिए. झारखंड की पंचम विधानसभा का यह अंतिम बजट सत्र है.विधायक ने कहा कि अभी तक सरकार पुराने बजट की योजनाओं पर मुश्किल से 55-60 प्रतिशत खर्च कर पायी है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र एक माह शेष हैं, शेष राशि खर्च करने के लिए पार्ट-2 सरकार के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है. वे सत्र में अपने सवालों का जवाब मांगेंगे, जिन्हें हेमंत के कार्यकाल में उठाया गया था.श्री राय ने बताया कि सात दिन के बजट सत्र में बजट पर चर्चा के लिए मात्र तीन कार्य दिवस बचेंगे. सरकार यदि बजट के लिए तैयार नहीं थी, तो उसे तीन महीने का लेखा अनुदान विधानसभा से ले लेना चाहिए और पूरा बजट जून महीना में पास करना चाहिए.
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वित्तीय मांगों पर मतदान होने पर कहीं चंपाई सरकार गिर न जाये, इसलिए बजट सत्र किया गया छोटा : सरयू राय
श्री राय ने बताया कि सात दिन के बजट सत्र में बजट पर चर्चा के लिए मात्र तीन कार्य दिवस बचेंगे. सरकार यदि बजट के लिए तैयार नहीं थी.
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