सरल और सुरक्षित होने के कारण देश में तो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) का इस्तेमाल लगातार बढ़ ही रहा है. अब कई देशों में भी इसे अपनाया जा रहा है. जनवरी में भारत में यूपीआइ के जरिये 18.41 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जो बीते दिसंबर की तुलना में लगभग एक प्रतिशत अधिक है. यदि जनवरी 2023 की तुलना में देखें, तो इस वर्ष जनवरी में 42 फीसदी ज्यादा भुगतान हुआ है. पिछले महीने भुगतान की संख्या 1,202 करोड़ रही, जो जनवरी 2023 से 52 प्रतिशत अधिक है. देश में इस सफलता को देखते हुए कई देश इस भुगतान प्रणाली की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने विकसित किया है. अब तक श्रीलंका, मॉरीशस, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान और नेपाल में आधिकारिक रूप से यूपीआइ को मान्यता मिल चुकी है. भूटान में यह सुविधा 2021 से ही है.
उल्लेखनीय है कि भूटान न केवल यूपीआइ को अपनाने वाले प्रारंभिक देशों में है, बल्कि रूपे क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने वाला भी शुरुआती देश है. यूरोप में फ्रांस यूपीआइ को अपनाने वाला पहला देश है. फ्रांस की सरकार ने कहा है कि फ्रांस और यूरोप में जल्दी ही बहुत से कारोबारी इसे अपनायेंगे. इससे भारतीय यात्रियों को बहुत आसानी होगी. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की है, जो अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. इस यात्रा के दौरान अमीरात में यूपीआइ और रूपे बैंक कार्ड के उपयोग का महत्वपूर्ण समझौता हुआ है.
उल्लेखनीय है कि अमीरात समेत खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय कार्यरत हैं. इसके अलावा भारत से वहां जाने वाले यात्रियों की तादाद भी बड़ी है. अमीरात और पड़ोस के देशों के लोग भी भारत आते रहते हैं. इन सभी के लिए भुगतान और लेन-देन में सहूलियत होगी. ओमान में भी इस भुगतान प्रणाली को लागू करने का समझौता हो चुका है. हाल में भारत के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि श्रीलंका और मॉरीशस में यूपीआइ की सुविधा शुरू हो गयी है. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इन दो देशों में यूपीआइ और रूपे कार्ड की सुविधा का उद्घाटन किया है. दक्षिण-पूर्वी एशिया में मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और हांगकांग में भी यूपीआइ प्रणाली जल्दी ही काम करने लगेगी. जानकारों का मानना है कि सात देशों की यह सूची लगातार बढ़ती जायेगी. अभी कुछ बैंक ही यूपीआइ के अंतरराष्ट्रीय भुगतान की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. अधिक बैंकों के जुड़ने से यूपीआइ को अपनाने की गति भी बढ़ेगी. यह विस्तार भारत की अर्थव्यवस्था में विश्वास तथा डिजिटल तकनीक की क्षमता का परिचायक है.