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भागलपुर के आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बेहाल, कहीं जर्जर भवन तो कहीं स्कूल का बरामदा बना बच्चों का ठिकाना

सबौर नगर पंचायत के वार्ड सात स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की संख्या अच्छी खासी दिखी. सेविका मिनी कुमारी ने बताया कि किराये पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र पर खाना बनाने के लिए सिर्फ चूल्हा दिया गया है

गौतम वेदपाणि, भागलपुर. सबौर के रजंदीपुर पंचायत स्थित बाबूपुर गांव के दो नंबर वार्ड के जिस आंगनबाड़ी केंद्र पर सरकार ने सिंगल बर्नर वाला गैस चूल्हा उपलब्ध कराया है, वहां अबतक गैस सिलिंडर की आपूर्ति नहीं की गयी है. मजबूरीवश सेविका आभा कुमारी व सहायिका को मकई का डंठल जलाकर बच्चों के लिए खाना गर्म करना पड़ रहा है. एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) द्वारा सबौर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रभात खबर पड़ताल के दौरान कई समस्याएं दिखीं.

बाबूपुर गांव के केंद्र की सेविका व सहायिका का कहना था कि बीते 27 जनवरी को सीडीपीओ सबौर कार्यालय सिंगल बर्नर का चूल्हा मिला, लेकिन गैस सिलिंडर नहीं मिलने के कारण रोजाना मिट्टी का चूल्हा जलाना पड़ रहा है. चूल्हे के धुएं से बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्र में खाना बनाने के लिए बर्तन भी नहीं मिला है. रोजाना घर से खाना बनाकर लाते हैं, फिर घर की ही थाली में बच्चों को खिलाते हैं. यह कहानी सिर्फ बाबूपुर आंगनबाड़ी केंद्र की नहीं है, बल्कि सबौर समेत जिले के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों की है. अधिकांश केंद्रों पर बच्चों के लिए खाना बनाने के लिए न ही बर्तन न ही एलपीजी गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया गया है. जाहिर है जैसे-तैसे बच्चों को खाना परोसा जा रहा है. हर आंगनबाड़ी केंद्र पर औसतन 30-35 बच्चे हैं.

अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों को नहीं मिली है समुचित जगह

आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति जानने के लिए प्रभात खबर ने सबौर के विभिन्न पंचायतों के चार आंगनबाड़ी केंद्र का जायजा लिया. हर जगह स्थिति जस की तस मिली. प्रभात खबर टोली सबसे पहले बरारी पंचायत के नवटोलिया चौका स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची. भवन काफी जर्जर स्थिति में दिखा. दोपहर 12 बजे केंद्र में बच्चों की संख्या काफी कम दिखी. किचेन बंद रहने पर सेविका नूतन कुमारी ने बताया कि घर से खाना लाकर खिलाते हैं. अबतक सिर्फ गैस चूल्हा मिला है. गैस सिलेंडर का पता नहीं.

सबौर के रजंदीपुर पंचायत का आंगनबाड़ी केन्द्र 1
भागलपुर के आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बेहाल, कहीं जर्जर भवन तो कहीं स्कूल का बरामदा बना बच्चों का ठिकाना 2

वहीं सबौर नगर पंचायत के वार्ड सात स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की संख्या अच्छी खासी दिखी. सेविका मिनी कुमारी ने बताया कि किराए पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र पर खाना बनाने के लिए सिर्फ चूल्हा दिया गया है, सिलेंडर नहीं मिला है. इधर, सबौर के मध्य विद्यालय आर्यटोला आंगनबाड़ी केंद्र को एक भी कमरा नहीं दिया गया है. स्कूल के बरामदे पर ही बच्चों का पठन पाठन हो रहा. इसी जगह खाना भी खिलाया जा रहा है. सेविका सरोजनी कुमारी ने बताया कि भीषण ठंड व गर्मी के समय खूब समस्या होती है. बच्चों के लिए कम से कम एक कमरा मिलना चाहिये. बता दें कि अधिकांश केंद्रों पर शौचालय की भी व्यवस्था नहीं देखी गयी.

चूल्हे की क्वालिटी घटिया, कीमत में भी हेरफेर

पड़ताल के दौरान पता चला कि सबौर में बांटे गये सिंगल बर्नर चूल्हे की क्वालिटी घटिया है. इसका वजन करीब सवा किलो है. जबकि बच्चों का खाना बनाने के लिए मजबूत चूल्हे की जरूरत है. इसपर बड़े बर्तन में खाना बनाना काफी मुश्किल भरा होगा. सभी केंद्रों पर सूर्या कंपनी का चूल्हा दिया गया है. इसके पैकेट पर इसकी कीमत 1499 रुपये अंकित है. जबकि समाज कल्याण विभाग ने हर आंगनबाड़ी केंद्र के लिए दो गैस सिलेंडर के लिए 5017 रुपये व सिंगल बर्नर के चूल्हे के लिए 1483 रुपये का आवंटन दिया है. सरकारी चूल्हे की सही कीमत जानने के लिए प्रभात खबर टीम ने शहर की एचपी व इंडेन गैस एजेंसियों से पूछताछ की. जानकारी मिली कि सिंगल बर्नर के सूर्या कंपनी के साधारण चूल्हे की कीमत 600 रुपये व बेहतर चूल्हे की कीमत एक हजार रुपये तक है.

डीएम व समाज कल्याण विभाग से शिकायत

बिहार आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के जिला संयोजक प्रकाश मंडल ने डीएम को आवेदन देकर कम गुणवत्ता वाले चूल्हे को लेकर शिकायत की है. शिकायत पत्र के अनुसार विभागीय निर्देश की अनदेखी कर 300-400 रुपये वाला चूल्हा बांटने की बात कही गयी. जबकि सरकार ने चूल्हा खरीदने के लिए 1483 रुपये दिये हैं. आवेदक ने डीएम ने कार्यवाही की मांग की है. पत्र की प्रति समाज कल्याण विभाग को भी भेजा गया है.

रेणु कुमारी, डीपीओ, आइसीडीएस

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