लखनऊ: उत्तर प्रदेश एक बार फिर दो लड़कों का साथ देखेगा. 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने पर फैसला हो गया है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को यूपी लोकसभा की 17 सीटें दी हैं. सपा स्वयं 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को खजुराहो सीट दी है. अन्य सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. इससे पहले 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने सपा के साथ मिलकर लड़ा था. लेकिन इसके परिणाम कांग्रेस के लिए बहुत अच्छे नहीं रहे थे. सात साल बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक बार फिर एक साथ चुनावी मैदान में आए हैं. इस बार यूपी की जनता को इन दो लड़कों का साथ पसंद आएगा कि नहीं, यह चुनाव परिणाम बताएगा.
2017 में सफल नहीं हुआ था गठबंधन
2017 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को गेम चेंजर माना जा रहा था. इसमें समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 114 सीटें दी थी. जिसमें से मात्र 7 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं समाजवादी पार्टी को मात्र 47 सीटों पर जीत मिली थी. एक तरह से सपा कांग्रेस के साथ को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया था. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने प्रचंड जीत के साथ सरकार बनाई थी. बीजेपी गठबंधन ने कुल 325 सीटों पर जीत हासिल की थी.
सात साल बाद फिर हुआ समझौता
अब सात साल बाद 2024 में लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस व समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ है. I.N.D.I.A. गठबंधन को इस समझौते से ऑक्सीजन मिली है. क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली-पंजाब में कांग्रेस के साथ समझौता करने से मनाकर दिया था. इसके चलते I.N.D.I.A. गठबंधन लगभग टूट की कगार पर था. सिर्फ बिहार में उसे राजद का साथ मिला है. देश के सबसे बड़े राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का साथ मिलने से लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस अच्छे परिणाम की उम्मीद कर रही है.
2019 लोकसभा में सपा के साथ थी बसपा
वर्तमान लोकसभा में समाजवादी पार्टी की स्थिति बहुत खराब है. 2019 में बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता करने का प्रयोग अखिलेश यादव ने किया था. लेकिन उन्हें इसमें भी झटका लगा था. अखिलेश यादव ने बीएसपी के सामने पूरी तरह सरेंडर करते हुए उसे 80 में से 38 सीटें दी थीं. जबकि स्वयं 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था. तीन सीटें रालोद की दी गई थी. अमेठी और रायबरेली में समाजवादी पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है. 2019 के इस गठबंधन में अखिलेश यादव को मुंह की खानी पड़ी थी. उन्हें जहां मात्र पांच सीटों पर जीत मिली थी. वहीं बीएसपी ने 10 सीटें हासिल की थी. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव पर वोट ट्रांसफर न करने का आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ दिया था. अब 2024 में नया प्रयोग होने जा रहा है.
2019 में सिर्फ सोनिया ही जीती थीं यूपी से
2019 में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली की सीट ही बचा पाई थी. यहां से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी. जबकि अपनी पारंपरिक सीट अमेठी को गवां दिया था. यहां से राहुल गांधी को स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. सपा को इस लोकसभा चुनाव में मैनपुरी, आजमगढ़, रामपुर, संभल, मुरादाबाद पर जीत हासिल हुई थी. इसमें से आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में बीजेपी ने जीत ली थी. वर्तमान में समाजवादी पार्टी तीन सांसद ही लोकसभा में हैं. मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव ने जीत हासिल की थी.
कांग्रेस को मिली 17 लोकसभा सीटें
कांग्रेस को यूपी में सपा के साथ समझौते में 17 सीटें मिली हैं. इनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, बनारस, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया शामिल है. इनमें से वाराणसी सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. यहां से सुरेंद्र सिंह पटेल को टिया गया है. अब सपा को वाराणसी सीट से अपना प्रत्याशी वापस लेना होगा.