धर्म की नगरी अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) बनने के बाद बड़े बदलाव हो रहे हैं. पूरी नगरी राममय हो गई है. हर तरफ विकास के नए सोपान गढ़े जा रहे हैं. अयोध्या में प्रवेश करने के बाद पूरा वातावरण राममय नजर आता है. भविष्य में अयोध्या त्रेतायुग की राम नगरी की तरह और भव्य नजर आएगी.
अयोध्या का इतिहास क्या है?
अयोध्या श्री राम की जन्मस्थली है. माना जाता है कि लगभग 7 हजार साल पहले श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था. वह त्रेता युग कहलाता था.
रामराज का समय क्या था?
भगवान श्री राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे. चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की छठवीं तिथि में उनका राज्याभिषेक हुआ था. इसके बाद से उनके पूरे शासन को राम राज कहा जाता है. पुराणों के अनुसार श्री राम ने राजा के रूप में लगभग 45 साल अयोध्या में शासन किया था.
श्रीराम जन्मभूमि विवाद का इतिहास क्या है.
मुगल शासक बाबर के आने के भारत में आने के बाद अयोध्या में मंदिर की जगह पर मस्जिद का निर्माण किया गया था. सन् 1526 में बाबर भारत आया था. 1528 में उसके खास मीरबाकी ने वहां मस्जिद का निर्माण कराया था. लगभग 330 साल की जद्दोहद के बाद 1858 में मंदिर को वापस लेने और पूजा-अर्चना की शुरुआत हुई थी.
जन्मभूमि परिसर में कब शुरू हुई पूजा?
22 दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति प्रकट होने के साक्ष्य हैं. इसके बाद हिंदू पक्ष ने वहां पूजा करने की अनुमति मांगी. 1986 में विवादित स्थल का ताला खोलने और पूजा शुरू करने ऐतिहासिक आदेश आया था. 1989 में राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, तब जन्मभूमि में पूजा की अनुमति दी गई. 1990 में इस मुद्दे को बीजेपी ने अपना लिया और विधिवत आंदोलन शुरू किया.
रामलला विराजमान के पक्ष में कब आया फैसला?
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले की सुनवाई तेजी से की. लगभग 40 दिन तक लगातार कोर्ट ने सुनवाई की थी. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला दिया था. इसी के साथ 500 साल से चल रहे विवाद का अंत हो गया.
राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या को क्या मिलेगा?
श्रीराम मंदिर के निर्माण से अयोध्या में विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ गई है. सिर्फ एक माह में ही यहां 62 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे हैं. इन श्रद्धालुओं के पहुंचने से होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, ठेले से लेकर फूल-माला, पूजा सामग्री की बिक्री में तेजी आई है. इससे स्थानीय स्तर से लेकर बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. इससे आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार का दावा किया जा रहा है.