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गिरिडीह में सर जेसी बोस व बोकारो में खुलेगा इंटरनेशनल विश्वविद्यालय

वर्तमान में गिरिडीह जिला में कोई भी विवि नहीं है. गिरिडीह में कुल पांच अंगीभूत महाविद्यालय, 10 संबद्ध महाविद्यालय व सात शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय हैं.

विवेक चंद्र, रांची : झारखंड में दो नये विश्वविद्यालयों की स्थापना की जायेगी. गिरिडीह में सर जेसी बोस विश्वविद्यालय और बोकारो में इंटरनेशनल विश्वविद्यालय खोला जायेगा. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार किया है. शुक्रवार को होनेवाली बैठक में इसे कैबिनेट की सहमति के लिए पेश किया जायेगा. कैबिनेट की बैठक में 15 से अधिक एजेंडे शामिल किये जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार, कैबिनेट में बीआरपी-सीआरपी मानदेय, कृषि ऋण, 125 यूनिट फ्री बिजली सहित अन्य एजेंडों पर भी चर्चा होने की संभावना है. चंपाई सोरेन सरकार के गठन के बाद पहली बार इस कैबिनेट में सभी मंत्री रहेंगे. बैठक शाम चार बजे या फिर विधानसभा की बैठक के तुरंत बाद हो सकती है.

गिरिडीह में एक भी विश्वविद्यालय नहींं

वर्तमान में गिरिडीह जिला में कोई भी विवि नहीं है. गिरिडीह में कुल पांच अंगीभूत महाविद्यालय, 10 संबद्ध महाविद्यालय व सात शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय हैं. यह सभी बिनोवा भावे विवि, हजारीबाग द्वारा शासित हैं. गिरिडीह से हजारीबाग की दूरी 115 किमी होने के कारण जिले में उच्च शिक्षा का विकास संतोषजनक नहीं रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रत्येक जिला में एक बड़े विश्वविद्यालय की परिकल्पना की गयी है. इसके आलोक में गिरिडीह में सर जेसी बोस विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसका मुख्यालय गिरिडीह होगा. विवि की स्थापना के लिए झारखंड राज्य विवि संशोधन विधेयक 2024 के अनुमोदन के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव पेश किया जायेगा.

बोकारो में इंटरनेशनल विवि की होगी स्थापना
राज्य में उच्च शिक्षा के लिए बोकारो में इंटरनेशनल विवि की स्थापना की जायेगी. इसके लिए विधानसभा में इंटरनेशनल विश्वविद्यालय विधेयक 2024 पेश किया जायेगा. विधेयक को कैबिनेट की स्वीकृति के लिए पेश किया जायेगा. राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के लिए निजी विवि की स्थापना के लिए इच्छुक संस्थाओं द्वारा मिले प्रस्तावों में इंटरनेशनल विवि का भी प्रस्ताव है. विधेयक के तहत इंटरनेशनल विवि का मुख्यालय रांची में होगा. विवि 10 से 25 एकड़ भूमि पर होगा. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों को शिक्षण क्षमता का पांच प्रतिशत मुफ्त शिक्षण देना होगा. साथ ही विवि के कुल शिक्षकेत्तर पदों में से 50 प्रतिशत राज्य के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किये जायेंगे.

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