कुमार आशीष, मधेपुरा. हरी-हरी घास की चादर ओढ़ी दीवारों के बीच चमचमाती सड़क पर यात्रा का आनंद आनेवाले वर्षों में गंगा-कोसी क्षेत्र के वाशिंदों भी उठा पायेंगे. नेपाल के सीमावर्ती वीरपुर से भागलपुर जिले के बिहपुर तक निर्माणाधीन नेशनल हाईवे (एनएच) 106 पर ग्रीन स्लोप फेसिया की तकनीक से घास की दीवार खड़ी की जा रही है. इसके निर्माण की निगरानी कर रहे विशेषज्ञों का दावा है कि देश में पहली बार किसी एनएच पर ग्रीन स्लोप फेसिया का यह अभिनव प्रयोग हो रहा है. इस तकनीक का उपयोग विदेशों में किया जाता है. अब निर्माणाधीन एनएच 106 पर मधेपुरा में इसकी शुरुआत हुई है. एनएच को आकर्षक बनाने के साथ-साथ यह तकनीक बारिश के दौरान हाईवे को कटाव से भी बचायेगी.
क्या है ग्रीन स्लोप फेसिया
सड़क के दोनों ओर रबड़ बैंड में कोकोनट फाइबर (नारियल के रेशे) भरे जा रहे हैं. फिर इस बैंड को पतले मखमली कपड़े से कवर किया जा रहा है, ताकि नमी बरकरार रहे. फिर सड़क के निचले लेवल के साथ इसे खड़ा किया जा रहा है. यह जब पूरी तरह तैयार हो जाएगा, तो बाहरी हिस्से की ओर से भी मिट्टी डाल कर स्लोप बनाया जायेगा. पूरी दीवार पर मखमली घास का बीज स्प्रे किया जायेगा. पानी पड़ने के साथ ही घास उग जायेंगे और सड़क के दोनों किनारे हरियाली बनी रहेगी. बारिश के कटाव को लेकर ग्रीन स्लोप फेसिया काफी कारगर होगा. सड़क लंबे समय तक टिकाऊ बनी रहेगी.
ग्रीन स्लोप फेसिया निर्माण के लिए 780.77 करोड़ का बजट
एनएच 106 का निर्माण इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएफएस) करा रहा है, जबकि ग्रीन स्लोप फेसिया बनाने की जिम्मेदारी गैमन टेक को मिली है. वीरपुर से बिहपुर तक इसकी लंबाई 130 किलोमीटर है. सड़क सहित ग्रीन स्लोप फेसिया निर्माण पर 780.77 करोड़ रुपये खर्च होने का बजट है. जिले के उदाकिशुनगंज में काम करा रहे कंपनी के अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि रेनफोर्स्ड स्वायल स्लोप वॉल (आरएसएस वॉल) भारत में पहली बार इसी हाईवे पर बन रहा है. यह पूरे 130 किलोमीटर तक सड़क के दोनों ओर बन रहा है.
नेपाल में लगा है मैन्युफैक्चरिंग प्लांट
गैमन टेक के अधिकारी ने बताया कि यह पूरी तरह विदेशी तकनीक है. आरएसएस वॉल में लगने वाली अधिकतर सामग्रियां विदेशों से मंगायी गयी है. इसका मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नेपाल में लगाया गया है. वहां से तैयार होकर यह भीमनगर के रास्ते कार्यस्थल पर पहुंच रहा है. बाहरी ओर से वॉल पर मिट्टी चढ़ा स्लोप किया जायेगा, ताकि हाईवे पर आने वाला पानी वॉल से होता हुआ नीचे निकल जाये. श्री कुमार ने बताया कि वॉल पर घास के बीज के स्प्रे होने के बाद जब बाहरी ओर से घास उगेगी तो दूर से ही पूरी हरियाली नजर आयेगी. उन्होंने बताया कि समय-समय पर स्प्रे करने के लिए कंपनी द्वारा कर्मचारी भी नियुक्त किये जायेंगे.
भागलपुर के लोग तीन घंटे में नेपाल पहुंच जायेंगे
बिहपुर व नवगछिया के आसपास के इलाके के लिए बहुप्रतिक्षित बिहपुर-वीरपुर एनएच 106, यहां के लोगों के लिए सपनों की सड़क है. इस सड़क के बनने से कोसी क्षेत्र की दूरी काफी घट जायेगी. भागलपुर के लोग तीन घंटे में नेपाल पहुंच जायेंगे. निःसंदेह बिहपुर इस सड़क का ऐसा पड़ाव होगा, जो प्रत्येक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होगा. बिहपुर में व्यवसायिक गतिविधियों में काफी तेजी आयेगी और बिहपुर समेत खरीक के कई उपेक्षित इलाके विकास की मुख्यधारा से जुड़ जायेंगे.
किसानों को कैसे मिलेगी राहत, समझिए
कोसी दियारा की हजारों एकड़ जमीन पर खरीक और बिहपुर के किसान आसानी से अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते हैं. किसी तरह पहुंच अच्छी खेती कर भी लेते हैं, तो उपज को औने पौने भाव में खेत में ही बेचना पड़ता है. आज तक यहां के किसान गेंहू के भूसे और मकई के डंठल को बेच नहीं पाये. आवागमन का साधन नहीं रहने से किसान पशु चारे के उपयोग में आने वाले भूसे और मकई के लारे को वहीं छोड़ देते हैं. आवागमन का मार्ग सुलभ होने के बाद किसान फसल अपने घर तक या बाजार तक आसानी से ले जा सकेंगे और बाजार मूल्य पर बेच सकेंगे. भूसे, लारा तक भी बाजार मिलेगा और सबसे बड़ी बात कि किसान आसानी से अपने खेतों तक पहुंचेंगे.
बढ़ेगा रोजगार, गंगा पार ही नहीं कोसी पार भी लोग जायेंगे
एनएच 106 तैयार होने के बाद इलाके में रोजगार के कई नये अवसर बनेंगे. विक्रमशिला सेतु बनने के बाद लोगों को अपने उत्पाद को अच्छे बाजार तक आसानी से पहुंचाने का एक मात्र विकल्प गंगा पार जाना था, लेकिन एनएच 106 से यहां के लोगों के लिए दूसरा विकल्प कोसी पार भी होगा. नये-नये उद्योग की संभावना बलवती होगी. इस सड़क से बड़े व्यवसायियों को फायदा तो मिलेगा ही, मंझोले और छोटे कारोबारी भी लाभान्वित होंगे. बिहपुर एनएच 106 नवगछिया अनुमंडल के जीवन स्तर को नेक्ट्स लेवल पर ले कर जायेगा.
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सड़क का इतिहास
पुराने गैजेट में इस सड़क का जिक्र है. बादशाह शेरशाह के समय में भी कोसी क्षेत्र के लोग मध्य बिहार की यात्रा इस सड़क से करते थे. हालांकि बीच में नदी जरूर थी, लेकिन यह रास्ता काफी सुगम था. इतिहास की जानकारी रखने वाले लोगों की माने तो देश में ग्रांड ट्रंक सड़क बनी, तो उसी समय इस सड़क का निर्माण कराया गया.
बादशाही सड़क
इस सड़क को भक्तिकाल में बादशाही भी कहा जाता है. कालांतर में कोसी की धाराओं ने इस सड़क के अस्तित्व को को समाप्त कर दिया. बिहपुर का त्रिमुहान एक समय इलाके का बड़ा व्यवसायिक केंद्र था. दो वर्ष पहले यहां से कुछ दूरी पर ही गुवारीडीह नाम की सभ्यता के अवशेष मिलना इस बात का प्रमाण है.मौजूदा समय में वीरपुर से उदाकिशुनगंज तक सड़क बन कर तैयार है, जबकि देर से ही सही, लेकिन इनदिनों बिहपुर-वीरपुर के मिसिंग लिंग का भी निर्माण कार्य प्रारंभ है.