21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Maghi Purnima Mela: झारखंड के आदिवासी महाकुंभ में लाखों लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, अद्भुत है इनकी संस्कृति

Maghi Purnima Mela माघ मास की पूर्णिमा पर राजमहल गंगा तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. आदिवासी महाकुंभ में गुरु बाबाओ के साथ तीन राज्यों के आदिवासी श्रद्धालु पहुंचे हैं. झारखंड के एकमात्र राजमहल के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर लगने वाला माघी मेला कई मायनों में खास है. यह मेला आदिवासी एवं गैर आदिवासी समाज के सांझी संस्कृति का एक अद्भुत मिसाल पेश करता है.

Maghi Purnima Mela | राजमहल (साहिबगंज), दीप सिंह : झारखंड का आदिवासी महाकुंभ यानी राजमहल में आयोजित राजकीय माघी पूर्णिमा मेला के पहले दिन यानी शनिवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का जत्था गंगा स्नान एवं पूजन के लिए गंगा तट पहुंचा. लाखों की संख्या में आदिवासी और गैर-आदिवासी श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. माघ मास की पूर्णिमा पर झारखंड के एकमात्र राजमहल के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर लगने वाला माघी मेला कई मायनों में खास है. यह मेला आदिवासी एवं गैर आदिवासी समाज के सांझी संस्कृति का एक अद्भुत मिसाल पेश करता है.

राजकीय Maghi Purnima Mela है झारखंड का आदिवासी महाकुंभ

गंगा तट पर आदिवासियों का जुटान इतने बड़े संख्या में राजमहल में ही होता है. इसलिए इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है. जिला प्रशासन की ओर से भी प्रचार प्रसार बैनर में राजकीय माघी पूर्णिमा मेला (झारखंड आदिवासी महाकुंभ) अंकित है. यहां विदिन समाज एवं साफाहोड़ आदिवासी समाज के श्रद्धालु अपने-अपने धर्मगुरुओं के साथ अनुशासनिक तरीके से अपने अखाड़ा से निकलकर गंगा स्नान व गंगा पूजन एवं घंटों सूर्योपासना के उपरांत लोटा में जल लेकर भीगे वस्त्र में ही अखाड़ा पहुंचते हैं. जहां ईष्ट देवता और अन्य देवी देवताओं की आराधना की जाती है.

ऐसी आराधना करते हैं साफाहोड़ आदिवासी

अखाड़ा में साफाहोड़ आदिवासी तुलसी का पेड़ रखकर एवं त्रिशूल गाड़कर ( ऊं ) के उच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं. वहीं पूजन के उपरांत लोटा के जल को श्रद्धालु अपने-अपने घर भी लेकर जाते हैं. गुरु बाबा पूजन प्रणाली के दौरान बेंत की लकड़ी (छड़ी) का विशेष उपयोग करते हैं.

गुरु शिष्य की परंपरा का अनोखा उदाहरण

गुरु शिष्य की परंपरा का ऐसा अनोखा एवं प्राचीनतम उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले. गुरु बाबा अखाड़ा में अपने शिष्यों के शारीरिक, आर्थिक व मानसिक कष्टों का निवारण विशिष्ट आध्यात्मिक शैली से करते हैं. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा में गंगा स्नान से पापों से मुक्ति मिलती है. आधुनिक चकाचौंध से दूर साफाहोड़ एवं विदिन समाज के अनुयायी मांस मदिरा का सेवन करना तो दूर, लहसुन प्याज तक नहीं खाते हैं. वे विशुद्ध सादा भोजन सादगी पूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं.

मां गंगा को जीवित जीव दान करते हैं साफाहोड़ आदिवासी

साफाहोड़ आदिवासियों के धर्मगुरु बुद्धू मुर्मू एवं राम बाबा ने बताया कि सफाहोड़ आदिवासी समाज के लोग बलि प्रथा नहीं मानते हैं. मन्नतें पूरी होने पर माघ मास की पूर्णिमा पर अपने-अपने गुरु बाबा के साथ स्नान करने के उपरांत श्रद्धालु मां गंगा को जीवित जीव (जैसे- बकरा या कबूतर) का दान करते हैं. भारी संख्या में बकरे व कबूतर का दान किया जाता है.

गंगा के प्रति है सच्ची श्रद्धा, शैंपू साबुन या तेल का नहीं करते इस्तेमाल

सरकार एवं प्रशासन द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए जागरुकता के नाम पर लाखों रुपए खर्च किया जाता है, नमामि गंगे जैसी योजनाओं का संचालन भी किया जाता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि आदिवासी समाज स्वत: ही इस मामले में जागरुक हैं. मां गंगा के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धा ही है कि यह लोग गंगा स्नान में शैंपू साबुन या तेल का उपयोग नहीं करते हैं.

मांझी थान में चार और जाहेर थान में पांच देवताओं को पूजते हैं विदिन समाज

विदिन समाज के द्वारा सबसे बड़ा एक अखाड़ा बनाया जाता है, जिसमें झारखंड सहित पश्चिम बंगाल बिहार एवं नेपाल के अनुयायी पहुंचते हैं. गुरुवार को हजारों की संख्या में विदिन समाज के श्रद्धालुओं का आगमन हुआ. धर्मगुरु अभिराम मरांडी ने बताया कि विदिन समाज की ओर से गंगा स्नान के उपरांत लोटा में जल लेकर मांझी थान व जाहेर थान में जाकर देवी देवताओं पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की जाती है. मांझी थान में मरांग बुरु, ताला कुल्ही, मांझी हडाम व मांझी बुढ़ी तथा जाहेर थान में जाहेर एरा, गोसाई एरा, मोडेकू तुरुईक, पिल्चू हडाम , पिल्चू बुढ़ी, मरांग बुरु की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया जाता है.

इधर साफाहोड़ आदिवासियों के द्वारा भी छोटे बड़े अखाड़ा बनाए गए हैं. अपने-अपने धर्म गुरुओं के साथ गंगा स्नान एवं गंगा पूजन किए हैं. भीगे वस्त्र पहले लोटा में जल लेकर बेंत की लकड़ी से गुरु अपने शिष्यों के कष्ट का निवारण कर रहे हैं. साफाहोड़ के अखाड़ा में मां गंगा की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. मां गंगा के समक्ष धाम लगाकर पूजा अर्चना की जाएगी.

Also Read: साहिबगंज : 25 को भोगनाडीह पहुंचेंगे सीएम, अबुआ आवास योजना का प्रमाण पत्र करेंगे वितरित

Also Read: Magh Purnima 2024 पर करें ये काम, प्राप्त होगी धन की देवी लक्ष्मी की कृपा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें