राज्य की 2798 पंचायतों में अब तक मनरेगा की योजनाओं का सोशल ऑडिट नहीं हो सका है. योजनाओं के ऑडिट के लिए बनी टीम अब तक केवल 1478 पंचायतों में ही ऑडिट कर सकी है. इस तरह बड़ी संख्या में पंचायतों का ऑडिट नहीं हुआ है. मौजूदा स्थिति को देख कर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सारी पंचायतों में ऑडिट करने के लिए अभी छह माह से अधिक का समय लग सकता है, पर टीम के पास अब समय नहीं है, क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लग जायेगी. आचार संहिता के दौरान सोशल ऑडिट के कार्य पर मनाही होती है. पिछली बार भी यह स्थिति हुई थी, तो चुनाव आयोग से ऑडिट के लिए अनुमति मांगी गयी थी, लेकिन डोर टू डोर बाहर के लोग जाकर ऑडिट करते हैं. ऐसे में लोगों को प्रभावित किये जाने की संभावना के मद्देनजर इसकी अनुमति नहीं दी गयी थी. इस तरह अब ऑडिट का कार्य लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू हो सकेगा.
बड़ी गड़बड़ियों की है शिकायत
राज्य भर में मनरेगा की योजनाओं में बड़ी गड़बड़ियों की शिकायत है. कई जगहों पर फर्जी मस्टर रॉल पर काम होने के मामले सामने आते रहे हैं. कई जगहों पर योजनाओं के क्रियान्वयन के बिना ही राशि की निकासी हुई है. वहीं मजदूरों से काम लेने के बजाय मशीनों से काम कराने के मामले भी सामने आये हैं. कई तरह की गड़बड़ियां सामने आयी हैं. ऐसे में सोशल ऑडिट कराना अनिवार्य है. सोशल ऑडिट कराने से मामले सामने आते हैं और कार्रवाई भी होती है.
ऑडिट में पकड़ी थी अनियमितता, हुई वसूली
सोशल ऑडिट में ही वर्ष 2017-18 से लेकर 2022-23 तक बड़ी अनियमितता पकड़ी गयी थी. इसके बाद करीब 10 करोड़ रुपये की वसूली भी हुई है.