संजीव सिंह, रांची : झारखंड के विश्वविद्यालयों में फिर से आवश्यकता आधारित शिक्षकों की नियुक्ति होगी. पूर्व राज्यपाल द्वारा लगायी गयी रोक को वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने हटा लिया है. विवि में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति में हो रही देरी और छात्र हित में यह फैसला लिया गया है. राज्यपाल ने राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराने का निर्देश दिया है. राज्यपाल के निर्देश पर उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने सभी विवि को पत्र भेजा है. इसमें कहा गया है कि जहां शिक्षकों की कमी है और जहां छात्र हित में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की आवश्यकता है, वहां रिक्त स्थान के आधार पर आवश्यकता आधारित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें.
चांसलर पोर्टल पर आवेदन करना होगा
नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को चांसलर पोर्टल पर आवेदन करना होगा. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने कहा है कि चुनाव आचार संहिता को देखते हुए सभी विवि आठ मार्च 2024 तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करा लें. हालांकि कई विवि के कुलपतियों ने राज्यपाल व उच्च शिक्षा प्रधान सचिव से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए और समय की मांग की है, जिससे आवेदन की स्क्रूटनी कराने व साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया पूरी की जा सके.
नेट/पीएचडी उत्तीर्ण कर सकेंगे आवेदन
आवश्यकता आधारित शिक्षक (पूर्व में घंटी आधारित शिक्षक) की नियुक्ति विवि व कॉलेज में स्वीकृत रिक्त पद के विरुद्ध ही जायेगी. इस नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी का नेट/पीएचडी उत्तीर्ण होना आवश्यक होगा. राज्य में वर्तमान में लगभग 400 आवश्यकता आधारित शिक्षक कार्यरत हैं. वर्ष 2017-18 में शिक्षकों की कमी पूरा करने के लिए इन शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी. पूर्व में इन्हें प्रति कक्षा 600 रुपये व अधिकतम 36 हजार रुपये मानदेय का प्रतिमाह भुगतान किया जाता था. अब इन्हें प्रतिमाह अधिकतम 57700 रुपये का भुगतान किया जा रहा है.
जेपीएससी से नियमित शिक्षकों की नियुक्ति में देरी संभव
झारखंड के विवि व कॉलेज में लगभग 2404 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति जेपीएससी के माध्यम से की जानी है. नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर कर आयोग के पास अधियाचना भी भेज दी गयी है. इस बीच आयोग को झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) के आयोजन की भी जिम्मेवारी मिली है. अब नियमित नियुक्ति जेट के आयोजन के बाद ही संभव होगा, ताकि अधिक से अधिक झारखंड के अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकें. इसे देखते हुए ही सरकार ने आवश्यकता आधारित शिक्षकों को फिलहाल नियुक्त करने का निर्णय लिया है.