15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर कैसे करें ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम का दर्शन, जानें षोडशोपचार विधि और रुद्राभिषेक का महत्व

Mahashivratri 2024: ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम में महाशिवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के दिन सभी शिवभक्त उपवास रखकर धूमधाम और श्रद्धा से पूजन अर्चन करते हैं.

Mahashivratri 2024: बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, शिव का सबसे पवित्र निवास, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम और बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है . यह ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के संथाल परगना क्षेत्र के देवघर में स्थित है. ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम में महाशिवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था, इस दिन सभी शिवभक्त उपवास रखकर धूमधाम और श्रद्धा से पूजन अर्चन करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है. महाशिवरात्रि पर ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम का दर्शन आप वर्चुअल भी कर सकते है.

महाशिवरात्रि पर बन रहा शुभ योग का संयोग

पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन सुबह 04 बजकर 45 मिनट से पूरे दिन शिव योग रहेगा. वहीं सुबह 06 बजकर 45 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की दृष्टि से शुभ योग का संयोग बन रहा है. मकर राशि में मंगल और चंद्रमा की युति रहेगी. वहीं, कुंभ राशि में शुक्र, शनि और सूर्य की युति से त्रिग्रही योग बनेगा. ग्रहों के शुभ संयोग और महाशिवरात्रि से कुछ राशिवालों के अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे.

ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ की चारों पहर होगी पूजा


महाशिवरात्रि पर ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर में चारों पहर बाबा की पूजा होती है. दिन भर की पूजा अर्चना और जलार्पण होगा, फिर देर शाम शिव बारात निकाली जाएगी. बाबा मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भोलेनाथ के गुंबद पर पंचशूल, पगड़ी व ध्वजा चढ़ाने का विधान है. महाशिवरात्रि पर बाबा भोलेनाथ को गंगाजल, बेल पत्र, दूध, चावल समेत अन्य पूजन सामग्री अर्पित करके उनकी पूजा करने का विधान हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम में भगवान शिव और सती एक ही जगह विराजमान हैं. इस कारण महाशिवरात्रि पर बाबा धाम में चारों प्रहर ही पूजा होती है. इसके अलावा इस पूजा में सिंदूर चढ़ाने की भी काफी प्राचीन परंपरा है.

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर घर ले आएं ये चीजें, भगवान शिव की कृपा से बढ़ेगा अपार धन-दौलत

क्या है षोडशोपचार विधि व रुद्राभिषेक का महत्व?


षोडशोपचार विधि में 16 चरणों में पूजा की जाती है, इसमें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, यज्ञोपवीत या जनेऊ, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, स्तवन पाठ, तर्पण और नमस्कार किया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक से रोग, दोष और कष्टों का निवारण होता है, इसलिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने की परंपरा है. धार्मिक मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में आ रही किसी भी तरह की परेशानी, कष्ट को दूर करते हैं.

शिव की पूजा में क्यों नहीं फूंकते शंख?

शिव पुराण के अनुसार, शंखचूर नामक दैत्य था, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का बहुत बड़ा भक्त था. शंखचूर दैत्य ऋषि मुनियों को परेशान करता था. भगवान शिव ने शंखचूर का वध किया था, इसलिए शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें