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पीएम मोदी की बिहार यात्रा में विरोध की आशंका, पुलिस ने किसान नेताओं को लिया हिरासत में, भारी हंगामा

औरंगाबाद में होने वाली पीएम मोदी के सभा में विरोध दर्ज कराने जाने की सूचना पर भभुआ पुलिस ने दो किसान नेताओं किसान संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव पशुपतिनाथ सिंह और किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश सिंह को कथित रूप से अपने हिरासत में ले लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बिहार आएंगे, इस दौरान वह औरंगाबाद और बेगुसराय में जनसभाएं करेंगे. लेकिन औरंगाबाद में पीएम मोदी की सभा से एक दिन पहले निकाले जाने वाले मौन जुलूस की सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो किसान नेताओं को हिरासत में लिया. ये किसान भारत माला परियोजना के तहत एक्सप्रेसवे के निर्माण और एनएच-219 के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कम मुआवजे का विरोध कर रहे हैं. हिरासत में लिए गए नेताओं में किसान संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव पशुपतिनाथ सिंह और किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश सिंह शामिल हैं. पीएम मोदी के दौरे से एक दिन पहले अब इस मुद्दे पर सियासी पारा हाई हो गया है. किसानों ने अपने नेता की हिरासत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

किसानों ने किया प्रदर्शन

पीएम मोदी की सभा से पहले दोनों किसान नेताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने की सूचना पर शुक्रवार को जमीन अधिग्रहण में उचित मुआवजा दिये जाने की मांग करने वाले किसान आक्रोशित हो गये और उनके द्वारा आक्रोश मार्च निकाल कर सदर थाने में धरना-प्रदर्शन करते हुए विरोध दर्ज कराया गया.

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प्रदर्शन कर रहे किसान

रिहा किए गए किसान

किसानों ने कहा कि जब तक पुलिस किसान नेता को रिहा नहीं करेगी, तब तक किसान धरने से नहीं उठेंगे, भले ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ले. हालांकि, सूचना मिलने पर सदर थाना पहुंचे एसडीएम विजय कुमार व एसडीपीओ शिवशंकर कुमार ने धरना पर बैठे किसानों से डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांग पत्र सौंपने को कहा. मुआवजे संबंधी मांग पत्र के आवेदन के बाद पुलिस ने दोनों किसान नेताओं को रिहा कर दिया.

किसान मोर्चा ने की नेताओं को अविलंब रिहा करने की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि औरंगाबाद के गांधी मैदान से रमेश चौक, मुख्य बाजार होकर रानी बीघा तक किसानों ने मौन जुलूस में शामिल होने के लिए आये औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर के किसानों की गिरफ्तारी की गयी है. एक मार्च को होने वाले जुलूस को नहीं होने देने के लिए प्रशासन ने दिनरात छापेमारी की. भारतीय किसान यूनियन टिकैत के बिहार प्रभारी दिनेश सिंह को पुलिस ने नजर बंद किया.कैमूर किसान यूनियन के नेता पशुपति कुमार पटेल को रात में ही घर से उठाकर थाना में डाल दिया.

औरंगाबाद के मुखिया मनोज कुमार सिंह सहित दर्जनों किसान नेताओं के घरों पर छापामारी की गयी. किसान मोर्चा ने किसान नेता अशोक प्रसाद सिंह , रामायण सिंह, प्रमोद सिंह, भोला यादव, कल्लू सिंह, गोपाल कृष्ण, गोपाल शर्मा, बृजभूषण शर्मा, अनुपम कुमार आदि ने बिहार सरकार से मांग की है कि किसान नेताओं को अविलंब वेशर्त रिहा किया जाये. जिम्मेदार पदाधिकारिकों पर कार्रवाई की जाये.

मुआवजे को लेकर विरोध कर रहें किसान नेता

एसडीपीओ ने इस मामले में बताया कि जमीन अधिग्रहण में कम मुआवजा मिलने का विरोध कर रहे किसान नेताओं द्वारा औरंगाबाद में होने वाले प्रधानमंत्री की सभा से एक दिन पहले मौन जुलूस निकाले जाने की सूचना प्राप्त हुई थी. उक्त सूचना पर पुलिस द्वारा किसान नेताओं को थाने लाया गया था. किसानों द्वारा प्रशासन को प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया है. वहीं, एसडीपीओ ने शुक्रवार सुबह दोनों किसान नेताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने से इन्कार किया है.

किसानों का प्रधानमंत्री से उचित मुआवजा दिलाने की मांग

जिलाधिकारी के नाम से प्रधानमंत्री को सौंपे गये आवेदन के संबंध में किसान संघर्ष मोर्चा ने बताया है कि कैमूर जिला में भारत माला परियोजना के तहत ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निर्माण व एनएच 219 के चौड़ीकरण के लिए किसानों के सैकड़ों एकड़ भूमि अधिग्रहण की गयी है. लेकिन भूमि अधिग्रहण में किसानों को 2013 वित्तीय वर्ष के सर्किल रेट पर मुआवजे का निर्धारण किया गया है, जो बाजार मूल्य से भी काफी कम है. भूमि अधिग्रहण में भूमि अधिग्रहण अधिनियम का भी अनुपालन नही किया गया है.

जबकि, जिले के खमिदौरा में पावर ग्रिड निर्माण के लिए किसानों के कृषि योग्य भूमि के लिए प्रति एकड़ एक करोड़ 28 लाख रुपये दिया गया है. जमीन अधिग्रहण व कम मुआवजा को लेकर किसान पिछले दो साल से संघर्षरत हैं. किसान संघर्ष मोर्चा भारत माला एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए पीएनसी कंपनी स्थल मसोई के सामने पिछले 60 दिनों से उचित मुआवजा के लिए अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं. लेकिन लंबे आंदोलन के बाद भी सरकार स्तर से किसानों की समस्याओं का हल करने का प्रयास नहीं किया गया. इस लिए उनकी मांग है कि जिले में भूमि अधिग्रहण में किसानों के कृषि योग्य भूमि के लिए एक करोड़ 28 लाख रुपये प्रति एकड़ व आवासीय भूमि का 19 लाख रुपये प्रति डिसमिल व कामर्शियल मुआवजा दिया जाये.

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