27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

West Bengal : जानिए कौन है स्वामी स्मरणानंद महाराज, जिनसे अस्पताल मिलने पहुंचे थे प्रधानमंत्री

West Bengal : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट से सीधे रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज को देखने के लिए रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान (शिशु मंगल अस्पताल) पहुंचे और उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों से भी बात की. साथ ही प्रधानमंत्री ने मिशन के पदाधिकारियों से भी बातचीत की.

West Bengal : रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद (Swami Smarnanand) पिछली कुछ समय से अपने स्वास्थ्य को लेकर चर्चा में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट से सीधे रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज को देखने के लिए रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान (शिशु मंगल अस्पताल) पहुंचे और उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों से भी बात की. साथ ही प्रधानमंत्री ने मिशन के पदाधिकारियों से भी बातचीत की. गौरतलब है कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वामी स्मरणानंद महाराज के जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी.

कौन हैं स्वामी स्मरणानंद महाराज ? 
रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद जी हैं. उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई, 2017 को अध्यक्ष का पद संभाला था. स्वामी स्मरणानंद का जन्म 1929 में तमिलनाडु के तंजावुर के अंदामी गांव में हुआ था. अपने छात्र जीवन से ही गहन विचारक थे. रामकृष्ण संप्रदाय के साथ उनका पहला संपर्क 20 साल की उम्र में हुआ जब उन्होंने संप्रदाय की मुंबई शाखा में कदम रखा और 1952 में, 22 वर्षीय ने मठवासी जीवन अपना लिया.

WB News : नरेन्द्र मोदी ने संदेशखाली की महिलाओं से जानें क्या बात-चीत की

1952 में स्वामी शंकरानंद ने दी थी आध्यात्मिक दीक्षा
संप्रदाय के सातवें अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद ने उन्हें 1952 में ही आध्यात्मिक दीक्षा दी, जिससे वे तीसरी पीढ़ी के शिष्य बन गए. चार साल बाद, स्वामी शंकरानंद ने उन्हें ब्रह्मचर्य की शपथ दिलाई. 1960 में, उन्होंने संन्यास की शपथ ली और उनका नाम स्वामी स्मरणानंद रखा गया. मुंबई केंद्र से, उन्हें 1958 में अद्वैत आश्रम की कोलकाता शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया.

‘प्रबुद्ध भारत’ के सहायक संपादक भी रहे
18 वर्षों तक, उन्होंने आश्रम के मायावती और कोलकाता दोनों केंद्रों में सेवा की. कुछ वर्षों तक वे स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रारम्भ की गयी अंग्रेजी पत्रिका ‘प्रबुद्ध भारत’ के सहायक संपादक भी रहे . 1976 में, बेलूर मठ के पास एक शैक्षिक परिसर, रामकृष्ण मिशन सारदापीठ में सचिव के रूप में वे रहे. उन्होंने अगले डेढ़ दशक तक वहां काम किया. 1978 में, उन्होंने बंगाल में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान व्यापक राहत कार्य चलाया.

Mamata Banerjee : ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान, आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स की सैलरी में 750 रुपए का हुआ इजाफा

1991 में, चेन्नई में रामकृष्ण मठ के प्रमुख
वे चेन्नई में रामकृष्ण मठ के प्रमुख के रूप में 1991 में पहुंचे. अप्रैल 1995 में, वह बेलूर मठ में सहायक सचिव के रूप में लौट आये. दो साल बाद, 1997 में, वह ऑर्डर के महासचिव बने. अगले दशक तक, उन्होंने विश्वव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया और 2007 में, वे इस आदेश के उपाध्यक्ष बने. इसके बाद  उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई, 2017 को अध्यक्ष का पद संभाला था.

Mamata Banerjee : ममता बनर्जी ने कहा, भाजपा के लिए बिना पैसे के ट्रेन उपलब्ध और तृणमूल के लिए पैसे देने पर भी नहीं

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें