लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण करने, उससे रंगदारी मामले में जौनपुर कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अब धनंजय लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. उनके सहयोगी संतोष विक्रम को भी सात साल की सजा सुनाई गई है. प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले पिस्टल लगाकर अपहरण किया गया था.
10 मई 2020 को दर्ज हुई थी एफआईआर
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने धनंजय सिंह और संतोष विक्रम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. उनकी शिकायत थी कि पूव सांसद धनंजय सिंह अपने साथी संतोष विक्रम और दो अन्य लोगों के साथ पचहटिया साइट पर पर पहुंचे थे. वहां उन्होंने अपनी एसयूवी में अपहरण कर लिया और कालीकुत्ती स्थित आवास ले गए. धनंजय सिंह ने वहां पिस्टल लेकर आए और कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे. मना करने पर धमकी देते हुए रंगदारी भी मांगी. वह किसी तरह छूटकर धंनजय के आवास से निकले और सीधे लाइन बाजार थाने पहुंचे. वहां आरोपियों के खिलाफ एफआईआर लिखाई.
हाईकोर्ट से मिली थी जमानत
पुलिस ने पूर्व सांसद को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया. हाईकोर्ट से धनंजय सिंह को जमानत मिल पाई. पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि एक राज्यमंत्री और पुलिस अधिकारी ने उन्हें फंसाया है. सजा मिलने के बाद धनंजय सिंह ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन पर कार्रवाई हुई है. वह हाईकोर्ट में अपील करेंगे. उधर पूरी प्रक्रिया के दौरान एमपी एमएलए कोर्ट के बाहर धनंजय के समर्थकों की भीड़ लगी रही. उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई.
नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा का चुनाव
अपहरण और रंगदारी मामले में सात साल की सजा होने के बाद अब धनंजय सिंह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक यदि किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है. यहीं नहीं सजा पूरी होने के बाद छह वर्ष तक वो अयोग्य घोषित हो जाता है. इससे पहले आजम खान की विधायकी भी जनप्रतिनिध कानून के तहत चली गई थी.