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Flex Fuel क्या होता है और क्यों है ये भविष्य का ईंधन?

Flex Fuel भविष्य का ईंधन हो सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा. इन चुनौतियों में फ्लेक्स-फ्यूल की उपलब्धता, फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की कीमत और फ्लेक्स-फ्यूल इंजन की जटिलता शामिल हैं.

Flex Fuel: आज पूरा विश्व प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण इस धरती पर मौजूद वाहनों की संख्या है, जो आज भारत की कुल आबादी (लगभग 1.5 अरब) से भी ज्यादा है. यही कारण है कि दुनिया भर की सरकारें अपने देशों में तेजी से फ्लेक्स फ्यूल को अपनाने की कोशिश कर रही हैं, जिसे भविष्य का ईंधन कहा जाता है. ताकि भविष्य में पर्यावरण के दुष्प्रभावों को टाला जा सके या कम किया जा सके.

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फ्लेक्स-फ्यूल क्या है?

फ्लेक्स फ्यूल यानी लचीला ईंधन, दो ईंधनों को मिलाकर तैयार किया जाने वाला ईंधन फ्लेक्स फ्यूल कहलाता है. उदाहरण के लिए, पेट्रोल में इथेनॉल या मेथनॉल को मिलाकर तैयार किया गया मिश्रण फ्लेक्स फ्यूल कहलाएगा.

इथेनॉल क्या है?

इथेनॉल एक अल्कोहल आधारित ईंधन है, जो मुख्य रूप से गन्ने से बनाया जाता है. लेकिन इसे स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थों से भी बनाया जा सकता है. जैसे इसे मक्का, सड़े हुए आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी तैयार किया जा सकता है.

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फ्लेक्स-फ्यूल के प्रकार

  • E-5 का मतलब है पांच प्रतिशत इथेनॉल और 95% पेट्रोल.
  • E-10 का मतलब है 10 प्रतिशत इथेनॉल और 90 प्रतिशत पेट्रोल.
  • E-20 का मतलब है 20 प्रतिशत इथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल.
  • E-85 का मतलब है 85 प्रतिशत इथेनॉल और 15 प्रतिशत पेट्रोल.

फ्लेक्स-फ्यूल और बाई-फ्यूल वाहनों में अंतर

फ्लेक्स फ्यूल अपने आप में दो ईंधनों का मिश्रण होता है, इसलिए इसे वाहन में मौजूद उसी फ्यूल टैंक में भरा जा सकता है. जबकि एक बाई-फ्यूल वाहन वह वाहन होता है जो दो अलग-अलग ईंधनों पर चलने में सक्षम होता है. उदाहरण के लिए, पेट्रोल + सीएनजी कार, जो दो ईंधनों पर चल सकती है, लेकिन उसके दोनों ईंधनों को एक साथ नहीं मिलाया जा सकता है. बाई-फ्यूल वाहन एक ईंधन से दूसरे ईंधन पर स्विच कर सकते हैं, जबकि फ्लेक्स-फ्यूल को एक अलग तरह के इंजन की आवश्यकता होती है. जिसे पूरी तरह से पेट्रोल, इथेनॉल या दोनों के मिश्रण यानी फ्लेक्स-फ्यूल का उपयोग करके चलाया जा सकता है.

भविष्य का ईंधन

फ्लेक्स को भविष्य का ईंधन कहे जाने के दो मुख्य कारण हैं. पहला, यह अन्य ईंधनों की तुलना में 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जित करता है. दूसरा, यह अन्य ईंधनों की तुलना में किफायती भी है.

यह भारत में शुरू हो गया है

अक्टूबर 2022 में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल कार के लॉन्च को हरी झंडी दिखाई. जो टोयोटा द्वारा निर्मित कोरोला अल्टिस हाइब्रिड कार थी. बाद में, जनवरी 2023 में देश में हुए ऑटो एक्सपो में, मारुति सुजुकी ने भी अपनी फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल के रूप में वैगन-आर कार पेश की है.

इन देशों में पहले से ही मौजूद हैं फ्लेक्स-फ्यूल कारें

फ्लेक्स-फ्यूल से चलने वाली कारें भारत के लिए भले ही नई हों, लेकिन ये कारें दुनिया के कई देशों (जैसे अमेरिका, यूरोप, ब्राजील, चीन) में पहले से ही चलन में हैं.

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