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Holi 2024: होली कब है…ये जानने से ज्यादा जरूरी है ‘होली क्यों है’, जानें रंगों के त्योहार के पीछे की वजह

Holi 2024: होली हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, लेकिन क्या आप को पता है होली के पीछे का इतिहास क्या है?

Holi 2024: होली हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस दिन को खूब हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. यह खास त्योहार भारत में सर्दियों के अंत का प्रतीक माना जाता है, इस त्योहार के साथ वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है. लेकिन क्या आप को पता है होली के पीछे का इतिहास क्या है? इसके पीछे कुछ ऐसी पौराणिक कहानियां हैं जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे.

क्यों मनाई जाती है होली?

होली क्यों मनाई जाते हैं दरअसल इस सवाल के कई जवाब हैं, क्योंकि होली से कई तरह की पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है. सबसे पहली है भक्त प्रहलाद की कथा, पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे, हालांकि उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनके बेटे की यह भक्ति बिल्कुल भी पसंद नहीं थी और इस बात को लेकर वो इतने नकारात्मक हो गए थे कि एक बार उन्होंने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी. लेकिन होलिका को एक वरदान मिला था जिसके तहत उनके पास एक वस्त्र था और उसको पहन कर अगर वो आग पर बैठती तो आग से उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचता. वो उसी वस्त्र को पहनकर प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई. लेकिन भगवान विष्णु ने एक ऐसा चमत्कार किया कि प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका आग में जलाकर राख हो गई. इस तहत ये माना जाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी और इसी बात के जश्न के तौर पर होली का पर्व मनाया जाता है.

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भगवान शिव से जुड़ी होली की कहानी

धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव से विवाह के लिए कठिन तपस्या कर रही थी. कथाओं के अनुसार ये भी कहा जाता है कि भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र के हाथों राक्षस ताड़कासुर का वध होना लिखा था, ऐसे में उन दोनों का विवाह होना जरूरी था. इस दौरान इंद्र देव और अन्य देवताओं ने मिलकर कामदेव को शिवजी की तपस्या भंग करने का कार्य सौंपा. और उन्होंने शिव जी की तपस्या भंग करने के लिए उनपर पुष्प वाण छोड़ दिया, इसके बाद शिव जी की तपस्या भंग हो गई और उन्होंने क्रोध में आकर अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने शिव जी से अपने पति को जीवित करने की प्रार्थना की और शिव जी ने उनकी इच्छा को स्वीकार कर लिया. इसके बाद शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ जिसमें सभी देवता शामिल हुए, कहा जाता है कि वो दिन फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था और तब से हम इस दिन को होली के रूप में मनाते हैं.

क्या है राधा और कृष्ण की होली से जुड़ी कहानी

माना जाता है कि उत्तर प्रदेश के ब्रज में, भगवान श्री कृष्ण और राधा के प्रेम की याद में होली के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. वहां की होली इतनी मशहूर है कि उसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग मथुरा वृंदावन आते हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार, कृष्ण जी को अपने नीले रंग का मलाल रहता था क्योंकि राधा बिल्कुल गोरी थी. ऐसे में श्री कृष्ण की माता ने उन्हें जाकर राधा के चेहरे को किसी भी रंग से रंगे को कहा था, ऐसे में जब कृष्ण जी ने राधा को रंग लगाया तब से वो दोनों एक दूसरे के हो गए और तब से लोगों ने होली पर रंगों से खेलने की प्रथा की शुरुआत कर दी.

इस साल कब है होली

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है. और इस हिसाब से इस साल होली 25 मार्च को मनाई जाएगी. पूर्णिमा की तिथि की बात करें तो इसकी शुरुआत 24 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर होगी और 25 मार्च की सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. जानकारियों के मुताबिक, इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा भी लगा है.

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