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लोकसभा चुनाव: अति नक्सल प्रभावित आठ जिलों में शांतिपूर्ण मतदान कराना होगा चुनौती

वर्ष 2019 की तुलना में 2024 लोकसभा चुनाव में अतिसंवेदनशील व सामान्य बूथाें की संख्या में कमी आयी है. जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या में इजाफा हुआ है.

झारखंड में 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी जारी है. इस बार के चुनाव में प्रदेश के 24 जिलों में से आठ जिले अति नक्सल (माओवादी) प्रभावित हैं. इन जिलों में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराना सुरक्षाबलों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 13 जिले अति नक्सल प्रभावित थे. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर गौर करें, तो 2020, 2021, 2022 की तुलना में 2023 में सबसे ज्यादा नक्सली घटनाएं हुई हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में रांची, गुमला, लोहरदगा, पलामू, सरायकेला, लातेहार व चाईबासा में माओवादियों ने घटनाओं को अंजाम दिया था. आमचुनाव 2024 के मद्देनजर झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ ने रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है.

2019 की तुलना में 2024 लोस चुनाव में 439 अतिसंवेदनशील बूथ हुए कम

वर्ष 2019 की तुलना में 2024 लोकसभा चुनाव में अतिसंवेदनशील व सामान्य बूथाें की संख्या में कमी आयी है. जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या में इजाफा हुआ है. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान 1861 अतिसंवेदनशील, 3470 संवेदनशील और सामान्य बूथों की संख्या 25994 थी. जबकि पुलिस विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार 2024 लोकसभा चुनाव में अतिसंवेदनशील 1422, संवेदनशील 9265 और सामान्य बूथों की संख्या 20256 होगी.

यानी 2019 की तुलना में 2024 में अतिसंवेदनशील बूथों की संख्या 439 कम हो जायेगी. जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या 5795 बढ़ जायेगी. वहीं 5738 सामान्य बूथ भी कम हो जायेंगे. 2019 में 13 जिले अति नक्सल प्रभावित थे. जबकि 2024 लोकसभा चुनाव में अति नक्सल जिला की श्रेणी में सिर्फ आठ जिलों को रखा गया है. इनमें चतरा, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, खूंटी, सरायकेला, पश्चिम सिंहभूम और गिरिडीह जिला शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि 2019 लोकसभा चुनाव के समय सेंसस 2011 के अनुसार झारखंड की आबादी 32966238 थी. जबकि 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रोजेक्टेड आबादी 41471111 माना जा रहा है.

साहिबगंज में एक भी नहीं व रांची में 24 केस हुए थे

झारखंड में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान चुनाव संबंधी 193 अपराध दर्ज किये गये थे. इसमें से 31 मामलों में पुलिस ने संबंधित कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था. वहीं 162 केस में पुलिस ने चार्जशीट किया. जबकि कोर्ट का 35 मामलों में निर्णय आया है. 127 केस कोर्ट में लंबित है. कोर्ट से 12 मामलों में सजा दी गई है. जबकि 23 केस में आरोपी बरी हो गये हैं. पुलिस के पास एक भी केस लंबित नहीं है. राज्य के 24 जिलों में से साहिबगंज एक मात्र जिला है, जहां एक भी चुनाव संबंधी केस दर्ज नहीं हुआ. जबकि रांची में सर्वाधिक 24 केस दर्ज किये गये.

जिला केस
साहिबगंज 00
पाकुड़ 01
दुमका 06
जामताड़ा 06
देवघर 14
गोड्डा 13
कोडरमा 03
हजारीबाग 15
जिला केस
रामगढ़ 06
चतरा 08
गिरिडीह 13
बोकारो 16
धनबाद 09
पू सिंहभूम 21
सरायकेला 10
प सिंहभूम 02
जिला केस
रांची 24
खूंटी 02
गुमला 02
सिमडेगा 01
लोहरदगा 04
लातेहार 01
पलामू 07
गढ़वा 09

चार वर्ष में माओवादियों ने सबसे ज्यादा वारदात को दिया अंजाम

2019 के लोकसभा चुनाव में कहां-कहां घटनाएं हुईं
पुलिस पर अटैक की रांची में एक, गुमला में एक व चाईबासा की दो घटनाएं शामिल, पलामू में एक की हत्या, लातेहार में सुरक्षाबलों पर हमला, एक शहीद
पलामू में पोलिंंग पार्टी पर अटैक/आइइडी ब्लास्ट की दो घटनाएं
रांची और लोहरदगा में प्रचार वाहन पर आगजनी की घटना
पुलिस मुठभेड़ की खूंटी और सरायकेला में एक-एक घटना
िजलावार सक्रिय नक्सली (माओवादी) दस्ता
पलामू में माओवादी रीजनल कमांडर नितेश उर्फ इरफान, जोनल कमांडर संजय उर्फ गोडराम चार-पांच दस्ता सदस्यों के साथ मौजूद
चतरा में माओवादी जोनल कमांडर मनोहर गंझू और जोनल बुधन आठ से दस दस्ता सदस्यों के साथ भ्रमणशील
लातेहार में माओवादी रीजनल कमांडर छोटू खेरवार, जोनल कमांडर मृत्युंजय व नीरज दस्ता के 10-15 सदस्यों के साथ अद्ये एरिया में सक्रिय
लाेहरदगा-गुमला बोर्डर में रीजनल कमांडर रविंद्र गंझू 10-15 सदस्यों के साथ सक्रिय
गिरिडीह के पारसनाथ क्षेत्र में एक करोड़ का इनामी माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य विवेक व सैक सदस्य रामदयाल महतो 15-16 की संख्या में मौजूद
बोकारो के झुमरा में माओवादी रीजनल कमांडर अनुज व सैक सदस्य चंचल 10-11 की संख्या में है

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