वाराणसी: पूर्व विधायक व बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को 36 साल पुराने मामले में दोषी करार दिया गया है. वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने फर्जी लाइसेंस मामले में सुनवाई के बाद उन्हें दोषी करार दिया है. कोर्ट सजा 13 मार्च को सुनाएगी. बताया जा रहा है कि दोनाली बंदूक खरीदने को लिए फर्जी हस्ताक्षर करके लाइसेंस बनवाने के मामले में दोषी करार दिया है. कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए मुख्तार को दोषी ठहराया है. वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट के जस्टिस अवनीश कुमार गौतम ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. इस मामले में 27 फरवरी को बहस पूरी हुई थी.
डीएम व एसपी के फर्जी साइन से की थी लाइसेंस की संस्तुति
गौतलब है कि मुख्तार अंसारी ने ने जून 1987 में दोनाली बंदू के लिए गाजीपुर डीएम के कार्यालय में आवेदन किया था. इसमें उन्होंने डीएम व एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति के आधार पर बंदूक का लाइसेंस लिया था. जब ये मामला खुला तो सीबीसीआईडी ने 2 दिसंबर 1990 को मुख्तार अंसारी व तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर कराई थी. जांच के बाद 1997 में मुख्तार अंसारी व क्लर्क गौरी शंकर श्रीवास्तव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. सुनवाई के दौरान ही क्लर्क गौरी शंकर की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर के भी बयान दर्ज किए थे. उधर मुख्तार अंसारी के एडवोकेट का कहना है कि इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
तीसरा मामला है जिसमें सुनाई गई सजा
मुख्तार अंसारी के खिलाफ ये तीसरा मामला है, जिसमें सजा सुनाई गई है. इससे पहले उन्हें अवधेश राय और कोयला व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले भी भी सजा हो चुकी है.