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सासाराम-चौसा पथ से यूपी जा रहा अवैध बालू, कैमूर के बाद अब बक्सर ने खोला द्वार

बिहार में अवैध बालू का कारोबार जारी है. कैमूर के रास्ते बालू को अवैध तरीके से यूपी भेजने की बात सामने आयी तो वहां थोड़ी निगरानी सख्त की गयी तो बालू माफियाओं ने नया रास्ता तलाश लिया और अब सासाराम चौसा पथ इनके लिए सुरक्षित जोन बन चुका है.

रोहतास. एनएच-19 पर कैमूर के मोहनिया में बैरियर लगने के बाद अब बालू यूपी ले जाने के लिए इन दिनों सासाराम-चौसा पथ सुरक्षित जोन बना है. प्रतिबंध के बाद भी इस पथ से होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक व ट्रैक्टरों से मानकों की अनदेखी कर अवैध बालू की ढुलाई हो रही है. बिहार से अवैध बालू लदे ओवरलोड ट्रकों का यूपी में धड़ल्ले से आना-जाना जारी है. अवैध बालू लदे ट्रक यूपी में प्रवेश करने के लिए तय मानक से कई गुना अधिक भार लेकर सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं. ये ट्रक बक्सर जिले के यादव मोड़ और बक्सर में गंगा पुल पर बने पुल से होकर बेधड़क यूपी में प्रवेश कर रहे हैं.

लंबी कतार के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

यूपी-बिहार की सीमा को जोड़ने वाला सासाराम-चौसा पथ पर अवैध बालू लदे ट्रकों और ओवरलोडेड ट्रकों की लंबी कतार लग जाती है. बावजूद इसके खनन व वाणिज्य कर विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है. इससे सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये राजस्व का घाटा हो रहा है. आये दिन शाम ढलते ही इन अवैध व ओवरलोडेड बालू लदे ट्रकों और ट्रैक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर परिवहन विभाग की ओर से कुछ ट्रकों को पकड़कर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली जाती है, जबकि सासाराम-चौसा पथ के रास्ते दिन-रात अवैध बालू लदे ट्रकों और ट्रैक्टरों का परिचालन जारी है.

अवैध वसूली से मोटी रकम की हो रही उगाही

सूत्रों की मानें, तो इन ट्रक व ट्रैक्टरों पर बगैर चालान के अवैध रूप से बालू लोड कर प्रतिदिन हजारों की संख्या में सासाराम-चौसा पथ होकर उत्तर प्रवेश में प्रवेश करते हैं. इसके बदले खनन विभाग व पुलिस को मोटी रकम प्राप्त होती है. यही नहीं, बालू के अवैध कारोबार करने वाले लोगों की ओर से ट्रक चालकों के गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचने के लिए रास्ते भर व्यवस्था कर दी जाती है. अधिकारियों के रास्ते में उपस्थिति होने की जानकारी मिलने पर बालू माफिया ट्रकों को फौरन कहीं भी खड़ा कर देने का संकेत देते हैं. अधिकारियों के सड़क से हट जाने के बाद लाइनर चालकों को हरी झंडी देकर आगे बढ़ने का संदेश भेज देते हैं. इस कार्य में लिप्त माफियाओं की अच्छी खासी कमाई हो रही है.

लोगों में जाम को लेकर भी है नाराजगी

लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन चाहे, तो एक भी अवैध रूप से बालू लदा ट्रक यूपी की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकता है. लेकिन, प्रशासन इसके प्रति गंभीर नहीं है. अवैध बालू लदे ओवरलोड ट्रकों के नहीं पकड़े जाने से प्रदेश सरकार को राजस्व की क्षति होने के साथ सड़क भी क्षतिग्रस्त हो रही है. अवैध बालू लदे ओवरलोड ट्रक अक्सर जाम की वजह बनते हैं. सड़क पर दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. इन अवैध ओवरलोडेड बालू लदे ट्रकों की चपेट में आने से कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं और कई लोग विकलांग हो घर बैठे हो गये हैं. लेकिन, ओवरलोडिंग पर लगाम लगाना मुश्किल दिख रहा है.

अधिकारी का बयान

क्या कहते हैं थानेदार
इस संबंध में थानाध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया कि अवैध बालू लदे ट्रक व ट्रैक्टरों के विरुद्ध समय-समय पर कार्रवाई जाती है और यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी.
क्या कहते हैं सीओ
इस संबंध में सीओ अजित कुमार ने कहा कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर ओवरलोडिंग और अवैध बालू के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. आगे भी निर्देश मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.

ऐसे होता है अवैध बालू का खेल

बालू के खेल में बालू माफियाओं के साथ शासन व प्रशासन के लोगों की मिलीभगत की बात किसी से छिपी नहीं है. गत वर्षों में कई ऐसी घटनाएं सामने आयी हैं, जिसमें बालू कारोबारियों के साथ शासन और प्रशासन के कई आला अधिकारियों के नामों का खुलासा हो चुका है. सूत्रों की मानें, तो बालू के अवैध कारोबार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बालू कारोबारियों की ओर से पुलिस के प्रशासन के आला अधिकारियों को मोटी रकम भेंट की जाती है. इसके अलावे रूट में पड़ने वाले संबंधित थाने को प्रति ट्रक तीन हजार रुपये और गश्ती पार्टी को प्रति ट्रक पांच सौ रुपये दिया जाता है, जबकि ट्रैक्टर जिससे सिर्फ अवैध बालू की ढुलाई होती है उस ट्रैक्टर के लिए प्रति माह संबंधित थाने को 35 सौ रुपये और गश्ती पार्टी को दो सौ रुपये मिलते हैं.

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