रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने प्रथम व द्वितीय जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता सहित 12 परीक्षाओं की सीबीआइ जांच तथा राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिकाओं पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार व सफल अभ्यर्थियों (नियुक्त पदाधिकारियों) का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर 10 अलग-अलग अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि कई प्रतिवादियों (अभ्यर्थी) की सर्विस को राज्य सरकार ने कंफर्म किया है. उन्हें प्रोन्नति भी दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रतिवादी नाैकरी कर रहे है. खंडपीठ ने एकल पीठ के वर्ष 2011 के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया. इससे पूर्व प्रतिवादियों (सफल अभ्यर्थी) की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पैरवी की. झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राज्य सरकार की ओर से 10 अलग-अलग अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनाैती दी गयी थी. एकल पीठ ने वर्ष 2011 में प्रार्थियों की याचिका को स्वीकार करते हुए सेवा से बर्खास्त करने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था तथा पुनर्बहाल करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने 10 अगस्त 2010 को मुकेश कुमार महतो, रवि कुमार कुजूर, हरि उरांव, कुमारी गीतांजलि, प्रशांत कुमार लायक, प्रकाश कुमार, विनोद राम, लाल मनोजनाथ शाहदेव, राधा प्रेम किशोर सहित 19 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था. अधिकारियों ने रिट याचिका दायर कर बर्खास्तगी आदेश को चुनाैती दी थी.
जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी
खंडपीठ ने कहा कि बुद्धदेव उरांव व पवन कुमार चाैधरी की ओर से जेपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की सीबीआइ जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी. इस पर अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने जेपीएससी परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ गड़बड़ियों की जांच कर रही है.