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One Nation One Election: ‘एक देश, एक चुनाव’ के समर्थन में 32 पार्टियां, कांग्रेस सहित 15 दलों ने किया विरोध

One Nation One Election: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर अपनी 18000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी. जिसमें समिति ने एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश कर दी है. समिति की रिपोर्ट आने के बाद अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है.

One Nation One Election: एक देश, एक चुनाव के समर्थन में आईं 32 पार्टियां

एक देश, एक राष्ट्र को लेकर समिति ने 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया.

One Nation One Election: 15 पार्टियों ने एक देश, एक चुनाव का किया विरोध

एक राष्ट्र, एक चुनाव का 15 पार्टियों ने विरोध किया. इन पार्टियों ने इस मुद्दे पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया. क्षेत्रीय पार्टियों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रमुक, नागा पीपुल्स फ्रंट और समाजवादी पार्टी ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया. अन्य दलों में भाकपा (माले) लिबरेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) भी विरोध करने वाले राजनीतिक दलों में शामिल हैं.

बीजेपी सहित 32 पार्टियों ने एक राष्ट्र, एक चुनाव का किया समर्थन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) सहित 32 पार्टियों ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया. अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिव सेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया.

इन पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी

भारत राष्ट्र समिति, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू- कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल (सेक्युलर), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देसम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

पार्टियां क्यों कर रहीं विरोध

जिन राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का विरोध किया, उन्होंने आशंका जताई कि इसे अपनाने से संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन हो सकता है, यह अलोकतांत्रिक और संघवाद विरोधी हो सकता है, क्षेत्रीय दलों को हाशिए पर धकेल सकता है, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को प्रोत्साहित कर सकता है और इसका परिणाम देश में शासन की राष्ट्रपति प्रणाली के तौर पर सामने आ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आप, कांग्रेस और माकपा ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है.

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