16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

EXCLUSIVE: वनवास काट रहे कोलाबाड़िया के 30 परिवार, फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत के गांव में नहीं बुनियादी सुविधाएं

गुड़ाबांदा प्रखंड की फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत का एक गांव कोलाबाड़िया पहाड़ पर बसा है. इस गांव के 30 परिवार वनवास की जिंदगी काट रहे हैं. गांव में सड़क के नाम पर पहाड़ और जंगल की पगडंडी है.

गुड़ाबांदा (पूर्वी सिंहभूम), मो परवेज/कुश महतो : पूर्वी सिंहभूम जिले में अवस्थित गुड़ाबांदा प्रखंड की भूमि रत्न गर्भा है, यहां के भूगर्भ में पन्ना, नीलम, माइका जैसी बेसकीमती खनिज संपदा है, पर यहां के गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. खनिज संपदा बाहरी लूटकर ले जा रहे हैं. स्थानीय फटेहाल की जिंदगी जीने को विवश हैं. उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया.

पहाड़ पर बसा है कोलाबाड़िया गांव

गुड़ाबांदा प्रखंड की फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत का एक गांव कोलाबाड़िया पहाड़ पर बसा है. इस गांव के 30 परिवार वनवास की जिंदगी काट रहे हैं. गांव में सड़क के नाम पर पहाड़ और जंगल की पगडंडी है. तांतीपाड़ा से कोलाबाड़िया गांव तक जाने का रास्ता ही नहीं है. यहां के लोग जब बीमार पड़ते हैं या जब किसी को प्रसव पीड़ा उठती है तो परिजन खटिया से ढोकर चार किमी पहाड़ी रास्ता पार कर तांतीपाड़ा ले आते हैं.

  • कोलाबाड़िया में 2015-16 में आयी थी बिजली, एक साल तक जली, अबतक आ रहा बिल
  • गांव में सड़क के नाम पर पहाड़ व जंगल की पगडंडी है
  • बीमार होने पर चार किमी खटिया पर ढोकर तांतीपाड़ा लाते हैं, फिर वाहन से भेजते हैं धालभूमगढ़ सीएचसी
  • रास्ता नहीं होने से 10 किमी साइकिल व 8 किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं शिक्षक

गुड़ाबांदा में सीएचसी तक नहीं

यहां से फिर वाहन मंगा कर इलाज के लिए धालभूमगढ़ सीएचसी ले जाते हैं. गुड़ाबांदा में सीएचसी तक नहीं है. कोलाबाड़िया गांव में किसी को पीएम आवास योजना का लाभ तक नहीं मिला है. अब उन्हें अबुआ आवास योजना से घर मिलने की उम्मीद है.

कोलाबाड़िया स्कूल के बच्चे गड्ढे का पानी पीने को विवश, इसी से बनता है एमडीएम

पूर्वी सिंहभूम का कोलाबाड़िया गांव में उप्रावि पहाड़ पर स्थित है. यहां दो शिक्षक हैं. शिक्षकों को करीब हर दिन 18 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. शिक्षक बारुणमुठी से खेजुरदाड़ी तक 10 किमी साइकिल व इसके बाद खेजुरदाड़ी से 8 किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं. शिक्षक मध्याह्न भोजन का सामान लेकर स्कूल आते हैं. स्कूल में 18 बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल का किचेन शेड तक नहीं है. स्कूल के बरामदे में मध्याह्न भोजन बनता है.

Gudabanda East Singhbhum News Today
पहाड़ की तलहटी पर खेत में बना गड्ढा, जिसका पानी पीते हैं बच्चे.

पहाड़ की तलहटी पर खेत में एक गड्ढा से पानी लाकर मध्याह्न भोजन बनाया जाता है. यही पानी बच्चे भी पीते हैं. इससे संक्रमण होने का खतरा बना रहता है. स्कूल के सामने मनरेगा योजना से बन रहा कुआं कई साल से अधूरा पड़ा है. शिक्षक जादूनाथ मुर्मू ने बताया कि पूर्व बीडीओ सीमा कुमारी ने स्कूल के निरीक्षण के क्रम में कहा था कि यहां पानी की समस्या दूर की जायेगी और मध्याह्न भोजन के लिए किचेन शेड भी बनेगा, पर अबतक कुछ नहीं हुआ.

Also Read : EXCLUSIVE: झारखंड में आदिम जनजाति की दुर्दशा: बेटे-बहू के साथ शौचालय में रहने को मजबूर गुरुवारी सबर

निजी घर में चलता है आंगनबाड़ी केंद्र, 21 बच्चे नामांकित

2007 में कोलाबाड़िया का आंगनबाड़ी केंद्र शुरू हुआ. इस केंद्र का आज तक अपना भवन नहीं बना है. निजी घर में केंद्र चल रहा है, जहां 21 बच्चे नामांकित हैं. आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका माधो मार्डी ने बताया कि 200 रुपये प्रतिमाह भाड़ा देकर निजी घर में आंगनबाड़ी केंद्र चला रहे हैं. 2015 के बाद भाड़ा नहीं मिला है. आंगनबाड़ी तक सड़क तक नहीं है.

Gudabanda East Singhbhum Today News
पहाड़ पर कोलाबाड़िया स्कूल.

राशन के लिए 15 किमी दूर तालेबेड़ा जाते हैं ग्रामीण, गांव में बिजली भी नहीं

कोलाबाड़िया के ग्राम प्रधान राम टुडू ने बताया 2015-16 में गांव में बिजली आयी थी. एक साल तक बिजली ठीक-ठाक जली, इसके बाद ठप हो गयी. पर दुर्भाग्य है कि अब भी बिजली बिल आ रहा है. ग्राम प्रधान ने बताया कि कोलाबाड़िया के लोग 15 किमी दूर फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत के तालेबेड़ा गांव पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं.

Gudabanda East Singhbhum Today
इसी पगडंडी से जाते हैं लोग.

ग्रामीण ने कहा कि बीडीओ सीमा कुमारी को छोड़कर आज तक कोई सरकारी पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि इस गांव में नहीं आया है. ग्रामीण मकरू कालोंडीहा, रामराई मुर्मू, दासो टुडू ने कहा कि कहने को तो हम इंसान है, पर जानवरों से बदतर जिंदगी जी रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें