Handloom industry बिहार के मुजफ्फरपुर में हस्तकरघा बुनकर सहयोग संघ को और मजबूत करने का सरकार ने मन बना लिया है. सरकार इसके उत्पादों को बाजार में पहचान दिलाने की कवायद शुरू कर दी है. इसे लेकर उद्योग विभाग हस्तकरघा बुनकर सहयोग संघ को हैंडलूम मार्का से निबंधित कर उसपर विशेष मार्का लगायेगा. मुजफ्फरपुर सहित सूबे के यूआइडी प्राप्त बुनकारों को हैंडलूम मार्का दिया जायेगा, जो हाथ से बने उत्पाद की गुणवत्ता की शत-प्रतिशत गारंटी देगा.
निर्माता अपने उत्पाद का बाजार में इस मार्का से प्रचार-प्रसार कर सकते हैं. विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार ने हैंडलूम मार्का देने को लेकर आदेश जारी किया है. खादी ग्रामोद्योग संघ के सचिव वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया जिले में खादी कपड़ों का करीब 10 करोड़ से भी अधिक का बाजार है. यहां हर प्रकार के कपड़े बुने जाते हैं. पहले की अपेक्षा खादी ग्रामोद्योग के कपड़ों की मांग बढ़ी है. कपड़ों के धागे में विविधता भी लाई गई है. धोती, चादर, टोपी, झंडा तैयार कराया जाता है. बुनकरों को धागा दिया जाता है. इसके बाद वह उससे कपड़ा तैयार करते हैं. अब बाजार में कई आउटलेट हैं. खादी भंडार रोड, सरैयागंज और स्टेशन पर खादी ग्रामोद्योग का अपना आउटलेट है, जहां से बुनकरों के द्वारा बुने और रंगरेज द्वारा रंगे कपड़ों की बिक्री की जाती है.
बुनकरों के नयी पीढ़ी को किया जायेगा प्रोत्साहित
सचिव ने बताया कि बुनकरों की आर्थिक स्थिति नाजुक है. पूर्वजों की दयनीय स्थिति को देखते हुए अब बुनकरों की नई पीढ़ी सामने नहीं आ रही है. इनके उत्थान के लिए उद्योग विभाग प्रोत्साहित कर रहा है. मार्का जारी होने के बाद उनकी आय भी बढ़ेगी.रोजगार में भी साधन में बढ़ोतरी होगी. जिले के बुनकर दूसरे राज्यों में जाकर कपड़े की बुनाई कर रहे हैं. वहां उनका मेहनताना भी इस राज्य से अधिक है. जिले के मोतीपुर, सकरा, मुशहरी के अलावा भागलपुर के बुनकर जिले में धागा से कपड़े की बुनाई कर रहे हैं. इनकी संख्या तीन सौ से अधिक है.