Electoral Bond: कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड का विवरण जारी करने के ठीक बाद गुरुवार को कहा कि दाता और प्राप्तकर्ता फाइल में प्रविष्टियों की संख्या में विसंगति है. विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी सवाल किया कि साझा किया गया विवरण अप्रैल 2019 की अवधि से संबंधित क्यों है, जबकि यह योजना 2017 में शुरू की गई थी. कांग्रेस के संचार विभाग में अनुसंधान और निगरानी के प्रभारी अमिताभ दुबे ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना 2017 में शुरू की गई, लेकिन प्रस्तुत आंकड़े अप्रैल 2019 से हैं.
दाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर कहा, दाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां हैं, प्राप्तकर्ताओं की फाइल में 20,421 प्रविष्टियां हैं. यह विसंगति क्यों है? दुबे के पोस्ट को टैग करते हुए कांग्रेस सांसद और आंध्र प्रदेश के पार्टी प्रभारी मनिकम टैगोर ने विसंगति का जिक्र करते हुए कहा, क्या यह संयोग है? मुझे लगता है नहीं… सरकार पर निशाना साधते हुए युवा कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बी. वी. ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’ का मतलब है कि ‘‘मैं कंपनियों को धमकाऊंगा, ईडी के छापे डलवाऊंगा, चंदा इकट्ठा करूंगा और भाजपा का खजाना भरता रहूंगा.
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चुनावी बॉन्ड के प्रमुख खरीदार
स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉन्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल थे. आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन यानी 15 मार्च शाम पांच बजे तक, से एक दिन पहले ही डाटा जारी कर दिया जिसके बाद से राजनीतिक बयानबाजी तेज हो चली है. आयोग ने 14 मार्च को ही सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी.