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Yodha Movie Review: एंटरटेनमेंट में औसत रह गयी है फिल्म योद्धा… यहां पढ़ें पूरा रिव्यू

Yodha Movie Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टारर फिल्म योद्धा आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. फिल्म भारत पाकिस्तान के दुश्मनी के फार्मूले पर बनी है. इसके एक के बाद एक आने वाले ट्विस्ट आपको खूब एंटरटेन करेंगे, लेकिन कहानी फिर भी काफी कमजोर लगती है.

फिल्म योद्धा
निर्माता- धर्मा फिल्म्स
निर्देशक- सागर अंब्रे और पुष्कर ओझा
कलाकार- सिद्धार्थ मल्होत्रा,राशि खन्ना,दिशा पाटनी,सनी हिंदुजा,तनुज और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग-ढाई

Yodha Movie Review: अय्यारी, शेरशाह और वेब सीरीज इंडियन पुलिस फोर्स के बाद एक बार फिर अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा वर्दी में अपने देश को बचाने के लिए कुछ भी कर गुज़रते नजर आ रहे हैं. देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत यह हाईजैक्ड फिल्म शुरुआत में भारत पाकिस्तान के दुश्मनी के फार्मूले पर बनी रटी रटायी फिल्म सी ही नज़र आ रही थी, लेकिन इंटरवल से ठीक पहले एक ट्विस्ट कहानी को एक अलग ही दिशा दे देती है, जिससे फिल्म में दिलचस्पी तो बढ़ती है, लेकिन उसके बाद कहानी फिर कमजोर पड़ जाती है. लॉजिक गायब हो जाता है लेकिन सिनेमा का वो मैजिक भी पर्दे पर नहीं आ पाता है, जिसमें सब कुछ जायज लगे. कुल मिलाकर यह एक्शन थ्रिलर फिल्म औसत रह गई है.

देश के लिए जान की बाज़ी लगाने वाले योद्धा की है कहानी
देश के लिए शहीद हो चुके अपने पिता सुरेंद्र कात्याल (रोनित रॉय) के नक्शेकदम पर चलते हुए, अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) भी बड़े होने पर देश की सेवा करने के लिए योद्धा टास्क फोर्स में शामिल हो जाता है . वह जाबाज ऑफिसर है, फिल्म के पहले ही सीन में स्थापित हो जाता है लेकिन जल्द ही कहानी में एक प्लेन हाईजैक का एपिसोड आता है, जिसमें अरुण देश के महान साइंटिस्ट को आतंकियों के चंगुल से बचा नहीं पाता है, जिसके परिणामस्वरूप योद्धा टास्क फोर्स को भंग कर दिया गया. इससे अरुण प्रोफेशनल ही नहीं पर्सनल लाइफ में भी बहुत कुछ खो बैठता है. कुछ सालों के लिए कहानी आगे बढ़ जाती है. अरुण खुद को एक हाईजैक विमान पर पाता है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि भारत सरकार ही नहीं अरुण के अपनों को भी अपहरण की साजिश रचने का संदेह उसी पर होने लगता है. क्या अरुण खलनायक है जैसा कि दिख रहा है, या कहानी में कुछ और भी है? यही सब आगे की कहानी है.

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फिल्म की खूबियां और खामियों
योद्धा की कहानी को हाईजैक पर बताकर प्रचारित किया गया था, लेकिन यह उस विषय पर बनी टिपिकल फिल्म नहीं है. फिल्म में काफ़ी ट्विस्ट जोड़े गये लेकिन वह कहानी को प्रभावी नहीं बना पाये हैं . हालाँकि कुछ ट्विस्ट पहले से मालूम भी पड़ गये हैं .इससे इंकार नहीं किया जा सकता है . फिल्म में इमोशन का स्तर बेहद कमज़ोर रह गया है . अरुण के संघर्ष और मुसीबत आपको उससे जोड़ नहीं पाते हैं . जो लेखन की कमजोरी है. फिल्म का एक्शन अच्छा बन पड़ा है. गीत संगीत फिल्म के विषय के साथ न्याय करते हैं .हालिया एजेंट फिल्मों की तरह यह फिल्म भी भारत पाकिस्तान की एकता का संदेश देती है

सिद्धार्थ का एक्शन अवतार है लुभाता
अभिनय की बात करें तो सिद्धार्थ मल्होत्रा ने पूरे जोश के साथ अपने किरदार को निभाया है. पर्दे पर वह यूनिफार्म में और आकर्षक दिखते हैं. एक्शन दृश्यों में उन्होंने छाप छोड़ी है. राशि खन्ना अपनी भूमिका में जमी है. दिशा के किरदार से जुड़ा दिलचस्प ट्विस्ट उनके अभिनय में रंग भरता है सनी हिंदुजा रटे रटाये खलनायक की तरह लगे हैं, उनके जैसे समर्थ कलाकार से अच्छे की उम्मीद थी. बाकी के कलाकारों का अभिनय कहानी के अनुरूप थे.

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