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आम चुनाव के पहले ही झारखंड में वाम एकता में हुआ बिखराव

झारखंड में चुनाव के पहले ही जमीन पर वामपंथी पार्टियों का एका बिखर गयी है. तीन प्रमुख वामपंथी दलों का एक साथ मुकम्मल तरीके साथ लोकसभा चुनाव में जाना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है.

बिपिन सिंह, रांची : लोकसभा चुनाव में दो महीने से भी कम का समय बचा है. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, विपक्षी गठबंधन इंडिया की पोल खुलती जा रही है. नरेंद्र मोदी और भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही थी. लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर यह लोकसभा चुनावों की औपचारिक घोषणा के पूर्व ही बिखरता नजर आ रहा है. राज्य में चुनावी तालमेल की चर्चा अब सवालों से ज्यादा संभावनाओं पर टीक गयी है.
झारखंड में चुनाव के पहले ही जमीन पर वामपंथी पार्टियों का एका बिखर गयी है. तीन प्रमुख वामपंथी दलों का एक साथ मुकम्मल तरीके साथ लोकसभा चुनाव में जाना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है. माकपा को छह फीसदी वोट शेयर लाकर राष्ट्रीय पार्टी होने का अपने अस्तित्व को बरकरार रखने की चुनौती है, तो वहीं राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो चुकी भाकपा खुद को बचाने की अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. वह पहले तो गठबंधन में परंपरागत हजारीबाग सीट चाहती थी. झामुमो और कांग्रेस से शेररिंग पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर वह अकेले आठ सीटों पर लड़ाई लड़ने का एकतरफा दम ठोंक रही है.


माले को है भराेसा, कोडरमा सीट िमल सकती है :

भाकपा-माले बिहार में एक एमएलसी और लोकसभा की आरा सीट मिलने से संतोष की स्थिति में है. झारखंड में कोडरमा सीट उसके खाते में जाने का पूरा भरोसा है, अगर बात नहीं भी बनती है तब भी वह इस सीट पर मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी.

विपक्षी एकता के बिखरने के पीछे को-ऑर्डिनेशन का अभाव

चुनाव से पहले इस विपक्षी एकता के बिखरने के पीछे कोऑर्डिनेशन का अभाव नजर आ रहा है. राज्य में प्रमुख वामपंथी पार्टियां भाकपा, माकपा और भाकपा-माले लोकसभा सीटों पर दावेदारी सामने रख दी है. भाकपा के हजारीबाग संसदीय सीट से पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को छोड़ अभी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा बाकी है, वह कोडरमा में भी अपने प्रत्याशी उतारेगी. कोडरमा सीट पर भाकपा माले और भाकपा आमने सामने होगी, यहां दोनों वामपंथी पार्टियां आपस में ही टकरायेगी.

क्यों बिखर रहा इंडिया एलायंस :

इंडिया गठबंधन की में सीट शेयरिंग को लेकर सभी पार्टियों को अपने-अपने राज्यों में फॉर्मूला निकालने और जल्द सहमति बनाने की बात कही गई थी. लेकिन, झारखंड में फॉर्मूला तैयार करने में देरी हो रही है. हर दल अपने राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है. इसी को लेकर लेफ्ट गठबंधन के सहयोगी दलों में विवाद शुरू हो गया

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