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जमशेदपुर के सबसे कम उम्र के सांसद रहे हैं नीतीश और आभा

2019 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो लगातार दूसरी बार सांसद चुने गये. इस बार उन्होंने रिकॉर्ड मतों के अंतर से जीत दर्ज की.

संजीव भारद्वाज, जमशेदपुर : जमशेदपुर संसदीय सीट से युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड नीतीश भारद्वाज और आभा महतो के नाम दर्ज है. दोनों 34-34 साल की उम्र में सांसद चुने गये थे. नीतीश का जन्म 2 जून 1962 को हुआ और उन्होंने 1996 में चुनाव लड़ा. आभा महतो 1998 के चुनाव में टाटा स्टील के पूर्व एमडी रूसी मोदी को हरा कर संसद पहुंची थीं. आभा महतो दूसरी बार 35 साल की उम्र में लोकसभा पहुंची थी. झामुमो से इस सीट पर लोकसभा चुनाव जीतनेवाले दूसरे कम उम्र के सांसद शैलेंद्र महतो रहे. उन्होंने 36 वर्ष की उम्र में जीत हासिल की थी. दूसरी बार 38 साल की उम्र में वे सांसद बने. जमशेदपुर सीट से संसद का सफर तय करने वाले जनप्रतिनिधियों की औसत आयु 44 साल रही है.

जमशेदपुर के सबसे उम्रदराज सांसद गोपेश्वर (अब स्वर्गीय) रहे. मजदूर नेता गोपेश्वर ने 1984 में सीपीआइ प्रत्याशी टीकाराम माझी को हरा कर चुनाव जीता था. गोपेश्वर का जन्म 21 दिसंबर 1921 को हुआ था, 1984 में जब वे सांसद बने तब उनकी उम्र 63 साल थी. रुद्र प्रताप षाडंगी ने भी 1977 और 80 चुनाव में जीत हासिल की. झामुमो के सुनील महतो 38 साल, अर्जुन मुंडा 41 साल की आयु में सांसद बने. 2011 का उपचुनाव जीतने वाले डॉ अजय कुमार 49 वर्ष की उम्र में संसद पहुंचे थे.

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो लगातार दूसरी बार सांसद चुने गये. इस बार उन्होंने रिकॉर्ड मतों के अंतर से जीत दर्ज की. वर्ष 2014 के चुनाव में उन्होंने डॉ अजय कुमार को 99,876 मतों के अंतर से हरा कर उनसे यह सीट छीनी थी, वहीं, 2019 के चुनाव में वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन (झामुमो प्रत्याशी) को 3,02,090 मतों के अंतर से पराजित किया. विद्युत वरण महतो को 6,79,632 (59.39 %) मत मिले, जबकि चंपाई सोरेन को 3,77,542 (32.99 %) वोट मिले थे. इन दोनों प्रत्याशियों को छोड़ कर अन्य 19 की जमानत जब्त हो गयी थी.

भाजपा ने पहली बार सामान्य सीट पर उतारा आदिवासी प्रत्याशी

2009 में जमशेदपुर की सामान्य सीट पर भाजपा ने आदिवासी प्रत्याशी के रूप में अर्जुन मुंडा को उतारा और उन्होंने सांसद सह प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही सुमन महतो को बड़े अंतर से हराया. 2011 में अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री बनने के लिए इस्तीफा दिया. उपचुनाव में कभी जिले के एसपी रहे डॉ अजय कुमार को झाविमो ने प्रत्याशी बनाया, जिन्होंने भाजपा के डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को पराजित किया.

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