Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA, एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अधीश सी अग्रवाल की चिट्ठी खारिज कर दिया है. कोर्ट ने पत्र को पब्लिसिटी स्टंट बताया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को डॉ अधीश अग्रवाल ने पत्र लिखकर चुनावी बांड पर संविधान पीठ के 15 फरवरी के फैसले की स्वत: समीक्षा की मांग की गई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये सभी प्रचार-संबंधी मुद्दे हैं हम इसमें नहीं पड़ेंगे. सीजेआई ने अग्रवाल से कहा कि ‘एक वरिष्ठ वकील होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष भी हैं. आपने मेरी स्वत: प्रेरणा शक्तियों का उपयोग करते हुए एक पत्र लिखा है. ये सभी प्रचार-संबंधी हैं. और हम इसमें नहीं पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी कहने के लिए बाध्य न करें.’
एससीबीए ने कोर्ट से किया था अनुरोध
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में डॉ अग्रवाल ने अपने पत्र का जिक्र करते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ के सामने फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया. जिस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी अस्वीकृति दी. सीजेआई ने पत्र को प्रचार का रूप बताया और साफ कर दिया कि अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा. दरअसल, अधीश अग्रवाल ने कोर्ट से कहा था कि दानदाता और उनके चंदे की जानकारी सार्वजनिक होने से उद्योगपतियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसे होने से राजनीतिक पार्टियां उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है.
एसबीआई से 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारियों का खुलासा करने का आदेश
गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार को तीसरी बार भारतीय स्टेट बैंक को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को कहा कि चुनिंदा रवैया न अपनाने और 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करे. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारियों का खुलासा करने को कहा जिसमें विशिष्ट बॉण्ड संख्याएं भी शामिल हैं जिससे खरीददार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को बॉण्ड की सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करना होगा. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं. पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग एसबीआई से जानकारियां मिलने के बाद अपनी वेबसाइट पर तुरंत इन्हें अपलोड करे. गौरतलब है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे असंवैधानिक करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था. भाषा इनपुट के साथ
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