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लोकसभा चुनाव 2024: पश्चिमी चंपारण में जातीय गणित के बाजीगर के हाथ में होगी जीत

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी क्षेत्र में पार्टियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. ऐसी एक लोकसभा सीट हैं जहां जातीय गणित के बाजीगर की हमेशा जीत होती रही है. जानिए इस लोकसभा सीट के बारे में...

अनुज शर्मा, मुजफ्फरपुर. लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजनीति सरगर्मी धीरे-धीरे तेज होने लगी है. ऐसे में आज बात करते हैं अंग्रेजों के खिलाफ नील आंदोलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह की गवाह रहे लोकसभा क्षेत्र पश्चिमी चंपारण  (2009 से पहले बेतिया) की. इस धरती पर जीत जातीय गणित की बाजीगरी से मिलती है. इस गणित को जिसने साध लिया, जीत उसी की तय मानी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां छह मार्च को चुनावी सभा कर चुके हैं. उन्होंने चार बार भारत माता की जय और 13 संकल्पों का आह्वान कर इतनी ही बार लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीट सहित देशभर में 400 से अधिक सीट जिताने का संकल्प चंपारण की जनता से लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेतिया में हुई जनसभा से साफ-साफ संदेश दिया कि पश्चिमी चंपारण केवल एक लोकसभा क्षेत्र नहीं है, यह बिहार की जनता को साथ लाने और एनडीए का बेड़ा पार कराने का केंद्र भी है. उधर, विपक्षी महागठबंधन की तैयारी भी कम नहीं है. विपक्ष ने अपनी जीत पक्की करने के लिए गोलबंदी तेज कर दी है. बिहार भाजपा को नेतृत्व दे चुके डॉ संजय जायसवाल वर्तमान में यहां से सांसद हैं.

हर चुनाव में जीत का अंतर बढ़ाया है जायसवाल ने

2009 से पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट पर भाजपा के डॉ संजय जायसवाल जीतते आ रहे हैं. 2019 में महागठबंधन के रालोसपा उम्मीदवार बृजेश कुमार कुशवाहा को 2.92 लाख वोटों से, 2014 में जदयू उम्मीदवार प्रकाश झा को 1.1 लाख वोटों से और 2009 में लोजपा उम्मीदवार रहे प्रकाश झा को ही 47 हजार वोटों से हराया था.

ब्राह्मण वर्चस्व के खिलाफ सामाजिक न्याय की लड़ाई

पश्चिमी चंपारण (बेतिया) 1967 में जब पहली बार सामान्य श्रेणी की सीट बनी, तब से यहां सवर्ण जातियों का राजनीतिक क्षेत्र पर दबदबा रहा है. कांग्रेस, अपने ब्राह्मण-मुस्लिम-अनुसूचित जातियों के मूल समर्थन के साथ शीर्ष स्थान पर रह चुकी है. 1989-90 में हिंदी पट्टी में मंडल राजनीति की आंधी आने से लगभग एक दशक पहले स्थानीय नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष डॉक्टर मदन प्रसाद जायसवाल ने बेतिया की सड़कों पर एक प्रतीकात्मक प्रदर्शन में ब्राह्मणों के राजनीतिक प्रभुत्व को चुनौती दी थी.

आरएसएस-जनसंघ के मजबूत संबंधों वाले एक पुराने परिवार से (उनके भाई भवानी प्रसाद जनसंघ के टिकट पर कई चुनाव लड़ चुके थे), आने वाले डॉ मदन प्रसाद जायसवाल चिकित्सा सेवा के बल पर व्यापक पहचान बनायी और सम्मान के साथ राजनीति में शामिल हुए थे. जायसवाल ने जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में जमुना पाठक के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शन करके इन हिस्सों में सामाजिक न्याय आंदोलन को हवा दी. डॉक्टर जंजीरों में जकड़ कर सड़कों पर उतर आये. भले ही इसे राजनीतिक तमाशा कहा गया, लेकिन इससे कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिली. 1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर धर्मेश प्रसाद वर्मा को जीत मिली.

2019 लोकसभा चुनाव में वोट (%)पैटर्न

  • बीजेपी – 59. 6
  • आरएलएसपी – 30.6

2020 विधानसभा चुनाव में वोट (%)पैटर्न

  • कांग्रेस – 22.6
  • भाजपा – 31.7
  • जेडीयू – 5.6
  • राजद – 14.6
  • एलजेपी – 3.4
  • आरएलएसपी – 1.4
  • एनसीपी – 0.1

विधानसभा सीटों पर दलगत स्थिति

पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें रक्सौल, नरकटियागंज, सुगौली, पूर्वी चंपारण तथा बेतिया, नौतन और चनपटिया विधानसभा क्षेत्र पश्चिमी चंपारण में आते हैं. इसमें भाजपा पर 4 और राजद के 2 विधायक हैं. नौतन से नारायण प्रसाद (भाजपा), चनपटिया से उमाकांत सिंह (भाजपा), बेतिया रेनू देवी (भाजपा), रक्सौल प्रमोद कुमार सिन्हा (भाजपा) विधायक हैं. सुगौली से इंजीनियर शशि भूषण सिंह (राजद), नरकटिया से शमीम अहमद (राजद) विधायक हैं.

सांसद की शिक्षा- संपत्ति

2019 के लोकसभा चुनाव में दी गई जानकारी के अनुसार संजय जायसवाल ने मेडिकल की पढ़ाई की है. उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से 1997 में एम.डी. (जेनेरिक मेडिसिन) और 1991 में पटना विश्वविद्यालय से एमबीबीएस किया है उनकी कुल संपत्ति 19,94,04,885 (~ 19 करोड़  ) रुपये है. हालांकि 6,73,70,030 (~ 6 करोड़  ) की देनदारी भी थीं.

2024 में वोटर

  • 1741095 कुल वोटर
  • 927735 पुरुष
  • 818300 महिला
  • 60 ट्रांसजेंडर

लोकसभा क्षेत्र बेतिया में कब कौन चुना गया

  • 2004 -रघुनाथ झा- (राष्ट्रीय जनता दल)
  • 1999 -मदन प्रसाद जायसवाल- भारतीय जनता पार्टी
  • 1998 -मदन प्रसाद जायसवाल -भारतीय जनता पार्टी
  • 1996 -मदन प्रसाद जायसवाल -भारतीय जनता पार्टी
  • 1991 -फ़ैयाज़ुल आज़म- जनता दल
  • 1989 -धर्मेश प्रसाद वर्मा -जनता दल
  • 1984- मनोज पांडे- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1980 -पीताम्बर सिन्हा- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
  • 1977- फजलुर रहमान -जनता पार्टी
  • 1971-कमल नाथ तिवारी -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1967 -कमल नाथ तिवारी -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1962 – कमल नाथ तिवारी -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1957- बिपिन बिहारी वर्मा और भोला राउत- कांग्रेस
  • 1952- बिपिन बिहारी वर्मा और सैयद महमूद- कांग्रेस
    (नोट : परिसीमन के बाद बेतिया लोकसभा सीट 2008 में पश्चिमी चंपारण के रूप में गठित हुई. 2009 में पहली बार वोट डाले गए)

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