Bhagalpur News बीएनएमयू के सभा भवन में मंगलवार को आयोजित सीनेट की वार्षिक बैठक को संबोधित करते राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि सूबे के दो तीन विश्वविद्यालय को छोड़ सभी जगहों पर वर्ष में दो बार सीनेट की बैठक आयोजित होती है. बीएनएमयू में भी बजट सत्र के अलावा शैक्षणिक सत्र की बैठक आयोजित हो. इससे सदस्यों के द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर आने वाले सुझाव पर चर्चा की जायेगी.
उन्होंने कहा कि बजट सत्र आयोजित होने से दस दिन पूर्व ही सदस्यों को बैठक का एजेंडा उपलब्ध होना चाहिए, ताकि बजट को लेकर सदस्यों के सुझाव को अमल में लाया जा सके. उन्होंने कहा कि सीनेट सदस्यों का कार्य सिर्फ बैठक तक ही सीमित नहीं हो. सदस्य अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष भर कुलपति से उनके कार्यालय में मुलाकात कर समस्या पर चर्चा करे. इसमें प्रोन्नति, पेंशन सेवानिवृत्त होने के बाद आने वाली समस्याओं पर बात हो. राज्यपाल ने कहा कि सुस्त हो गये विश्वविद्यालय में चुस्ती लाये, आने वाली पीढ़ी की दुआ मिलेगी.
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पेंशनधारक हमारा साथी है उसे प्रताड़ित न करें
श्री अर्लेकर ने कहा कि शिक्षक और कर्मियों के सेवानिवृत होने के बाद उन्हें सेवा के अंतिम दिन ही सेवांत लाभ व उससे जुड़े सभी कागजात उपलब्ध कराये. उन्हें अपने सेवा अवधि की राशि लेने के क्रम में प्रताड़ित नहीं करे. वह सभी हमारे साथी है, जिन्होंने अपना पूरा समय विश्वविद्यालय की सेवा में दिया है. सुनने में मिलता है कि राशि भुगतान के एवज में रजिष्ट्रार रुपये की मांग करते है, जो गलत है. विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करे की सेवानिवृत होने के साथ ही पेंशनर को सभी सुविधा का लाभ मिले.
समय पर जारी हो प्रोन्नति का नोटिफिकेशन
कुलाधिपति ने कहा कि विभागीय प्रोन्नति समय पर ही हो, इसका नोटिफिकेशन समय पर निकले. प्रोन्नति देने में दिक्कत न हो. अनुकंपा कमिटी की बैठक अगले आठ दिनों में कर कार्य का निष्पादन करे.
बच्चों का श्राप न लें, कार्यप्रणाली ठीक करें
राज्यपाल ने कहा कि पहले बिहार में सत्र अनियमित रहने से छात्रों को परीक्षा देने के लिए तीन-तीन साल इंतजार करना होता था. हमने इस व्यवस्था को बदलने का संकल्प लिया है. हमें बच्चों के भविष्य बिगाड़ने का अधिकार नहीं है. समय पर परीक्षा नहीं होने से बच्चों का श्राप मिलेगा. आगामी जून माह तक सभी सत्र नियमित हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि परीक्षा समय पर नहीं होने से बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर चले जाते है. जबकि एक समय बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला हमारा गर्व था. दूसरे देश से भी लोग अध्ययन के लिए बिहार आते थे. इस जगह का अपना महत्व है, भारती मंडन और शंकराचार्य की कहानी से सभी अवगत है.