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Cyber Crime: एक अदद जानकारी कर दे रही अकाउंट खाली, ऐसे बदल रहा साइबर ठगी का ट्रेंड, साइबर क्राइम से कैसे बचें

Cyber Crime: साइबर ठगी का ट्रेंड पल-पल बदल रहा है. एक अदद जानकारी लोगों का अकाउंट खाली कर दे रही है. सावधानी बरतकर साइबर क्राइम से बचा जा सकता है.

Cyber Crime: जमशेदपुर-हैल्लो! आपके अकाउंट में पैसे आ गये हैं…., इंश्योरेंस में ज्यादा लाभ दिया जा रहा…., बिजली बिल जमा करने पर ऑफर दिया जा है…, तो सतर्क हो जाएं. आपकी एक भी जानकारी आपके खाते को खाली करा देगी. हालांकि, हमारी पुलिस साइबर अपराधियों से निपटने के लिए लगातार हाइटेक हो रही. इसको लेकर पुलिसिंग बेहतर रूप से सुसज्जित भी है, लेकिन साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. जैसे ही पुलिस साइबर क्राइम के ट्रेंड के बारे में जानकारी इकट्ठा करती है, तो इसके पहले ही अपराधी नये ट्रेंड के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं. साइबर ठग कभी ओटीपी के बहाने ठगी कर रहे हैं, तो कभी इनाम खुलने का लालच देकर खाते में रुपये जमा करवा ले रहे हैं. हालात यह है कि साइबर अपराधी एक दिन में कई लोगों से अलग-अलग प्रकार का झांसा देकर अपना शिकार बना रहे हैं. जमशेदपुर के लिए निखिल सिन्हा की रिपोर्ट.

तेजी से बढ़ते ऑनलाइन कामकाज से बढ़ीं मुश्किलें
तेजी से बढ़ते ऑनलाइन कामकाज, लोगों में जागरूकता और तकनीक की जानकारी का अभाव, छिपी हुई यूजर पॉलिसी, साइबर क्राइम के मामलों की जांच में मुश्किलें बढ़ा रही हैं. पड़ताल में सामने आया है कि साइबर ठगी के जिस तरीके की ज्यादा शिकायतें आती हैं, उसके बारे में लोगों को सतर्क करने के लिए पुलिस जागरूकता अभियान शुरू करती है. लेकिन, साइबर ठग पुलिस से एक कदम आगे जाकर हर बार ठगी का नया तरीका खोज लेते हैं.

ओटीपी से ठगी
साइबर ठगी के सबसे ज्यादा केस ओटीपी शेयर करने के बाद होती है. साइबर अपराधी कभी केवाइसी अपडेट करने के नाम पर, तो कभी आधार कार्ड या बिजली बिल जमा करने के नाम पर ओटीपी शेयर करता है. उसके बाद जैसे ही लोग ओटीपी साइबर ठग को बताते हैं, उनके खाता से रुपये की निकासी हो जाती है. हालांकि, ओटीपी शेयर करने का मामला काफी कम हो गया है. इस कारण अब ओटीपी से ठगी के मामले काफी कम हो गये हैं.

केस स्टडी
यूपीआइ से ठगी
यूपीआइ लिंक भेज कर ठगी करने का मामला काफी प्रकाश में आया है. अब साइबर अपराधी बिना फोन किये ही व्यक्ति के व्हाट्सएप और एसएमएस पर लिंक भेज देते हैं. जैसे ही लोग लिंक को ओपन करते है साइबर अपराधी उस मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक खाता को हैक कर पूरी जानकारी प्राप्त कर लेते है. उसके बाद कोई न कोई बहाना भेज कर रुपये की ठगी करते है.

केस स्टडी
गोलमुरी के रहने वाले टाटा स्टीलकर्मी पी राम चंद्र राव के बैंक खाते से आर्मी का जवान बन कर 99,850 रुपये की ठगी कर ली. इस संबंध में पी रामचंद्र राव ने दो मोबाइल नंबर के धारक आशीष कुमार पहाड़ी और राजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ केस दर्ज कराया है. पी राम चंद्र राव से साइबर ठग ने यूपीआइ पर एक रुपये मंगवा कर उनके बैंक के बारे में जानकारी ली, उसके बाद तीन बार में रुपये की निकासी कर ली.

ऑफर लिंक भेजकर ठगी
साइबर अपराधी सोशल मीडिया के ग्रुपों में ओटीटी प्लेटफॉर्म के कई ऑफर लिंक, सरकार की योजना से संबंधित जानकारी दिए जाने का लिंक भेजकर लोगों का मोबाइल हैक कर ले रहे हैं. ठगी का यह तरीका कुछ दिन पहले ही सामने आया है. लिंक भेज कर भी साइबर अपराधी कई प्रकार से रुपये की ठगी कर रहे हैं.

केस स्टडी
बिष्टुपुर के व्यवसायी मनीष कुमार अग्रवाल को साइबर अपराधियों ने 7980 रुपये का कैश बैक का ऑफर देकर उनके खाते से 50 हजार रुपये की ठगी कर ली. इस संबंध में मनीष कुमार ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी है. घटना 28 जनवरी की है.

न्यूड वीडियो कॉलिंग- सोशल मीडिया बना कर ठगी
साइबर अपराधी न्यूड वीडियो कॉल कर लोगों को सेक्सटार्शन का शिकार बना रहे हैं. इस अपराध में लड़कियों को शामिल किया गया है, जो कि आम लोगों को न्यूड होकर वीडियो कॉल कर उनसे बात करती है. फिर उस कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर उस व्यक्ति को ब्लैकमेल कर रुपये की ठगी करती है.

केस स्टडी
गोलमुरी के लेखक से साइबर महिला अपराधी ने उनके फोन पर न्यूड होकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया. फिर उसकी स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर उस वीडियो को वायरल करने की धमकी देने लगी. ब्लैकमेल करने लगी. हालांकि, इस मामले में लेखक ने केस दर्ज कराया था, लेकिन वह एक रुपये भी नहीं दिये थे.

ऐसे भी करते हैं ठगी

  • रुपये डबल करने का लालच देकर
  • लोन दिलाने के नाम पर
  • ओएलएक्स पर सामान खरीद- बिक्री करने के नाम पर
  • फर्जी कॉल से गोपनीय जानकारी लेकर
  • इंश्योरेंस में ज्यादा लाभ दिलाने के नाम पर
  • बिजली बिल जमा करने के नाम पर
  • मोबाइल में एप डाउनलोड करा कर
  • मकान किराया पर लेने के नाम पर
  • गाड़ी की खरीब- बिक्री के नाम पर

साइबर क्राइम से बचने के उपाय

  • अनजान लिंक पर कभी भी क्लिक कर उसे ओपन न करें. हर एक इंटरनेट यूजर को ऐसे ईमेल और मैसेज आते रहते हैं, जिन पर अनजान लिंक मौजूद होते हैं. ऐसे मे हमें इन ईमेल और मैसेज से सावधान रहना चाहिए.
  • अनजान वेबसाइट पर ध्यान दें. कभी भी किसी भी वेबसाइट को सर्च करते वक्त सबसे पहले एचटीटीपीएस पर ध्यान देना चाहिए. अगर वेबसाइट के लिंक में एचटीटीपीएस के बजाय एचटीटीपी है, तो हमें ऐसे वेबसाइट पर नहीं जाना चाहिए.
  • कभी भी अपना पर्सनल डिटेल कहीं भी शेयर न करें. इससे साइबर अपराधी आपका डिटेल निकाल कर आपको ब्लैकमेल कर सकता है. फोन नंबर से बैंक खाता तक पहुंच सकता है.
  • कंप्यूटर या फोन पर कभी भी थर्ड पार्टी एप या फ्री का सॉफ्टवेयर इस्टॉल न करें.
  • एप को इंस्टॉल करने के लिए सिर्फ प्ले स्टोर का उपयोग करें. एप इंस्टॉल करने के पूर्व उसकी जांच करें.
  • ऑन लाइन स्कीम, लॉटरी या गिफ्ट के मैसेज पर भरोसा न करें. ऑन लाइन गिफ्ट देने की बात कह कर ठग झांसा में फंसा लेता है.
  • पब्लिक वाईफाई का प्रयोग न करें. फ्री पब्लिक वाईफाई बिल्कुल भी सेफ नहीं हैं. इससे आपका सिस्टम हैक हो सकता है.
  • याद रहे कि कोई भी बैंक फोन पर खाता धारक से कोई भी जानकारी नहीं लेता है. बैंक से फोन कर जानकारी लेने वाले कॉल को फौरन काट दें.
  • बैंक और यूपीआइ से संबंधित कोई भी जानकारी किसी से शेयर न करें.
  • ओटीपी शेयर न करें.

कितने की ठगी पर कहां दर्ज कराएं मामला
अगर साइबर ठगी की रकम दो लाख रुपये से कम हो, तो इस संबंध में कोई भी व्यक्ति अपने स्थानीय थाना में केस दर्ज करा सकता है. इसके अलावा ठगी की रकम दो लाख से ज्यादा होने पर साइबर थाना में केस दर्ज किया जायेगा.

1930 पर सबसे पहले करें कॉल
साइबर ठगी होने के बाद पीड़ित सबसे पहले 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. फोन करने के साथ ही शिकायत दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी जाती है. उसके बाद पीड़ित थाना जाकर भी अपनी शिकायत कर सकता है. इसके अलावा साइबरक्राइम.जीओवी.इन में जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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