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बिहार में जमीन की जमाबंदी का काम बेहद धीमा, रजिस्ट्री घटने से बढ़ी राजस्व की चिंता

बिहार में जमीन की जमाबंदी का काम बेहद धीमा है. इधर जमीन रजिस्ट्री को लेकर आये नये कानून में जमाबंदी की अनिवार्यता के कारण जमीन बेचने के मामले बेहद कम हो गये हैं. इससे जिले में राजस्व संग्रह की कमी अब चिंता का कारण बन गयी है.

मुजफ्फरपुर. जमीन रजिस्ट्री के नये नियम लागू होने के बाद जिले में जमीन की खरीद-बिक्री पर ब्रेक लग गया है. इसका बड़ा कारण अंचल ऑफिस के स्तर से जमीन की जमाबंदी व परिमार्जन के मामले के निष्पादन की गति धीमी है. मुशहरी अंचल के साथ-साथ जिले के मोतीपुर, मुरौल, औराई, गायघाट, कटरा, पारू, कुढ़नी आदि प्रखंडों में जमाबंदी कायम करने व परिमार्जन के लंबित मामले के निष्पादन में काफी शिथिलता बरती जा रही है. इसको लेकर डीएम ने काफी नाराजगी जाहिर की हैं. 22 फरवरी से लागू हुए नियम के बाद 10 मार्च तक हुई रजिस्ट्री के अनुसार जो आंकड़े सामने आये है. वह चौंकाने वाला है.

रजिस्ट्री मामले में आयी 90 प्रतिशत तक की गिरावट

कुल 12 दिनों में महज 65 जमीन दस्तावेज की ही रजिस्ट्री शहरी क्षेत्र यानी नगर निगम में पड़ने वाले सभी 49 वार्डों में हुआ है. वहीं, 196 जमीन दस्तावेज मुशहरी अंचल के अधीन पड़ने वाले ग्रामीण इलाके में हुई है. जबकि, जमाबंदी के नये नियम लागू होने से पूर्व एक जनवरी से 21 फरवरी 2024 तक नगर निगम क्षेत्र में कुल 318 और मुशहरी अंचल के ग्रामीण इलाके में सबसे अधिक 1110 जमीन के प्लॉट की खरीद-बिक्री हुई है. डीएम ने जिस-जिस प्रखंड में नये नियम लागू होने के बाद रजिस्ट्री की संख्या में कमी आयी है. उन सभी प्रखंड के सीओ को तेजी से लंबित जमाबंदी और परिमार्जन के मामले को निपटारे का आदेश दिया है. बता दें कि जिले में एक जनवरी से 21 फरवरी के बीच कुल 9686 रजिस्ट्री हुई है. वहीं, जमाबंदी के नये नियम लागू होने के बाद 22 फरवरी से 10 मार्च तक महज 995 जमीन दस्तावेज की ही रजिस्ट्री हुई.

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41 दिनों में 1084, घटकर 12 दिनों में महज 119 रजिस्ट्री

कांटी प्रखंड में इस साल एक जनवरी से 21 फरवरी के बीच रजिस्ट्री के नये नियम लागू होने से पूर्व कुल 1084 जमीन के प्लॉट बिके. लेकिन, नियम लागू होने के बाद 10 मार्च तक इसका आंकड़ा घटकर 119 पर पहुंच गया है. मतलब, कांटी अंचल ऑफिस में अभी भी बड़ी संख्या में लाेगों के दाखिल-खारिज व परिमार्जन से संबंधित मामले लंबित है. कुढ़नी प्रखंड का भी हाल काफी खराब है. एक जनवरी से 21 फरवरी के बीच 1041 जमीन की रजिस्ट्री हुई. लेकिन, नये नियम लागू होने के बाद घटकर रजिस्ट्री की संख्या 95 पर पहुंच गया है.

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