पटना. बिहार में विश्वास मत के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय करेगा. इस मामले में शुक्रवार को ईडी सक्रिय हुई और माना जा रहा है कि खरीद फरोख्त मामले की जांच ईडी कर सकती है. सूत्रों की मानें तो आर्थिक अपराध इकाई ने ये मामला ईडी को सौंप दिया है. ईडी अब नये सिरे से प्राथमिकी दर्ज करेगी. इस पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई को अवैध धन के बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान के सबूत मिले हैं. आर्थिक अपराध इकाई ने धन का प्रलोभन देकर सरकार को अव्यवस्थित करने, विधायक के अपहरण और मतदान के लिए प्रलोभन के भी साक्ष्य मिले हैं. इसके बाद ईओयू ने इस मामले की ईडी से जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद अब इस पूरे मामले को ईडी ने टेकओवर कर लिया है. अब इस पुरे मामले की जांच ईडी अपने तरीके से करेगी.
तीन विधायकों ने लगाया था आरोप
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के फ्लोर टेस्ट के दिन जेडीयू के तीन विधायक सदन में देरी से पहुंचे थे. वहीं स्पीकर के चुनाव में जदयू के कई विधायक शामिल ही नहीं हो पाए थे, जिसके बाद महागठबंधन की ओर से जदयू विधायक को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का प्रलोभन दिए जाने के साथ विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की शिकायत पूर्व मंत्री व हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर ने कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई थी.
दस करोड़ देने की बात आयी थी सामने
उधर, पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर यह मामला ईओयू को ट्रांसफर हुआ था. 12 फरवरी को कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया था कि साजिश के तहत सरकार को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. उसे अंजाम देने के लिए विधायकों को दस करोड़ का प्रलोभन दिया जा रहा है. जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने लिखित शिकायत में कहा था कि एक परिचित के माध्यम से इंजीनियर सुनील ने 9 फरवरी को उनसे बात की थी. उन्होंने महागठबंधन के साथ आने के लिए उन्हें 10 करोड़ और मंत्री पद का प्रलोभन दिया था.