Banks NPA Survey: एक यूरोप में न्यूजीलैंड जैसे देश मंदी की मार झेल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है. इस बीच, हमारी इकोनॉमी को लेकर एक और अच्छी खबर सामने आयी है. पिछले छह महीने के परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर, फिक्की-आईबीए ने एक बैंकर्स सर्वे जारी किया है. इसके अनुसार, देश के सरकारी बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) में बेहतर गिरावट दर्ज की गयी है. इस अवधि में निजी क्षेत्र के 67 प्रतिशत बैंकों का खराब ऋण घटा है. रिपोर्ट में सामने आयी स्थिति बैंकिंग सेक्टर की मजबूती को दिखाता है. सर्वे में बताया गया है कि जिन बैंकों ने सर्वे में हिस्सा लिया, उसमें से 77 प्रतिशत ने घटे हुए एनपीए लेवल को दर्शाया है. समान क्राइटेरिया के आधार पर पर किये गए सर्वे में सामने आया है कि निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों का प्रदर्शन बेहतर रहा है.
सर्वे में 23 बैंकों ने लिया हिस्सा
उद्योग मंडल फिक्की-आईबीए बैंकर्स सर्वेक्षण का 18वां दौर जुलाई से दिसंबर, 2023 की अवधि में किया गया था. सर्वेक्षण में सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विदेशी बैंकों सहित कुल 23 बैंकों ने भाग लिया. संपत्ति के आकार के आधार पर वर्गीकृत ये बैंक कुल मिलाकर लगभग 77 प्रतिशत बैंकिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हैं. फिक्की-आईबीए बैंकर्स रिपोर्ट में शामिल आधे से अधिक बैंकों का मानना है कि अगले छह महीनों में सकल एनपीए 3-3.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगा. सर्वेक्षण में कहा गया कि प्रतिक्रिया देने वाले सभी पीएसबी ने एनपीए के स्तर में कमी स्वीकार की है, जबकि भाग लेने वाले निजी क्षेत्र के बैंकों में से 67 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए में कमी देखी है. किसी भी पीएसबी और विदेशी बैंक ने पिछले छह माह में एनपीए स्तर में वृद्धि नहीं देखी है, जबकि 22 प्रतिशत निजी बैंकों का एनपीए बढ़ा है. जिन क्षेत्रों में एनपीए का उच्चस्तर जारी है, उनमें से अधिकांश बैंकों ने खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों को चिह्नित किया है.
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ऋण की क्या है स्थिति?
फिक्की-आईबीए बैंकर्स सर्वे में ये भी पता चला है कि अगले छह महीनों में गैर-खाद्य उद्योग ऋण के लिए दृष्टिकोण आशावादी है, 41 प्रतिशत बैंकों को गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 12 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है, जबकि 18 प्रतिशत को लगता है कि गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 12 प्रतिशत से अधिक होगी. उद्योगों को कर्ज वृद्धि 10-12 प्रतिशत की सीमा में होगी. इसके अलावा, 36 प्रतिशत बैंकों का मानना है कि गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 8-10 प्रतिशत की सीमा में होगी.
(भाषा इनपुट के साथ)
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