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Lok Sabha Election 2024 : बनगांव में तृणमूल की चौथी जीत के ख्वाब को भाजपा ने कर दिया था चकनाचूर

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही बनगांव में चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी है. अन्य इलाकों की तरह दीवार लेखन का काम शुरू हो गया है. केवल उम्मीदवार के नाम पर वोट देने का निवेदन ही नहीं, बल्कि कविता, नारे और कार्टून का भी बोलबाला दीवारों पर दिख रहा है.

Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल के बनगांव संसदीय क्षेत्र वर्ष 2009 में अस्तित्व में आया था. इससे पहले 1950 से 2008 तक यह बारासात लोकसभा संसदीय क्षेत्र (Lok Sabha parliamentary constituency) का ही हिस्सा था. परिसीमन के बाद यह नया लोकसभा क्षेत्र बना. 2009 में पहली बार यहां हुए चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के गोविंद चंद्र नस्कर ने चुनाव जीता था. उन्हें 50 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. उनका सीधा मुकाबला माकपा के डॉ असीम बाला से था. डॉ बाला को 42.08% ही वोट मिल सका. वह दूसरे नंबर पर रहे.

बनगांव इलाके में 2009 में भाजपा की हालत नहीं थी अच्छी

बनगांव इलाके में तब भाजपा की हालत कुछ अच्छी नहीं थी. उसके उम्मीदवार को तब महज 3.95% वोट ही मिल पाये थे. लेकिन इसके बाद हुए चुनावों में भाजपा ने यहां अपनी ताकत बढ़ायी. वह भी माकपा की कमजोरी की कीमत पर. 2014 में जब यहां लोकसभा का चुनाव हुआ, तो भाजपा मजबूत दिखने लगी. 2014 के चुनाव में कपिल कृष्ण ठाकुर ने फिर से तृणमूल को बतौर उम्मीदवार जीत दिलायी. उन्हें तब 42.94 फीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव के मुकाबले तृणमूल के वोट प्रतिशत में 7.75 फीसदी की कमी आयी थी.

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उपचुनाव में तृणमूल का दबदबा बरकरार रहा

उधर, राज्य के पूर्व मंत्री और माकपा प्रार्थी देवेश दास को 31.52 फीसदी वोट ही मिले था. पार्टी को पिछले चुनाव में मिले वोटों से 10.56 फीसदी कम. इस बीच भाजपा ने अपनी ताकत बढ़ा ली थी. उसके उम्मीदवार को पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हो गया था. हालांकि वह तृणमूल कांग्रेस व माकपा से अभी भी काफी पीछे ही थी. 13 अक्तूबर 2014 को कुछ महीने पहले ही यहां से सांसद चुने गये कपिल कृष्ण ठाकुर का निधन हो गय. उसके बाद 2015 में यहां उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में भी तृणमूल का दबदबा बरकरार रहा.

2019 में भाजपा नेता शांतनु ठाकुर ने यहां से जीत दर्ज की

तृणमूल की ममताबाला ठाकुर यहां जीत गयीं. उन्हें 43.27% वोट मिले थे. हालांकि तृणमूल के वोटों में कोई खास इजाफा नहीं हुआ था. माकपा ने फिर देवेश दास को ही मैदान में उतारा था. वह फिर दूसरे स्थान पर आये. उन्हें 26.30 फीसदी वोट ही मिल पाये थे. माकपा के वोट में 5.22 फीसदी की कमी दिखी. तब इसी उप चुनाव में भाजपा के सुब्रत ठाकुर को 24.17 फीसदी वोट मिले थे. भाजपा के वोटों में एक बार फिर पांच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी.

भाजपा अपनी ताकत लगातार बढ़ाती गयी

आहिस्ता-आहिस्ता ही सही, भाजपा इस बीच यहां अपनी ताकत लगातार बढ़ाती गयी थी. नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2019 में हुए आम चुनाव में भाजपा ने यह सीट अपने नाम कर ली. उस चुनाव में भाजपा नेता शांतनु ठाकुर ने यहां जीत दर्ज की. श्री ठाकुर को 48.85% वोट मिले. इस बार भाजपा के वोट प्रतिशत में 24.68 फीसदी का इजाफा देखा गया था.

शांतनु ठाकुर सीएए के सहारे सीट पर जीत को लेकर करते रहे हैं दावा

तृणमूल की पिछली बार की विजेता ममता ठाकुर दूसरे स्थान पर आ गयीं. उन्हें सिर्फ 40.92 फीसदी वोट मिले थे. तृणमूल के वोट प्रतिशत में 2.35 फीसदी की कमी ही घातक हो गयी. माकपा यहां तीसरे स्थान पर पहुंच गयी थी. माकपा के अलाकेश दास को 6.40% वोट ही मिल पाये. माकपा का वोट प्रतिशत लगभग 20 फीसदी कम हो गया. कांग्रेस को इस चुनाव में महज 1.61 फीसदी वोट मिले थे. इस बार के चुनाव के बाबत राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह भाजपा व तृणमूल के बीच ही टक्कर दिखेगी. केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर इस बार सीएए के सहारे इस सीट पर जीत को लेकर दावा करते रहे हैं. परिणाम बतायेगा कि इस बार जीत का सेहरा किस के सिर बंधेगा.

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शांतनु के नाम की घोषणा होते ही दुकानों में पड़ गया लड्डुओं का अकाल

करीब दो हफ्ते पहले समूचे बनगांव इलाके में एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला. भाजपा द्वारा बनगांव लोकसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार के तौर पर शांतनु ठाकुर के नाम की घोषणा हुई थी. उनका नाम सामने आते ही मिठाई दुकानों में लड्डुओं का अकाल पड़ गया. पार्टी के कार्यकर्ताओं, समर्थकों से लेकर स्थानीय लोगों में लड्डू बांटने की होड़ लग गयी थी. साथ ही एक-दूसरे को अबीर लगाकर लोगों ने खुशियां मनायीं. 2019 में मतुआ समुदाय के लोगों को नागरिकता दिलाने का वादा करके शांतनु ठाकुर ने यहां से जीत हासिल की थी. इससे पहले सीएए अधिसूचना की घोषणा पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था. खुशियां मनाते लोग लड्डू खरीदते देखे गये. भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही मिठाइयों के बाजार में खूब उत्साह देखा गया था.

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ममता का पैर छूकर चर्चा में आये भाजपा विधायक विश्वजीत पर तृणमूल का भरोसा

इस बार तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर विश्वजीत दास बनगांव से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. तृणमूल ने पहली बार यहां ठाकुरबाड़ी के किसी प्रतिनिधि को मैदान में उतारा है. पार्टी का मानना है कि मतुआ नहीं होते हुए भी विश्वजीत के ठाकुरबाड़ी और मतुआ समुदाय से अच्छे संपर्क हैं. ज्ञात हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विश्वजीत दिल्ली जाकर भाजपा में शामिल हो गये थे. तब शंकर आध्या बनगांव नगरपालिका के अध्यक्ष थे. विश्वजीत ने शंकर के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण कुछ पार्षदों के साथ पार्टी छोड़ दी थी. बाद में विश्वजीत 2021 में भाजपा के टिकट पर बागदा से विधायक चुन लिये गये. लेकिन उन्हें जिले की राजनीति में अधिक तवज्जो नहीं मिली. इसकी वजह यह थी कि वह बनगांव से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर के विरोधी गुट से थे.

विश्वजीत दास अभिषेक बनर्जी के बन गये करीबी

वह पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे. इस कारण गेरुआ टीम से उनका मोहभंग होने में ज्यादा समय नहीं लगा. भाजपा विधायक रहते हुए उन्होंने विधानसभा प्रांगण में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को पैर छूकर प्रणाम किया था. यह देख गेरुआ खेमे में हलचल मच गयी थी. इसके बाद से ही विश्वजीत की घर वापसी का रास्ता खुल गया. उसी साल वह फिर से तृणमूल में लौट भी गये. तृणमूल में शामिल होने के अगले साल 2022 में पार्टी ने उन्हें बनगांव सांगठनिक जिला तृणमूल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी. उनके जिलाध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी ने बनगांव नगरपालिका एवं पंचायत चुनाव में भारी जीत दर्ज की. ‘जनज्वार’ रैली के तहत तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी बनगांव भी आये. विश्वजीत की नेतृत्व क्षमता व कार्यकुशलता से वह काफी खुश हुए. परिणाम यह निकला कि विश्वजीत दास अभिषेक बनर्जी के करीबी बन गये, उनके गुड बुक में उन्हें जगह मिल गयी.

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ठाकुरबाड़ी : हमेशा होता रहा है विवाद

बनगांव लोकसभा क्षेत्र में ठाकुरनगर को अलग कर नहीं रखा जा सकता है. ठाकुरनगर का नाम हिंदु मतुआ आंदोलन के संस्थापक हरिचंद ठाकुर के प्रपौत्र प्रमथ रंजन ठाकुर के नाम पर रखा गया है. ठाकुरनगर अपने बड़े फूल बाजार के लिए भी जाना जाता है. यह एक प्रसिद्ध बरुनी मेले का आयोजन होता है. ठाकुरबाड़ी में राजनीतिक दलों का मतभेद भी साफ तौर पर दिखता है. यहां एक ही परिवार का कोई एक सदस्य तृणमूल कांग्रेस में तो कोई और भाजपा के खेमे में नजर आता है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी अक्सर देखने को मिलता है. ये एक-दूसरे के खिलाफ हमेशा ही भृकुटियां चढ़ाते रहते हैं.

कविता, कार्टून और नारों से पट गयी हैं बनगांव की दीवारें

लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही बनगांव में चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी है. अन्य इलाकों की तरह दीवार लेखन का काम शुरू हो गया है. केवल उम्मीदवार के नाम पर वोट देने का निवेदन ही नहीं, बल्कि कविता, नारे और कार्टून का भी बोलबाला दीवारों पर दिख रहा है. दीवार लेखन में आगे दिख रही तृणमूल पर कटाक्ष करते हुए भाजपा नेताओं का कहना है कि लोगों के करीब न रह कर केवल दीवार पर लिख कर क्या चुनाव जीता जा सकता है? बनगांव इलाके में मतुआ समुदाय के लोगों का आधिक्य है. गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से जीत मिली थी. सीएए के लागू होने के बाद यहां भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर दिख रहा है. बनगांव के कुठीबाड़ी, जयपुर और शक्तिगढ़ पूर्व पाड़ा इलाकों में राजनीतिक कविताएं, नारे, कार्टून खूब दिख रहे हैं. कविताओं में कहीं डबल इंजन सरकार, तो कहीं मोदी की गारंटी के मुद्दों को उछाला जा रहा है. तृणमूल कार्यकर्ता नारों के माध्यम से राज्य सरकार के विकास कार्यों को भी दर्शा रहे हैं.

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बनगांव के 07 विधानसभा क्षेत्र

  • कल्याणी अंबिका राय भाजपा
  • हरिणघाटा असीम कुमार सरकार भाजपा
  • बागदा विश्वजीत दास भाजपा
  • बनगांव उत्तर अशोक कीर्तनिया भाजपा
  • बनगांव दक्षिण स्वपन मजूमदार भाजपा
  • गायघाटा सुब्रत ठाकुर भाजपा
  • स्वरूपनगर बीना मंडल तृणमूल

मतदाताओं के आंकड़े

  • कुल मतदाता 1699763
  • पुरुष मतदाता 871463
  • महिला मतदाता 828277
  • थर्ड जेंडर 000023

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