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ब्राउन शुगर कोलकाता व जमशेदपुर से आता है रांची, ड्रग पैडलर बेचते हैं खुलेआम, तीन महीने में 200 से अधिक युवा पहुंचे रिनपास

रांची में कोलकाता व जमशेदपुर से ब्राउन शुगर आता है. ड्रग पैडलर इसे खुलेआम बेचते हैं. तीन महीने में 200 से अधिक युवा रिनपास पहुंच चुके हैं. इस धंधे में बेरोजगार व अपराधी शामिल रहते हैं.

रांची: कोलकाता और जमशेदपुर से ब्राउन शुगर की खेप रांची पहुंचती है. इसके बाद राजधानी में मोबाइल नेटवर्किंग के माध्यम से ड्रग पैडलर खुलेआम ब्राउन शुगर का धंधा करते हैं. सुखदेवनगर थाना क्षेत्र में ड्रग पैडलर बेखौफ ब्राउन शुगर बेचता है. यहां कई बेरोजगार व आपराधिक प्रवृत्ति के युवक भी इस धंधे से जुड़े हैं. इनकी हिम्मत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह घरों में लगे सीसीटीवी के सामने खड़े होकर धंधा करते हैं. ड्रग बेचनेवाले बकाया पैसा लेन-देन को लेकर सड़क पर मारपीट भी करते हैं. इनके डर से क्षेत्र की महिलाएं उन इलाकों से गुजरने से भी डरती हैं.

जिंदगी के सौदागर युवाओं की जिंदगी से खेल रहे
ड्रग पैडलर पहले मोबाइल के माध्यम से ऑर्डर लेता है. फिर किसी निश्चित जगह पर पहुंचकर मोबाइल से ग्राहकों को सूचित कर बुलाता है. पैसा लेकर उसे ड्रग की सप्लाई करता है. वह नये लोगों को ऑनलाइन पेमेंट लेकर ड्रग देता है. पैसा देने के बाद ड्रग पैडलर किसी माध्यम से जरूरतमंद तक ब्राउन शुगर पहुंचा देता है. इसमें सरगना का पता नहीं चलने दिया जाता है. यह जानकारी एक भुक्तभोगी ने दी. 17 वर्षीय किशोर ड्रग्स लेने के कारण मानसिक रूप से बीमार हो चुका है. डोरंडा (रांची) के रहनेवाला किशोर का रिनपास (मनोचिकित्सा संस्थान) में इलाज चल रहा है. शनिवार को उसकी मां और बहन उसको इलाज के लिए लेकर रिनपास आयी थी. परिजनों ने कहा कि उसने 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी. कुछ महीनों में उसके व्यवहार में बदलाव होने लगा. वह घर में अक्सर अकेले रहता था. वह बात बात में चिड़चिड़ा जाता था. बाद में बेवजह परेशान रहने लगा. पैसे की मांग करने लगा. इसके बाद परिजन उसे इलाज के लिए रिनपास ले गये. रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि पिछले तीन माह में करीब 200 से अधिक युवा इस तरह की शिकायत लेकर परिजनों के साथ आये थे. यह स्थिति चिंताजनक है.

500 से लेकर 2500 रुपये तक है पुड़िया का दाम
इलाजरत युवाओं का ही कहना है कि एक पुड़िया का दाम 500 रुपये लेकर 2500 तक है. इसमें गुणवत्ता का मामला भी होता है. शुरुआत में तो युवा इसको सूंघकर नशा करते हैं. बाद में इसके आदी होने पर इसको इंजेक्ट भी करने लगते हैं. डॉ सिन्हा का कहना है कि राजधानी के हर कोने से युवा इलाज के लिए आ रहे हैं. शहरी परिवेश के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी इसकी पहुंच बनने लगी है.

कोरोना के बाद बढ़ी है उपयोग करने वालों की संख्या
ब्राउन शुगर उपयोग करने का वालों की संख्या कोरोना के बाद बढ़ी है. कोरोना से पहले मनोचिकित्सा संस्थानों में गांजा या शराब के लत वाले लोग इलाज के लिए आते थे. अब धीरे-धीरे शराब और गांजा के नशे के आदी मरीजों के साथ-साथ ब्राउन शुगर के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. यह एक विशेष ग्रुप में ज्यादा बढ़ रहा है.

डीबडीह बाइपास रोड में ड्रग्स पैडलर बना रहे युवाओं को शिकार
डीबडीह बाइपास रोड में युवाओं का सुबह से ही जमावड़ा लगा रहता है. यहां पर एक दुकान पर युवाओं का जमावड़ा देखा जा सकता है. इसमें स्कूली छात्रों की अच्छी तादाद रहती है. कार, मोटरसाइकिल व स्कूटी से पहुंचने वाले स्कूली छात्रों को यहां पर खुलेआम नशापान करते देखा जा सकता है. ड्रग्स पैडलर भी यहां पहुंच कर युवाओं को शिकार बनाते हैं. पहले यह स्कूली छात्रों से दोस्ती करते हैं. इसके बाद इन्हें ब्राउन शुगर देकर नशे की लत लगा देते हैं. इस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों ने बताया कि शुरुआती दिनों में ड्रग्स पैडलर इन्हें उधार में ब्राउन शुगर की कम मात्रा का डोज देते हैं. जब वह इसके आदि हो जाते हैं, तो उन्हें अलग-अलग स्थानों पर बुला कर ब्राउन शुगर की पुड़िया उपलब्ध करायी जाती है और मनमाने तरीके से इसका दाम वसूलते हैं. इसके बाद दो-तीन की संख्या में मिल कर स्कूली छात्र इसका सेवन करते हैं और घंटों वहां बैठकी कर दिन बिताते हैं.

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