Lok Sabha Election बिहार महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. घटक दलों के भीतर जारी खींचतान से ऐसा लगता है. राजद और कांग्रेस बिहार में सीट-बंटवारे की बातचीत न केवल अटका हुआ है, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. पहले और दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों की घोषणा का राजद द्वारा एकतरफा निर्णय लेने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने नाखुशी व्यक्त की है.
उधर, राजद खेमे में भी पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर भी नाराजगी है. औरंगाबाद,सुपौल और बेगूसराय की सीटों को लेकर कांग्रेस में घोर नाराजगी है. कांग्रेस और राजद खेमे की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद कांग्रेस को 10 से अधिक टिकटों की मांग के मुकाबले पांच से छह सीटों से अधिक देने को तैयार है, जबकि औरंगाबाद, बेगूसराय, कटिहार और सुपौल जैसी सीटों को कांग्रेस किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती है.
2019 राजद के 19 और कांग्रेस के नौ उम्मीदवार मैदान में थे
यदि बात लोकसभा चुनाव 2019 की करें, तो राजद 19 लोकसभा सीटों से, कांग्रेस के नौ उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि बाकी सीटें उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) को मिलीं थीं. ऐसा लगाता है कि इस चुनाव में राजद और कांग्रेस कुछ सीटों परदोस्ताना चुनाव लड़ सकती है. कांग्रेस में शामिल होने वाले पप्पू यादव ने साफ शब्दों में कहा कि मरना कबूल है, लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट छोड़ना मंजूर नहीं है.वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गर्वनर निखिल कुमार ने भी कहा है कि औरंगाबाद सीट के लिए उनकी कांग्रेस आलाकमान से बातचीत हुई है.
राजद द्वारा कुछ उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी गयी है, जिसमें औरंगाबाद से अभय कुशवाह, नवादा से श्रवण कुशवाह, गया से कुमार सर्वजीत और जमुई से अर्चना रविदास के नामों की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस अपने पूर्व सांसद निखिल कुमार के लिए औरंगाबाद की सीट मांग कर रही थी. वहीं, सीपीआइ से कांग्रेस में आये कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय सीट की भी उम्मीद कर रही थी, जो पांच साल पहले सीपीआइ उम्मीदवार के रूप में सीट पर उपविजेता रहे थे.इस बार सीपीआइ ने पूर्व विधायक अवधेश राय को बेगूसराय से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इस घोषणा से राजद और कांग्रेस की बीच की दूरी बढ़ती जा रही है.
औरंगाबाद व कटिहार की सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का विषय
गठबंधन सहयोगियों के साथ बिना बातचीत के राजद द्वारा सीट-बंटवारे को लेकर दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त और नगालैंड के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.उनके परिवार का इस लोकसभा सीट से गहरा संबंध रहा है. बिहार के चुनाव का चितौड़गढ़ कहा जाने वाले इस सीट से उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने 1971 से 1984 तक प्रतिनिधित्वकिया, जबकि उनकी पत्नी श्यामा 1999 से 2004 तक औरंगाबाद की सांसद थीं. वहीं, कटिहार के पूर्व सांसद तारिक अनवर ने भी राजद के एकतरफा सीट-बंटवारे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.श्री अनवर कटिहार से चुनाव लड़ना चाहते हैं और कई बार यहां से चुनाव लड़ और जीते भी हैं.
पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव
3 बार सांसद रहे पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में विलय कर दिया. वह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के पति हैं और बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्रों में प्रभाव रखने के लिए जाने जाते हैं. वे पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसकी फिल्डिंग उन्होंने बहुत पहले ही शुरु कर दी थी.उनकी पत्नी पिछले चुनाव में सुपौल से चुनाव लड़ी थी और दूसरे नंबर पर ही थी. कांग्रेस की दावेदारी इस सीट का लेकर भी है, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने यहां से अपने पार्टी के विधायक को टिकट दे दी है.
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