Hydrogen Train: भारतीय रेलवे हेरिटेज रूटों पर पर्यटकों को प्रदूषणमुक्त सैर कराने के लिए हाइड्रोजन ट्रेन को पटरी पर उतार दिया है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत उसने दिसंबर 2023 में भारत के पहली हाइड्रोजन ट्रेन की शुरुआत हरियाणा के सोनीपत से जिंद के बीच की जाएगी. इस ट्रेन को हाइड्रोजन की आपूर्ति रेल सिस्टम इंटीग्रेटर मेधा सर्वो ड्राइव्स की ओर से की जा रही है. वहीं, इस ट्रेन को नॉर्दन रेलवे के वर्कशॉप में डेवलप किया गया है. संभावना जाहिर की जा रही है कि इस ट्रेन के परिचालन से भारतीय रेलवे को तकरीबन 23 मिलियन डॉलर की बचत हो सकती है. सरकार की योजना फिलहाल देश में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को चलाने की है. इन ट्रेनों की खासियत यह है कि ये राजधानी से भी तेज स्पीड से चलेगी.
कहां चलेंगी Hydrogen Train
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे के उन हेरिटेज रूटों पर चलेंगी, जिन पर अभी डीजल इंजन वाली ट्रेनों को दौड़ाया जा रहा है. ये सभी हेरिटेज रूट नैरो गेज रूट हैं. इन हेरिटेज रूटों में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, माथेरान हिल रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदरिया शामिल हैं. ये सभी नैरो गेज रूट हैं.
हरियाणा में पहली Hydrogen Train की शुरुआत
हेरिटेज रूटों पर चलने वाली पहली हाइड्रोजन ट्रेन की भारतीय रेलवे ने हरियाणा के सोनीपत और जिंद के बीच शुरुआत की है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत उसने दिसंबर 2023 से इस रूट पर इसकी टेस्टिंग शुरू की है. पायलट प्रोजेक्ट में सोनीपत-जींद सेक्शन पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक को डीजल से हाइड्रोजन चालित ट्रेन में रेट्रोफिटिंग में शामिल किया गया है. तकरीबन 89 किलोमीटर की दूरी वाले इस रूट पर हाइड्रोजन ट्रेन के परिचालन का उद्घाटन जल्द होने की उम्मीद है.
हेरिटेज रूट्स पर चलेगी Hydrogen Train
दिसंबर 2023 से शुरू हाइड्रोजन ट्रेन हेरिटेज रूटों पर ही चलेगी. इसका उद्देश्य हेरिटेज रूटों को प्रदूषणमुक्त बनाना है. सरकार की योजना के अनुसार भारतीय रेलवे पायलट प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन से चलने वाली प्रोटोटाइप ट्रेन को तैयार किया है, जिसका परीक्षण हरियाणा के सोनीपत से जिंद के बीच किया गया.
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क्या है सरकार की ग्रीन Hydrogen पॉलिसी
भारत सरकार ने साल 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी को लागू करने का ऐलान किया था. इसका उद्देश्य भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करना है. ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी के तहत सरकार उत्पादन के लिए हाइड्रोजन गैस आधारित मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विकास, इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) से कनेक्टिविटी और जून 2025 से पहले उत्पादन प्लांट चालू होने पर 25 साल के लिए फ्री ट्रांसमिशन की पेशकश कर रही है. इसके अलावा, उत्पादकों को शिपिंग द्वारा निर्यात के लिए हरित अमोनिया के भंडारण करने की खातिर बंदरगाहों के पास बंकर बनाने की अनुमति होगी. इस पॉलिसी के तहत ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया के विनिर्माताओं को पावर एक्सचेंज से नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद करने या नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को खुद या किसी अन्य उत्पादक के माध्यम से कहीं भी स्थापित करने की अनुमति दी गई है. यह उत्पादकों को सृजित नवीकरणीय ऊर्जा के किसी भी अधिशेष को 30 दिनों तक बिजली वितरण कंपनियों के पास जमा रखने और आवश्यकता के अनुसार इसका इस्तेमाल करने की भी सुविधा प्रदान करती है. इसके साथ ही, इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य परिवहन के क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना भी है.
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