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Lok Sabha Election :बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से दिलीप घोष मारेंगे बाजी या टीएमसी के कीर्ति आजाद करेंगे क्लीन बोल्ड, यहां जानें पूरा समीकरण

2016 में पहली बार खड़गपुर सीट पर 10 बार के कांग्रेस विधायक ज्ञान सिंह सोहनपाल को हराकर दिलीप घोष 'जाइंट किलर' बन गए थे. तब उन्होंने मेदिनीपुर केंद्र से पहली बार लोकसभा में कदम रखा था.

मुकेश तिवारी / पानागढ़ : पूर्व और पश्चिम बर्दवान जिले के मध्य मौजूद बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा सीट से भाजपा द्वारा दिलीप घोष को उम्मीदवार बनाए जाने से दिलीप घोष के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना कितना कठिन होगा यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह आहलूवालिया ने करीब ढाई हजार के आसपास वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने एक हिंदी भाषी नेता व पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को चुनावी मैदान में उतारा है. हिंदी भाषी वोटरों को तोड़ने के लिए ही तृणमूल कांग्रेस ने यह गेम प्लान किया है.

टीएमसी ने वर्तमान सांसद के उपर लगाया क्षेत्र की अनदेखी का आरोप

वर्तमान सांसद सुरेंद्र सिंह आहलूवालिया को लेकर तृणमूल कहती रही है की उन्होंने क्षेत्र का कोई विकास मूलक कार्य नही किया . कुछेक ट्रेनों के स्टॉपेज के सिवाय उनका कोई योगदान नहीं है. हालांकि बीजेपी इस क्षेत्र में अपने काफी विकास कार्यों की लिस्ट दिखाते रही है. वहीं इस सीट पर इस बार एक शिक्षाविद् सुकृति घोषाल को सीपीएम ने अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में इस सीट पर तृणमूल और भाजपा के उम्मीदवारों को बाहरी बताया जा रहा है. जबकि सीपीएम के सुकृति घोषाल स्थानीय और पूर्व बर्दवान जिले के ही रहने वाले हैं. सीपीएम नेताओं का कहना है की क्षेत्र के लोगों का दर्द क्षेत्र का ही कोई नेता समझ सकता है. ऐसे में सुकृति घोषाल ही इस सीट के लिए बेहतर उम्मीदवार हैं. कीर्ति आजाद को लेकर लोगों का कहना है कि उन्होंने दरभंगा के सांसद रहते हुए कोई विशेष विकास नहीं किया था. हालांकि कीर्ति आजाद इस आरोप को बेबुनियाद बताते हैं.

बीजेपी ने दिलीप घोष को मैदान में उतारा

भाजपा की पहली सूची में दिलीप घोष का नाम नहीं होने से अटकलें शुरू हो गईं थी कि क्या उन्हें उनके पुराने केंद्र मेदिनीपुर से उम्मीदवार बनाया जाएगा? पहली सूची में नाम नहीं होने के बावजूद दिलीप घोष अपने केंद्र में थे. लेकिन वह केंद्र भी दिलीप के हाथ में नहीं रहा. दिलीप को एक-एक कर प्रदेश अध्यक्ष, फिर अखिल भारतीय उपाध्यक्ष का पद भी गंवाना पड़ा. इस बार लोकसभा की लड़ाई में उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

जाइंट किलर माने जाते हैं दिलीप घोष

2016 में पहली बार खड़गपुर सीट पर 10 बार के कांग्रेस विधायक ज्ञान सिंह सोहनपाल को हराकर दिलीप घोष ‘जाइंट किलर’ बन गए थे. तब उन्होंने मेदिनीपुर केंद्र से पहली बार लोकसभा में कदम रखा था. भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दिलीप घोष की मदद से पश्चिम बंगाल से रिकॉर्ड 18 सीटें जीतीं थी. फिर बेशक वे एक-एक कर प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष का पद खोते गये. काफी समय से इस बात की अटकलें तेज थी कि दिलीप घोष अब बंगाल की राजनीति में कुछ हद तक घिर गए हैं. जैसे ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा की, ऐसा देखा गया कि बीजेपी दिलीप घोष के जीतने वाले क्षेत्र से हटा दिया. उन्हें मेदिनीपुर के भूमि से हटाकर इस बार बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाकर भेज दिया गया .


दिलीप घोष को मिलेगी कितनी आसान होगा पिच, या कीर्ति आजाद करेंगे क्लीन बोल्ड


बर्दवान-दुर्गापुर ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां 2019 में बीजेपी के सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया 2500 से भी कम वोटों से जीते थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल उम्मीदवार संघमिता मुमताज ने 1 लाख 7 हजार 331 वोटों से जीत हासिल की थी. बीजेपी तीसरे स्थान पर थी. इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को करीब 18 फीसदी वोट मिले थे. पिछले विधानसभा चुनाव (2021) में इस लोकसभा की सात में से 6 विधानसभा सीटों पर तृणमूल आगे थी. इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई है. जिस तरह दिलीप घोष को इस सीट पर जीत का भरोसा है, उसी तरह तृणमूल को भी पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे को देख कर भरोसा है. इसी बीच पंचायत चुनाव में बढ़ी वोट प्रतिशत को देखकर उम्मीदवार भी इस लड़ाई में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. चुनावी कुरुक्षेत्र की लड़ाई में मौखिक लड़ाई के दौरान तृणमूल प्रार्थी कीर्ति आजाद ने दिलीप घोष को जीरो रन पर बोल्ड करने की चेतावनी दी. वही दिलीप ने भी जवाब देते हुए कहा की वे हर बॉल पर छक्के लगाएंगे. राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की सरगर्मी से बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र की भूमि तपने लगी है. देखने वाली बात ये होगी कि क्या दिलीप घोष इस सीट में अपना करिश्मा दिखा पाते हैं या नहीं ? यह बड़ा सवाल है ? 

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